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दो मुख्यमंत्री और एक राज्यपाल कर चुके शिलान्यास फिर भी नहीं मिलते आगरा में बैराज के निशान, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

राजनीति की सुर्खियों में रहा लेकिन धरातल पर नहीं उतर सका आगरा का बैराज कैसे बुझेगी प्यास। चार दशक से हो रही मांग दो मुख्यमंत्री एक राज्यपाल कर चुके हैं शिलान्यास। कभी राजनीतिक दांव-पेंच में फंसा बैराज अब तकनीकि उलझनों में भी उलझ गया है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 09:44 AM (IST)
भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने के लिए आगरा में बैराज की मांग है।

आगरा, अंबुज उपाध्याय। मनोहपुर से लेकर नगला पैमा तक लगे बैराज से लेकर रबर डैम के निशान भले गुम हो चुके हैं, लेकिन चुनावी समर में ये मुद्दा सुर्खियां बटोरता है। पीने से लेकर सिंचाई के जलसंकट से जूझते आगरा की ये चार दशक पुरानी मांग भले ही भंवर में फंसी है, इस मुद्दे पर आस जगाने वालों की नैय्या पार लगी है। एक राज्यपाल और दो मुख्यमंत्री ने इसका शिलान्यास किया, लेकिन प्रोजेक्ट धरातल से कोसों दूर है। कभी राजनीतिक दांव-पेंच में फंसा बैराज अब तकनीकि उलझनों में भी उलझ गया है।

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विश्व पटल पर आगरा के नाम को दर्ज कराने वाले ताज को संरक्षित करने, सूखती धरती की कोख के कारण बंजर होते खेतों को बचाने और भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने के लिए आगरा में बैराज की मांग है। सबसे पहले बैराज की मांग वर्ष 1975 में हुई थी। इसके बाद ताजमहल से एक किलोेमीटर दूर बैराज निर्माण का प्रस्ताव आया, लेकिन सिंचाई विभाग ने यह कह खारिज कर दिया कि अगर बाढ़ आई तो ताजमहल के लिए खतरा हो सकता है। वर्ष 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मनोहरपुर में बैराज का शिलान्यास किया, लेकिन प्रक्रिया कागजों में दम तोड़ गई। इसके बाद ताजमहल की अपस्ट्रीम में बैराज के निर्माण की प्रक्रिया पर विचार किया जाने लगा, लेकिन तत्कालीन विधायक विजय सिंह राणा ने इसका विरोध जताया। उन्होंने डाउन स्ट्रीम में बैराज बनाने की सलाह दी और समोगर गांव का नाम सुझाया। विधानसभा में मामला उछला तो जमकर राजनीति शुरू हो गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह आगरा आए। उन्होंने विजय सिंह राणा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके बाद राज्यपाल रोमेश भंडारी ने वर्ष 1993 में दयालबाग के बहादुरपुर और मनोहरपुर गांव के बीच यमुना किनारे आगरा बैराज का शिलान्यास किया। 350 करोड़ रुपये से बैराज निर्माण होना था। आगरा अप और डाउन स्ट्रीम की लड़ाई लड रहा था, जिससे पहले मथुरा में गोकुल बैराज को स्वीकृति मिली और वर्ष 1997 में वहां निर्माण हो भी गया। वहीं आगरा में शिलान्यास के बाद 15 करोड़ रुपये धनराशि जारी होने के बाद कार्य की शुरुआत हुई। इसके बाद पुन: 120 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए, लेकिन ताज ट्रिपेजियम जोन के अंदर बैराज नहीं बनने की बात कह प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। बची हुई धनराशि 10 करोड़ को वापस कर दिया गया। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 1999 में दी गई स्वीकृति वर्ष 2001 में निरस्त कर दी गई। तर्क दिया गया कि अपस्ट्रीम में बैराज बनने से डाउन स्ट्रीम में जल की गुणवत्ता खराब हो जाएगी। यह रिपोर्ट आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने दी थी। सिंचाई विभाग ने तर्क दिया था कि बैराज अपस्ट्रीम में बनाया जा रहा है, कई बार पत्राचार हुआ, लेकिन परिणाम नकारात्मक ही निकला। आगरा में बने बैराज खंड के अधिकारियों को दूसरी स्थानों पर भेज दिया गया। मामला फिर कागजों में दब गया। सूबे में सपा की सरकार बनी तो सीएम अखिलेश यादव ने बैराज की डीपीआर तैयार कराई, लेकिन ये प्रक्रिया भी फाइलों से धरातल पर नहीं आ सकी। सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी आदित्यनाथ सीएम बने, उन्होंने फिर डीपीआर तैयार कराई और इस बार रबर डैम बनाने की तैयारी हुई। सरकार बनने के बाद वे पहली बार आगरा आए तो सीधे नगला पैंमा गए और यहां रबर डैम का शिलान्यास किया। 350 करोड़ रुपये का बजट तैयार हुआ और दो करोड़ रुपये सर्वे के लिए स्वीकृत हुए। कई बार नाप-तौल हुई, लेकिन धरातल पर कुछ सकार नहीं हो सका।

