आगरा की पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के साथ पेड़ों की भी होती है गणना, हर पेड़ का है नंबर
पुलिस लाइन पुलिस आवास और परेड़ के मैदान में लगे हैं 300 पेड़। हर पेड़ पर होता है नंबर रखा जाता है हिसाब। पेड़ों के नष्ट होने या गिरने की स्थिति में वहां पर दूसरा पौधा लगाया जाता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। नीम नंबर 132, पीपल नंबर 135, पाखर नंबर 164। चौंकिएं मत, पुलिस लाइन में सिर्फ पुलिसकर्मियों की गणना ही नहीं होती है। बैरकों के बाहर और परिसर में लगे पेड़ों की भी नियमित गणना होती है। पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के साथ पेड़ों को भी नंबर मिला हुआ है।
पुलिस लाइन, आवास और परेड के मैदान में 300 विभिन्न प्रजाति के पेड़ लगे हुए हैं। इन पेड़ों की देखभाल का जिम्मा लाइन में रहने वाले पुलिसकर्मियों पर होता है। जिस तरह पुलिसकर्मियों काे नंबर दिया जाता है, उसी तरह यहां पेड़ों को भी नंबर दिया जाता है। पुलिसकर्मी के साथ यह नंबर उसकी सेवाकाल तक रहता है। उसी तरह के पेड़ों को दिया गया नंबर उसके जीवनकाल तक चलता है। पेड़ों के नष्ट होने या गिरने की स्थिति में वहां पर दूसरा पौधा लगाया जाता है। एक या दो साल बाद यह नंबर उसकी जगह लगे नए पेड़ को दे दिया जाता है।
पेड़ों को नंबर देने का उद्देश्य उनकी नियमित देखभाल के साथ ही सुरक्षा भी है। इससे कि कोई उन्हें काटकर नहीं ले जा सके। इन पेड़ों के सूखने गिरने पर उनकी नीलामी कर दी जाती है। इससे मिलने वाले राजस्व को राजकोषीय खाते में जमा किया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- पुलिस लाइन, पुलिस आवास और परेड के मैदान में 300 पेड़ हैं
- नीम, पीपल, बरगद, पाखर, यूके लिप्टस के पेड़़ों की हैं सबसे ज्यादा संख्या
- पेड़ को एक से दो साल बाद दिया जाता है नंबर
- पेड़ों की देखरेख के साथ हर महीने होती है गणना
- लाइन में रहने वाले पुलिसकर्मियों पर होता है पेड़ों की देखभाल का जिम्मा
पेड़ों को नंबर देने का उद्देश्य उनकी सुरक्षा से संबंधित है। इससे कि कोई उन्हें काटकर नहीं ले जा सके। इससे उनकी गणना करने के साथ ही देखभाल में भी आसानी रहती है।
बबलू कुमार एसएसपी