आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने तैयार की पौधों को पानी देने की मशीन, जानिए क्या है विशेषता
Ambedkar University Agra डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के डा. मनुप्रताप सिंह के नाम पर हुआ पेटेंट। क्लाउड समर्थित और मशीन- लर्निंग संचालित कुशल आईओटी आधारित जल प्रणाली का आविष्कार दिल्ली के दो शिक्षकों के साथ मिलकर किया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। पौधे प्रेमी छुट्टियों पर जाने से पहले अपने पौधों की सेहत और देखभाल को लेकर काफी चिंतित होते हैं। कौन पानी देगा, कितना देगा, लौटने पर कितने मरे मिलेंगे आदि सवाल दिमाग में घूमते रहते हैं। इन सभी सवालों का जवाब तैयार किया है डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के डा. मनु प्रताप सिंह ने। उन्होंने क्लाउड समर्थित और मशीन- लर्निंग संचालित कुशल आईओटी आधारित जल प्रणाली का आविष्कार दिल्ली के दो शिक्षकों के साथ मिलकर किया है। इस मशीन का पेटेंट डा. सिंह ने कराया है।
क्या है यह मशीन
क्लाउड वातावरण पर होस्ट की गई एक मशीन लर्निंग- आधारित जल प्रणाली एक पौधे की पानी की आवश्यकता को सीखेगी जो कई विशेषताओं द्वारा नियंत्रित होती है जिसमें तापमान, आर्द्रता स्तर, हवा की गति, हवा की दिशा, वाष्पीकरण दर, धूप का समय और मिट्टी की जल धारण क्षमता शामिल होती है .
यह आविष्कार एक पौधे की पानी की आवश्यकता को उसकी विशिष्ट आईडी द्वारा पहचाने गए प्रत्येक पौधे की पानी की खपत की मदद से सीखता है। आवश्यक पानी की मात्रा के आधार पर पौधों को निम्न, मध्यम और उच्च पानी वाले पौधों में वर्गीकृत किया जाता है। तीन छिद्रों वाले पानी के आउटलेट को एक नियंत्रक द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिसे पानी की आपूर्ति लाइन में रखा जाना चाहिए जो पौधे की श्रेणी के अनुसार पानी के प्रवाह को नियंत्रित करता है। एक बार जब पौधे का सूखापन पूर्व-निर्धारित सीमा तक पहुंच जाता है, तो जल प्रणाली सक्रिय हो जाएगी। सीखी गई पानी की आवश्यकता और मौजूदा बाधाओं के अनुरूप पानी डाला जाएगा। पौधों को पानी देना जो उनके पानी के लिए पर्याप्त हैं, उन्हें पानी का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
इन्होंने किया आविष्कार
डा. मनुप्रताप सिंह के अलावा दिल्ली के दयाल सिंह इवनिंग कालेज के डा. जितेंद्र सिंह व दिल्ली की भारती विद्यापीठ इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के महेश कुमार चौबे। इस आविष्कार का पेटेंट डा. मनुप्रताप सिंह के नाम पर हुआ है।