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दिल्‍ली जैसा हादसा झेल चुकी है ताजनगरी, फिर भी नहीं सीखा सबक Agra News

दो दशक पहले श्रीजी फैक्ट्री में लगी भीषण आग में गई थी 45 श्रमिकों की जान।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 03:48 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 03:48 PM (IST)
दिल्‍ली जैसा हादसा झेल चुकी है ताजनगरी, फिर भी नहीं सीखा सबक Agra News
दिल्‍ली जैसा हादसा झेल चुकी है ताजनगरी, फिर भी नहीं सीखा सबक Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। दिल्ली में झांसी रोड पर बनी फैक्ट्री में लगी आग ने 43 लोगों की मौत ने ताजनगरी में दो दशक पूर्व हुए श्रीजी अग्निकांड की याद ताजा कर दी हैं। जूता फैक्ट्री में लगी आग में 45 लोगों की मौत हो गई थी। आगरा में घनी आबादी के बीच छोटे-बड़े सैकड़ों कारखाने चल रहे हैं। इनमें 80 फीसद जूता कारखाने हैं। जिनमें आग से बचाव के इंतजाम नहीं हैं। अधिकांश कारखाने अवैध हैं। प्रशासन का यहां किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

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शहर के पुराने बाजारों में आग से बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। तीन अक्टूबर 2014 को कोतवाली के लुहार गली में हुए अग्निकांड में एक दर्जन से अधिक दुकानें खाक हो गई थीं। अग्निशमन विभाग को यहां आग काबू करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सात वर्ष पूर्व सदर के सेवला क्षेत्र में एसी में शार्ट सर्किट से लगी आग से घर में रखे पेंट और केमिकल ने आग पकड़ ली थी। दोमंजिला मकान के प्रथम तल पर फंसे दस लोग जिंदा जल गए थे। हर बड़ी घटना के बाद प्रशासन अभियान चलाता है। मगर, कुछ समय बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर आ जाता है।

शहर के कोतवाली, मंटोला, लोहामंडी, जगदीशपुरा और शाहगंज के घनी आबादी वाले इलाकों में पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े कारखाने हैं। इन कारखानों से आग से बचाव के इंतजाम तो दूर, बाहर निकलने का रास्ता भी एक ही है। ऐसे में अग्निकांड की स्थिति में बड़ा हादसा होने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इन काखानों की कोई अधिकृत सूची भी प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। इससे कि इनके खिलाफ आग से बचाव के इंतजाम नहीं करने पर कार्रवाई की जा सके।

अधिकांश कारखाने जूते और उससे संबंधित अन्य सामग्री बनाने का ठेके पर काम करते हैं। जूता बनाने में प्रयोग होने वाला केमिकल ज्वलनशील होने से आग लगने की आशंका हमेशा बनी रहती है।

एसएन में जंग खा रहे यंत्र

एसएन में कई बार आग लग चुकी है, यहां फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया गया लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में यह काम फंस गया है। वहीं, नई सर्जरी बिल्डिंग में लगे अग्निशमन यंत्र जंग खा रहे हैं। प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने बताया कि कॉलेज में नया फायर फाइटिंग सिस्टम लगवाया जा रहा है।

नहीं मिली एनओसी

जिला अस्पताल में नई ओपीडी बनी है, यहां प्रथम और द्वितीय तल पर अग्निशमन यंत्र लगा दिए हैं। मगर, पानी के लिए टैंक नहीं बनाया है। इससे बिल्डिंग को एनओसी नहीं मिली है और अग्निशमन के इंतजाम के बिना ही भूतल पर ओपीडी चल रही है।

इन बाजारों और बस्तियों में नहीं हैं कोई इंतजाम

चौबेजी का फाटक, किनारी बाजार, फाटक सूरजभान, सिंधी बाजार, हींग की मंडी, ढोलीखार, बर्फखाना गली, बेलनगंज, कश्मीरी बाजार, धूलियागंज, लुहार गली, रावतपाड़ा आदि। जगदीशपुरा और लोहामंडी की घनी आबादी वाली बस्तियां हैं।

अग्निशमन चला रहा जागरूकता अभियान

सूरत में कोचिंग सेंटर में लगी आग में बच्चों की मौत समेत बहुमंजिली इमारत में अग्निकांड की घटनाओं के बाद से अग्निशमन विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है। एक साल के दौरान 150 से अधिक स्कूलों, अपार्टमेंट, कोचिंग सेंटर, शा¨पग मॉल एवं कॉलोनियों में कार्यशाला कर चुका है। इसमें लोगों को आग लगने की स्थिति में बचाव के तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

इस साल 100 जगहों पर अग्निकांड

जिले में इस वर्ष 100 से अधिक छोटे-बडे अग्निकांड हुए। इनमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सिकंदरा क्षेत्र में कई जूता फैक्टियों में बड़ी आग लगी।


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