Proud on You: आगरा के इस सिपाही ने 16 माह में बरामद कराईं 626 लड़कियां, SSP ने डीजी मेडल को भेजा नाम
अलग-अलग थानों में दर्ज थे अपहरण और बहला फुसलाकर ले जाने के मुकदमे। एसएसपी के निर्देश पर सर्विलांस सेल में तैनात सिपाही ने सभी को किया ट्रैस। एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि 2019 में उन्होंने सिपाही को अपहृत और लापता लड़कियों की लोकेशन पता करने की जिम्मेदारी दी थी।
आगरा, यशपाल चौहान। अागरा से 706 लड़कियां लापता थीं। इनकी तलाश को एसएसपी बबलू कुमार ने 16 माह पहले सर्विलांस सेल में तैनात सिपाही राजकुमार को लगाया। सिपाही ने इसे टास्क के रूप में लेते अब तक 626 लड़कियों को ट्रैस कर उन्हें बरामद करा दिया। अभी 80 लड़कियाें की बरामदगी शेष हैं। इनमें से भी तीस के बारे में सिपाही ने पूरी जानकारी जुटा ली है। एसएसपी बबलू कुमार खुद इसे मानीटर कर रहे थे। सिपाही के अच्छे काम के लिए उसका नाम डीजी मेडल दिए जाने के लिए भेजा है।
एसएसपी बबलू कुमार ने बताया कि अगस्त 2019 में उन्होंने राजकुमार को अपहृत और लापता लड़कियों की लोकेशन पता करने की जिम्मेदारी दी थी। उनके सहयोग के लिए दो और सिपाहियों को लगाया गया था। राजकुमार ने अपनी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाया। वर्ष 2019 में पांच माह में 141 लड़कियों के बारे में पता लगा लिया। थानों और क्राइम ब्रांच के सहयोग से इनको बरामद कर लिया गया। कोर्ट में बयान के बाद ये केस खत्म हो गए। इनमें से बहुत से केस काफी समय से लंबित थे। वर्ष 2020 में लड़कियों की बरामदगी ने रफ्तार पकड़ ली। लाकडाउन के चार माह में काम नहीं हो सका। इसके बाद भी अब तक 11 माह में 485 लड़कियां बरामद की जा चुकी हैं। इस तरह अब तक 16 माह में कुल 626 लड़कियां बरामद हो गईं। सभी की लोकेशन के बारे में राजकुमार ने ही पता लगाया। अब जिले के सभी थानों में दर्ज मुकदमों में से केवल 80 लड़कियों की बरामदगी शेष रह गई है।
इनमें से तीस लड़कियां जल्द बरामद कर ली जाएंगी। सर्विलांस सेल में तैनात सिपाही राजकुमार लगन और मेहनत के लिए वे सम्मान के हकदार हैं। इसलिए उनका नाम डीजी प्रशंसा चिह्न दिए जाने के लिए भेजा गया है। यह ऐसा काम है जो पर्दे के पीछे रहकर किया जाता है। यह सम्मान मिलने से राजकुमार के साथ-साथ पूरी टीम का मनोबल बढ़ेगा।
ऐसे पूरा हुआ टास्क
एसएसपी बबलू कुमार के निर्देश पर राजकुमार ने जिले से अपहृत और लापता लड़कियों के मुकदमों की जानकारी का एक रजिस्टर बनाया। इस पर हर लड़की के लिए अलग पेज पर डिटेल लिखी गई। राजकुमार ने लड़की के स्वजन के साथ-साथ विवेचक से भी केस की जानकारी ली। कुछ सुराग लिए और सर्विलांस के माध्यम से ट्रैस करना शुरू कर दिया। जिले के थानों में दर्ज होने वाले नए केस भी रजिस्टर में बढ़ाते रहे। इनकी प्रगति भी इसमें लिखी जाती थी। जब लड़की के बारे में पूरी जानकारी हो जाती तो सर्विलांस से इसकी जानकारी संबंधित थाने के प्रभारी को दी जाती। वहां की टीम संबंधित स्थान पर जाकर लड़की को बरामद करके लाती थी। लड़की की बरामदगी तक राजकुमार के रजिस्टर से उसका नाम नहीं कटता था। एसएसपी ने बताया कि उन्होंने इस काम में क्राइम ब्रांच की भी कई बार मदद ली। दिल्ली में कई लड़कियों के ट्रेस होने पर एक बार में ही सबको बरामद कर लिया गया। इसी तरह कई अन्य स्थानों पर कई थाना क्षेत्रों से अपहृत लड़कियां ट्रेस होने पर एक ही टीम भेजकर उन्हें बरामद करा लिया जाता था। इसके बाद संबंधित थाने से आगे की कार्रवाई पूरी की जाती थी। इसलिए बरामदगी बढ़ गई।