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नेताजी के इंतजार में मुरझा रहे फूल, पाबंदियों के चलते इस चुनाव में फल-फूल नहीं पाया ये कारोबार

आगरा में पहले चरण में होना है मतदान। 31 जनवरी तक निर्वाचन आयोग ने जनसभाओं और रैलियों पर लगा रखी है रोक आठ की शाम को थम जाएगा चुनाव प्रचार। गुलाब और गेंदा के फूलों की हर दिन 200 कुंतल के आसपास हो रही है बिक्री।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 10:04 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:04 AM (IST)
नेताजी के इंतजार में मुरझा रहे फूल, पाबंदियों के चलते इस चुनाव में फल-फूल नहीं पाया ये कारोबार
इस विधानसभा चुनाव में फूलों का कारोबार ठंडा पड़ा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोविड संक्रमण के चलते निर्वाचन आयोग ने 31 जनवरी तक चुनाव प्रचार पर रोक लगा रखी है। प्रचार की पाबंदी के चलते विधानसभा चुनाव-2022 में फूलों से नोट नहीं झड़ रहे हैं। हर दिन गुलाब और गेंदा के फूलों की 200 कुंतल के आसपास बिक्री हो रही है जबकि विधानसभा चुनाव-2017 में 350 से 400 कुंतल के पास हर दिन बिक्री हो रही थी। वहीं जिले की नौ विधानसभा क्षेत्रों में आठ जनवरी की शाम को चुनाव प्रचार थम जाएगा। प्रत्याशी घर-घर जाकर ही वोट मांग सकेंगे। प्रत्याशी के साथ पांच से अधिक लोग नहीं होने चाहिए।

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शहर में सबसे बड़ी फूलों की मंडी बालूगंज में है। यहां जिलेभर से फूल आते हैं। इसमें प्रमुख रूप से गेंदा और गुलाब शामिल हैं। यहीं से आगरा के विभिन्न क्षेत्रों में फूलों की आपूर्ति होती है। फूल विक्रेता बांके बिहारी ने बताया कि विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव। चुनाव के दौरान सबसे अधिक गेंदा और गुलाब के फूलों की सर्वाधिक बिक्री होती होती है। अगर पिछले चुनाव की बात की जाए तो एक माह पूर्व फूलों की आपूर्ति का आर्डर मिल जाता था। 25 फीसद भुगतान हाथ में आ जाता था लेकिन इस बार स्थिति इसके विपरीत है। शिवम कुमार ने बताया कि विधानसभा चुनाव-2017 में गेंदा के फूल की कीमत 80 से 150 रुपये प्रति किग्रा, गुलाब के फूल की 200 से 250 रुपये प्रति किग्रा थी। इस बार स्थिति इसके विपरीत है। वर्तमान में गेंदा का फूल 30 से 40 रुपये और गुलाब का 120 से 145 रुपये प्रति किग्रा है। किशन कुमार ने बताया कि प्रचार पर पाबंदी के चलते फुूलों की बिक्री का धंधा मंदा हो गया है।

- विधानसभा चुनाव में गेंदा और गुलाब की सबसे अधिक बिक्री होती है। पिछले चुनाव में अच्छी खासी आमदनी हो गई थी। हर दिन एक से दो कुंतल फूल बिक जाते थे जबकि इस बार हालत बदतर हैं। खर्च निकालना तक कठिन हो गया है।

बंटी, फूल विक्रेता

- जनसभाओं और रैलियों में सजावट सहित अन्य के लिए एक साथ 50 किग्रा से एक कुंतल तक फूलों की बिक्री हो जाती थी। इस बार ऐसा नहीं है। चुनाव प्रचार पर पाबंदी होने से फूलों की बिक्री में 40 फीसद की कमी आई है।

श्री निवास, फूल विक्रेता

- बीस साल में पहली बार ऐसा मौका है जब चुनाव के दौरान फूलों की मांग अधिक नहीं है। इसी के चलते गेंदा और गुलाब की कीमत सस्ती है।

प्रेम सिंह, फूल विक्रेता

- इस चुनाव में फूलों की बिक्री अधिक नहीं हो रही है। इससे जिस तरीके से आमदनी होनी चाहिए। उस पर ब्रेक लग गया है।

संजय कुमार, फूल विक्रेता


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