एनओसी में अड़ंगा

रबर डैम के लिए छह एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की आवश्यकता थी, जिसमें से विभागीय प्रयास के बाद तीन एनओसी मिल गई थीं और अन्य तीन के लिए प्रयास किए जा रहे थे। ताज ट्रिपेजियम जोन की समिति ने दो और एनओसी की बाध्यता कर दी है। इसके बाद ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) ने स्पष्ट कह दिया है कि पहले नेशनल एंवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) की एनओसी लाएं, उसके बाद ही हम जारी करेंगे।

केंद्रीय मंत्री गडकरी ने दिखाए थे सपने

वर्ष 2017 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आगरा में आस जगाई थी। उन्होंने यमुना पर बैराज के लिए धनराशि जारी करने की बात कही थी और यमुना में पानी का जहाज चलाने के सपने भी दिखाए थे।

इच्छा शक्ति का अभाव है, जिस कारण कोई भी योजना सफल नहीं हो पाती है। अनापत्ति प्रमाण पत्र तो बहाना है, ये शासन और प्रशासन की कमी का परिणाम है।

ब्रज खंडेलवाल, संयोजक, रिवर कनेक्ट कैंपेन

सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट आदेश है, कि आगरा में बैराज बनना चाहिए। अप और डाउन स्ट्रीम के कारण बैराज, रबर डैम में मामला भी कई बार उलझा है। ताजमहल की चारों ओर की नींव लकड़ी के खंभों पर है। नींव की लकड़ियों में नमी के लिए पानी जरूरी है। इसमें दरारें भी आ चुकी है।

रमन, सदस्य, सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति

लखनऊ और स्थानीय अधिकारी आते हैं, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ है। यहां रास्ता तक नहीं है, लेकिन बैराज का काम कागजों में हो रहा है।

हरी बाबू जादौन, नगला पैमा

मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ आए थे, तो लगा था कि यहां कुछ बड़ा होने वाला है। उसके बाद अधिकारी तो कई बार आए, यहां गुमटी बनाई, लेकिन हुआ कुछ नहीं।

राजकुमार, नगला पैमा

अधिकारी मिट्टी कई बार ले गए। हमने पूछी थी, कि क्या हो रहा है, तो बताया था कि मिट्टी की जांच के बाद यहां रबर डैम बनेगा। महीनों से कोई नहीं आया है।

चुन्नी लाल, नगला पैमा

बैराज, रबर डैम कई बार नाम सुना है। मंजूरी की बात सुनी थी, लेकिन यहां तो यमुना में कुछ हुआ नहीं है। अधिकारी आते हैं और चले जाते हैं।

राजवीर, नगला पैमा

वर्ष 2021 से रबर डैम के लिए छह की जगह कुल आठ एनओसी हो गई हैं। इसमें से तीन क्लियर हो चुकी है, जबकि अन्य पांच के लिए आवेदन किया जा चुका है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी अंतिम चरण में है, जो जल्द मिल सकती है। अन्य के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

शरद सौरभ गिरी, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग

जलसंकट दूर कराने के कई प्रयास हुए हैं। सरकार बनने पर रबर डैम का शिलान्यास हुआ था, लेकिन कुछ अनापत्ति प्रमाण पत्र के कारण मामला अटका हुआ है।

गिर्राज कुशवाह, जिलाध्यक्ष, भाजपा

जलसंकट से आगरा लंबे समय से जूझ रहा है, लेकिन भाजपा, सपा, बसपा ने आंखें मूंद रखी हैं। सरकार बनने पर ये हमारी प्राथमिकता में होगा।

राघवेंद्र सिंह मीनू, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस

हमारी सरकार ने प्रयास किए थे, लेकिन सरकार बदलने के बाद भाजपा ने बैराज को उलझा दिया। जलसंकट को दूर करना हमारी प्राथमिकता है।

मधुसूदन शर्मा, जिलाध्यक्ष, सपा

भाजपा ने किसानों के हित में नहीं सोचा। बैराज बनने से सबसे ज्यादा किसानों का हित होना है, इससे जलस्तर बढ़ेगा। बैराज बनवाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

नरेंद्र धनगर, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष, रालोद

बैराज के नाम पर दलों ने अपनी राजनीति चमकाई है। बैराज नहीं बनने से किसान से लेकर हर आम आदमी परेशान है। बैराज बनवाया जाएगा।

धीरज बघेल, जिलाध्यक्ष, बसपा 


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