Tribunal in Ambedkar University: एक साल बाद भी कागजों में ही बना रह गया ट्रिब्यूनल
Tribunal in Ambedkar University तत्कालीन कुलपति ने की थी घोषणा न्यायालय जैसे अधिकार होते। ट्रिब्यूनल में करते विद्यार्थी शिकायत यहीं होता समाधान।
आगरा, प्रभजोत कौर। डा. भीमराव आंबेडकर विवि में ट्रिब्यूनल बनाने की घोषणा सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई है। इस ट्रिब्यूनल को न्यायालय की तरह अधिकार देने की बात थी। विवि से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के लिए विद्यार्थियों को वकीलों के पास नहीं जाना पड़ता। सभी शिकायतों की सुनवाई विवि में कराने की योजना थी। पर एक साल बीतने के बाद भी इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।
विवि के तत्कालीन कुलपति प्रो. अरविंद दीक्षित ने पिछले साल मई में विवि में ग्रीवांस रिड्रेसल सेल (शिकायत सुनवाई प्रकोष्ठ) सक्रिय करने की योजना बनाई थी। इस प्रकोष्ठ को ट्रिब्यूनल जैसे बनाने की घोषणा की गई थी। डा. दीक्षित ने कहा था कि जिन विद्यार्थियों की समस्याओं का निस्तारण 15 दिन में नहीं होगा, वे इस ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकेंगे। समस्याओं को लेकर वकीलों के पास जाने की बजाय विद्यार्थी विवि में ही सेमी ज्यूडिशियरी बॉडी में जाएगा। इसकी शुरुआत नए सत्र से करने की योजना थी। लेकिन अब तक इसकी कोई भी तैयारी नहीं हुई है। कोरोना वायरस महामारी के चलते इसके जल्द शुरु होने के आसार भी कम ही नजर आ रहे हैं।
हुईं थी नियुकि्तयां भीं
विवि में बनने वाले इस ट्रिब्यूनल में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और एक वकील की नियुकि्त अलग से की गई थी।हालांकि विवि संबंधी न्यायिक जिम्मेदारियों को संभालने के लिए एक वकील पहले से ही हैं। पर यह ट्रिब्यूनल कागजों की घोषणा बन कर रह गया।आज भी विवि में शिकायत प्रकोष्ठ नहीं बन पाया है।विद्यार्थी अपनी हर समस्या के लिए विवि के विभागों में चक्कर काटते रहते हैं और न्यायिक सहयोग के लिए वकीलों से संपर्क करते हैं।
ट्रिब्यूनल को सक्रिय करने की हमारी भी योजना है। कोरोना काल में काफी कुछ लंबित चल रहा है। एक बार विवि में कामकाज सुचारू हो जाए, उसके बाद सभी लंबित योजनाओं पर काम शुरू करेंगे।
- प्रो. अशोक मित्तल, कुलपति