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अंगूर की बेटी का धंधा हो गया मंदा, यहांं सैंकड़ों कारोबारियों ने छोड़ीं दुकानें Agra News

आबकारी की 543 दुकानों में से सिर्फ 340 का हुआ नवीनीकरण। बची दुकानों का लॉटरी से होगा आवंटन नए लोगों को मिलेगा मौका।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 05:51 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 05:51 PM (IST)
अंगूर की बेटी का धंधा हो गया मंदा, यहांं सैंकड़ों कारोबारियों ने छोड़ीं दुकानें Agra News
अंगूर की बेटी का धंधा हो गया मंदा, यहांं सैंकड़ों कारोबारियों ने छोड़ीं दुकानें Agra News

आगरा, जेएनएन। सुहागनगरी में शराब का कारोबार बीते साल मुनाफे का सौदा नहीं रहा। यही वजह है कि इस साल ठेका चला रहे दो सौ से अधिक कारोबारियों ने दुकानें छोडऩे का फैसला कर लिया। उन्होंने अगले वित्तीय वर्ष में अपनी दुकान को चलाने के लिए नवीनीकरण नहीं कराया है। इन दुकानों का आवंटन अब लॉटरी पद्धति से किया जाएगा। इससे नए लोगों को इस क्षेत्र में आने का मौका मिलेगा।

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जिले में इस समय देसी, अंग्रेजी और बीयर की कुल 543 दुकानें हैं। जो 31 मार्च तक संचालित होंगे। एक अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्तीय वर्ष में दुकानें चलाने के लिए शासन ने मौजूदा अनुज्ञापियों (ठेकेदारों) मौका दिया था। दुकानों का नवीनीकरण कराकर कारोबारी अपने दुकान अगले वित्तीय वर्ष में भी चालू रख सकते थे, लेकिन मात्र 340 ने ही इसके लिए आवेदन किया। आबकारी विभाग फिलाहाल इनके नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी करा रहा। इसके बाद बची हुई दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी। 203 दुकानें छोड़े जाने से प्रशासन की मुश्किल बढ़ गई है। माना जा रहा है कि दुकान में नुकसान होने के कारण कारोबारियों का इनसे मोहभंग हो गया है। ऐसे में इन दुकानों का आवंटन कराना विभाग के लिए भी आसान नहीं होगा।

दुकानें छोडऩे की ये हैं वजह

सूत्रों का कहना है कि जिले में शराब और बीयर की दुकानों की संख्या अधिक है। पास पास दुकानें होने के कारण बिक्री पर्याप्त नहीं हो पाती। नए वित्तीय वर्ष में सरकार ने कोटा और लाइसेंस फीस भी बढ़ा दी है। शराब की अवैध बिक्री भी इसकी एक वजह बताई जा रही है।

ये है स्थिति

-278 दुकानें हैं देसी शराब की

-205 का कराया गया नवीनीकरण

-153 दुकानें हैं अंग्रेजी शराब की

-90 का कराया गया नवीनीकरण

-112 दुकानें हैं बीयर की

-45 का कराया गया है नवीनीकरण

नवीनीकरण न कराने के कई कारण हैं। छोटे छोटे दुकानदारों ने नवीनीकरण की 20 हजार रुपये की फीस बचाने के लिए आवेदन नहीं किया। कुछ दुकानों का नवीनीकरण अनुज्ञापी की मौत या साझेदारी के कारण नहीं कराया गया। बची हुई दुकानें अब लॉटरी से उठाई जाएंगी।

आरएस चौधरी, जिला आबकारी अधिकारी

 


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