मौनी अमावस्या पर आज लगेगी श्रद्धा की डुबकी, कमाएंगे पुण्य
71 साल बाद बन रहा है विशेष योग, तिल का दान करने से होगी मनोकामना पूर्ण
आगरा, जागरण संवाददाता।
मौनी अमावस्या का स्नान सोमवार सुबह किया जाएगा। मौनी अमावस्या को मौन रहकर स्नान-दान करने का विशेष पुण्य रहता है। मौनी अमावस्या पर स्थान को लेकर रविवार को कैलाश घाट, बल्केश्वर घाट और हाथी घाट पर साफ सफाई की गई। सोमवार को सुबह से ही श्रद्धालु यहां स्नान कर जप करेंगे।
मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है, इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। सोमवार का दिन होने के कारण इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार मौनी अमावस्या पर विशेष योग बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कुंभ के दौरान महोदय योग इससे पहले नौ फरवरी 1948 के कुंभ में बना था। इतना ही नहीं अमृत का ग्रह चंद्रमा अपने ही नक्षत्र में होगा। पौराणिक मामलों की ज्ञाता रचना सिंह 'रश्मि' ने बताया कि इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि अमावस्या तिथि तीन फरवरी की रात 11 बजकर 50 मिनट से ही शुरू हो जाएगी, जो कि पाच फरवरी को रात 2 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय काल चार फरवरी को होगा, इसलिए स्नान दान करना चार फरवरी को ही शुभ होगा। मौनी अमावस्या के दिन पितृ तर्पण और पितृ श्राद्ध भी अक्षय फल देते हैं। तिल का दान देगा विशेष लाभ
- मौनी अमावस्या पर स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गौ, भूमि, तथा स्वर्ण जो भी आपकी इच्छा हो दान देना चाहिए, उसमें भी इस दिन तिल दान को सर्वोत्तम माना जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें।
इस दिन मौन व्रत का महत्व
-इस दिन मौन व्रत रखने का भी विधान रहा है। इस व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को अपने वश में रखना चाहिए। धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत कर अपने वश में करना ही मौन व्रत है। -मौनी अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन मौन व्रत धारण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पं. हरिकृष्ण पाराशर, ज्योतिषाचार्य