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Top Agra News of the Day 2nd September 2019, बीमार बच्‍चों संग दंपती का आत्‍मदाह का प्रयास, सरेराह हत्‍या, राज्‍यपाल का कासगंज की गलियों से नाता

थैलेसीमिया से पीडि़त हैं बच्‍चे। खेत में छुपकर किया दूधिया पर हमला। शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य थे कोश्‍यारी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 06:47 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 06:47 PM (IST)
Top Agra News of the Day 2nd September 2019, बीमार बच्‍चों संग दंपती का आत्‍मदाह का प्रयास, सरेराह हत्‍या, राज्‍यपाल का कासगंज की गलियों से नाता
Top Agra News of the Day 2nd September 2019, बीमार बच्‍चों संग दंपती का आत्‍मदाह का प्रयास, सरेराह हत्‍या, राज्‍यपाल का कासगंज की गलियों से नाता

आगरा, जेएनएन। ब्रजमंडल में सोमवार, 2 सितंबर 2019 की शाम तक के प्रमुख समाचारों पर आइए डालते हैं एक नजर-

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थैलेसीमिया पीडि़त बच्‍चों संग आत्‍मदाह का प्रयास

मैनपुरी में तीन बच्‍चों सहित एक दंप‍ती ने सीएमओ कार्यालय पर आत्‍मदाह का प्रयास किया। अधिकारियों को मामले की जानकारी जैसे ही हुई महकमे में हड़कंप मच गया। बात दें कि मैनपुरी थाना क्षेत्र के गांव कत्तरा निवासी शिववीर के तीन बच्चे थैलेसीमिया से बीमार हैं। इलाज में सब कुछ बिक जाने के बाद पीड़ित लगातार मदद के लिए भटक रहा है। पिछले दिनों प्रशासन ने भरोसा दिया था, परन्तु बाद में केवल 10 हजार रुपए की मदद ही दी गई।

दूधिया को भूना गोलियों से

मैनपुरी के घिरोर थाना क्षेत्र के गांव हिम्मतपुर उजियारी निवासी बिजनेश कुमार (22) पुत्र रामबिरेश यादव दूध का कारोबार करते थे। अक्सर नगला मोहन स्थित डेयरी पर दूध पहुंचाने के लिए जाते थे। रविवार की रात लगभग 9:30 बजे वे डेयरी से दूध देकर लौट रहे थे। तभी गांव से लगभग डेढ़ किमी दूर झाडिय़ों में छिपकर बैठे बदमाशों ने उन्हें रोक लिया। पहले तो किसी बात को लेकर कहा-सुनी हुई, उसके बाद गोली मार दी और फरार हो गए। सूचना मिलते ही आधी रात के बाद पुलिस अधीक्षक ने भी घटना स्थल पर पहुंचकर जानकारी जुटाई। परिजनों ने एक नामजद सहित दो अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।

शिशु मंदिर के थे राज्‍यपाल प्रधानाचार्य

महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्यारी सन 1965 से 70 तक कासगंज में सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के रूप में तैनात रहे। उस वक्त स्कूल का नाम बाल मंदिर हुआ करता था। लक्ष्मी गंज में एक किराए के भवन में स्कूल चलता था। स्कूल में ही एक कमरे में वह रहते थे तो कभी- कभी सोरों गेट पर ही संघ कार्यालय पर भी रात गुजारा करते थे। सादा जीवन जीने में विश्वास रखने वाले भगत सिंह कोश्यारी का सरल स्वभाव उस दौर के लोगों को याद है।  


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