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World Heritage Week: वायु प्रदूषण खराब कर रहा पर्यटन की सेहत, उपायों के बावजूद नहीं मिल रही सफलता Agra News

ताजनगरी की हवा सुधरे तो हो ताज का संरक्षण। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 1996 में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बना था।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 04:36 PM (IST)
World Heritage Week: वायु प्रदूषण खराब कर रहा पर्यटन की सेहत, उपायों के बावजूद नहीं मिल रही सफलता Agra News
World Heritage Week: वायु प्रदूषण खराब कर रहा पर्यटन की सेहत, उपायों के बावजूद नहीं मिल रही सफलता Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इन दिनों विश्व धरोहर सप्ताह मना रहा है। स्मारकों के संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताज के सदियों तक संरक्षण के लिए तो सुप्रीम कोर्ट भी उप्र सरकार से विजन डॉक्यूमेंट मांग चुकी है। मगर, ताजनगरी की बिगड़ी हवा और यमुना जल के प्रदूषित होने का खामियाजा ताज को समय-समय पर भुगतना पड़ा है। इसका असर पर्यटन पर भी पड़ता रहा है।

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ताज के धवल सौंदर्य के वायु प्रदूषण से प्रभावित होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 1996 में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बना। प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद करा दिया गया। इसके बावजूद ताजनगरी में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, जिसका खामियाजा ताज को भुगतना पड़ा। धूल कणों की वजह से वो पीला हो गया। वर्ष 2015 में आई संसद की पर्यावरण संबंधी स्थाई समिति ने निरीक्षण में नाराजगी जताई। इसके बाद पूरे ताज पर मडपैक की योजना बनाई गई। गुंबद को छोड़कर पूरे ताज पर मडपैक किया जा चुका है। दीपावली के बाद वायु प्रदूषण बढ़ा तो पर्यटन पर भी उसका प्रभाव पड़ा। कुछ विदेशी पर्यटकों ने अपने टूर कैंसिल किए तो कुछ ने आइटनरी में परिवर्तन किया। कई ने टूर ऑपरेटरों से व्यथा जताई कि अगर उन्हें पूर्व में विजिट के दौरान वायु प्रदूषण की स्थिति के बारे में बता दिया गया होता तो वो यहां नहीं आते।

वहीं, कभी ताज की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली यमुना भी अब उसके लिए मुसीबत बन गई है। नाले में तब्दील हो चुकी यमुना की गंदगी में पनपे कीड़े (गोल्डीकाइरोनोमस) ने समय-समय पर ताज की सतह पर गहरे भूरे व हरे रंग के दाग छोड़े हैं। ताज पर लगे यह दाग अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बने थे। यमुना से उठने वाली दुर्गंध भी पर्यटकों को परेशान करती है, लेकिन उसकी दशा में कोई सुधार नहीं हो सका है। ताज के समीप ही यमुना में नाले सीधे गिर रहे हैं।

अन्य स्मारकों पर भी करना पड़ा मडपैक

वायु प्रदूषण की वजह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा को ताज ही नहीं, अन्य स्मारकों में स्थित संगमरमरी भवनों पर मडपैक करना पड़ा है। एत्माद्दौला, आगरा किला, सिकंदरा इनमें शामिल हैं।

प्रदूषण का प्रभाव ताज पर सर्वविदित है

आगरा में स्मारक और पर्यटन एक-दूसरे के पर्याय हैं। प्रदूषण का प्रभाव ताज पर सर्वविदित है। पर्यटन पर भी प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है। हमारे ग्रुपों ने दिल्ली में न रुकवाकर आगरा में रुकवाने को कहा है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम सरकार को उठाने चाहिए, जिससे धरोहर और पर्यटन दोनों सलामत रहें।

-सुनील गुप्ता, चेयरमैन नोर्दन रीजन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स

नहीं हो रहा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन

ताज ट्रेपेजियम जोन में सुप्रीम कोर्ट के बहुत से आदेश हैं, लेकिन किसी का पालन नहीं हो रहा है। यही कारण है कि आगरा में एयर क्वालिटी इंडेक्स निरंतर खराब चल रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम नहीं करने से यमुना प्रदूषित है। ताजमहल का क्षरण हो रहा है, लेकिन अफसर कागजी बैठकों में व्यस्त हैं।

-डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद 


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