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रिश्ता जीजा साले जैसा पर हजारों बरसों से नहीं हुआ दोनों गांवों में कोई वैवाहिक रिश्ता

नंदगांव और बरसाना के बीच दिव्य प्रेम का रिश्ता। मुस्लिम भी निभाते आ रहे हैं इस परंपरा को।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 12:23 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 12:23 PM (IST)
रिश्ता जीजा साले जैसा पर हजारों बरसों से नहीं हुआ दोनों गांवों में कोई वैवाहिक रिश्ता
रिश्ता जीजा साले जैसा पर हजारों बरसों से नहीं हुआ दोनों गांवों में कोई वैवाहिक रिश्ता

आगरा, किशन चौहान। अचंभित करने वाली ही बात है। ब्रजभूमि के दो गांवों में आपसी संबंध जीजा साले जैसे हैं पर हजारों वर्षों से किसी तरह का आपस में कोई वैवाहिक रिश्ता आज तक नहीं जुड़ा। सुनकर अजीब तो लगेगा लेकिन हकीकत यही है। नंदगांव और बरसाना प्राचीन काल से इस परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं। उस पर से यह और गजब बात है कि राधा कृष्ण के प्रेम से जुड़ी इस अनूठी प्राचीन परंपरा को यहां रहने वाले मुस्लिम धर्म के लोग भी निभा रहे हैं। द्वापर युग में राधा कृष्ण का अवतरण हुआ था। मान्यता के अनुसार राधा बरसाना में जन्मीं, तो कृष्ण गोकुल में। कंस के अत्याचारों के चलते नंदबाबा नंदगांव में आ बसे। इन्हीं दोनों गांवों के मध्य राधा कृष्ण ने अपनी प्रेममयी लीलाएं कीं। पुराणों में राधा का कृष्ण के साथ विवाह का उल्लेख है, इसलिए आज भी नंदगांव और बरसाना के लोग राधा कृष्ण के उसी दिव्य प्रेम को दर्शाते आ रहे हैं। भले ही हजारों साल बीत जाने के बाद भी नंदगांव-बरसाना के बीच आज तक कोई विवाह संबंध नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि विवाह संबंध न होने के बावजूद भी दोनों गांव एक दूसरे से जीजा साले का रिश्ता रखते हैं। यहां तक कि दोनों गांवों के बीच जब मजाक होता है, तो बिल्कुल जीजा साले की तरह होता है। मजाल है कि किसी की बात का कोई बुरा भी मान जाए।

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बेटी राधा की ससुराल है...

नंदगांव-बरसाना के विलक्षण रिश्ते को एक दलित समाज से भी जोड़ा गया है। जानकारों के अनुसार डेढ़ सौ साल पहले बरसाना के एक दलित रामदयाल नंदगांव में छप्पर छाने गया था। उस दौरान भीषण गर्मी पड़ रही थी। जब नंदगांव के लोगों ने रामदयाल को पीने के लिए पानी दिया तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि यह तो मेरी बेटी राधा का ससुराल है।

रिश्ता होने पर खत्म हो जाएगी होली की दिव्यता

राधा कृष्ण के प्रेम का पूरक समझने वाले नंदगांव-बरसाना में भले ही कोई रिश्ता नहीं हुआ हो, लेकिन दोनों गांवों के मध्य रिश्ता न होने का एक कारण यह भी है कि लठामार रंगीली होली का आयोजन दोनों ही गांव के मध्य होता है। जिसमें दोनों गांव की महिलाओं और पुरुषों द्वारा होली खेली जाती है। अगर दोनों गांव के मध्य रिश्ता हो गया तो होली की यह प्राचीन दिव्यता खत्म हो जाएगी। इसलिए इस दिव्य होली के आयोजन को बरकरार रखने के लिए आजतक दोनों गांव के मध्य विवाह सबंध नहीं हुआ।

कहते हैं नंदगांव-बरसाना के लोग

बरसाना निवासी लक्ष्मण प्रसाद शर्मा कहते हैं कि नंदगांव-बरसाना का जो इतिहास है, वो संसार में कहीं देखने को नहीं मिलता है। दोनों गांवों के बीच का जो प्रेम का रिश्ता है, वो राधा कृष्ण से जुड़ा हुआ है। इसलिए आज भी नंदगांव-बरसानामें किसी भी धर्म व जाति के बीच कोई शादी विवाह नही होते। दोनों ही गांव राधाकृष्ण के प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते चले आ रहे हंै।

बरसाना की इंदु गौड़ कहती हैं कि भले ही नंदगांव के लोगों से हमारा कोई निजी रिश्ता नहीं है, लेकिन हम आज भी राधा की सहचरियों के रूप में नंदगांव को अपनी ससुराल मानते हैं। इसलिए बेझिझक होली के दौरान नंदगांव के लोगों पर अपनी प्रेममयी लाठी बरसाते हैं।

नंदगांव निवासी भीम चौधरी ने कहा कि बरसाना-नंदगांव के बीच भले ही लठामार रंगीली होली ब्राह्मण वर्ग में होती है, लेकिन राधा कृष्ण के प्रेममयी लीलाओं का निर्वहन करते हुए दोनों ही गांव के सभी वर्ग के लोग उसी प्राचीन रिश्ते को निभाते चले आ रहे हैं। नंदगांव की मधु तिवारी ने कहा कि यह राधा कृष्ण के दिव्य प्रेम की ही तो ताकत है कि दोनों गांव में कोई संबंध भी नहीं, फिर भी रिश्ता जीजा साले जैसा। भले ही मेरी नंदगांव में ससुराल हो, लेकिन बरसाना के लोगों से भी मेरा प्रेम भरा रिश्ता है। इसलिए तो हम उनके किसी मजाक का बुरा नहीं मानते। 


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