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Jewellery Market: पं. बगाल के कारीगर आएं ताे लौटे सराफा बाजार की 'खनक'

लॉक डाउन में पश्चिम बंगाल के कारीगर लौट गए वापस। अॉर्डर पूरा करवाने के लिए सराफा कारोबारी दिल्ली-मेरठ कर रहे संपर्क।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 09:27 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 09:27 AM (IST)
Jewellery Market: पं. बगाल के कारीगर आएं ताे लौटे सराफा बाजार की 'खनक'
Jewellery Market: पं. बगाल के कारीगर आएं ताे लौटे सराफा बाजार की 'खनक'

आगरा, गौरव भारद्वाज। लॉकडाउन में सराफा बाजार की चमक भी चली गई थी। अनॅलाक में बाजार खुला तो चमक तो वापस आ गई लेकिन खनक अभी तक वापस नहीं आ पाई है। सोने को मनपसंद डिजायन में बदलने वाले हुनरमंद कारीगर अब तक वापस नहीं आए हैं। ऐसे में बाजार में नए जेवरात नहीं बन पा रहे हैं। सराफा कारोबारियों पर ऑर्डर तो हैं, लेकिन कारीगर नहीं है।

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लॉक डाउन लागू होने पर प्रवासी मजदूर वापस अपने राज्य लौट गए थे। इसमें पश्चिम बंगाल के सोने के जेवरात बनाने वाले कारीगर भी थे। अब अनलॉक हुए एक माह से ज्यादा हाे गया है और बाजार खुल गया है तब भी यह कारीगर वापस नहीं आए हैं। वहीं, सराफा बाजार में पिछले दिनों सहालग के चलते सोने के जेवरात का पुराना स्टॉक लगभग खत्म हो गया है। चौबे जी के फाटक स्थित सराफा रिंकू बंसल ने बताया कि लॉकडाउन के बाद सहालग के चलते जो स्टॉक था, उसमें से अधिकांश निकल गया। अब जो भी ऑर्डर हैं, वो पूरे नहीं हो पा रहे हैं। आगरा में 50 से 60 करोड़ रुपये प्रतिदिन सोने के जेवरात का कारोबार हाेता है, लेकिन नए डिजायन न आने से इस पर असर पड़ा है।

एक हजार से ज्यादा हैं कारीगर

ताजनगरी में सोने के जेवरात बनाने वाले पश्चिम बंगाल के एक हजार से ज्यादा कारीगर हैं। श्री सराफा कमेटी रजिस्टर्ड के मंत्री देवेंद्र गोयल ने बताया कि पश्चिम बंगाल में साेने के आभूषण बनाने का बड़ा काम है। ऐसे में वहां के कारीगर इसमें परांगत होते हैं। सराफा इन्हें सोना देकर अपने डिजायन बनवाते हैं। इसके बदले यह मेकिंग चार्ज लेते हैं। नामनेर, नमक की मंडी में बडे़ स्तर पर यह काम होता है। मगर, लॉक डाउन के बाद यह कारीगर वापस नहीं आए हैं। ऐसे में सोने के नए जेवरात नहीं बन पा रहे हैं।

दिल्ली ने भी खडे़ किए हाथ

सराफा कारोबारियों ने बताया कि ऑर्डर पूरे करने के लिए मेरठ, दिल्ली की मंडी में भी संपर्क किया, लेकिन वहां भी यही हाल है। ठेकेदारों ने अभी कोई भी काम लेने से मना कर दिया है। कारीगरों से भी बात हुई, लेकिन उन्होंने अभी वापस आने से मना कर दिया है। उप्र में मेरठ सोने के काम का सबसे बड़ा बाजार है।

रिपेयरिंग तक नहीं हो पा रही

अनलॉक में बाजार खुलने के बाद बहुत से ग्राहक अपने जेवरात सही कराने आ रहे हैं, लेकिन कारीगर न होने के चलते रिपेयरिंग तक नहीं हो पा रही है। सराफा कारोबारी ग्राहकों को कारीगर आने पर फोन कर बुलाने की बात कह रहे हैं।

चांदी कारोबार में लौटी रौनक

सोने के कारीगर न होने के कारण सोने के आभूषण नहीं बन पा रहे हैं, वहीं चांदी का काम शुरू हो गया है। चांदी में आगरा भारत की सबसे बड़ी मंडी है, ऐसे में यहां पर अधिकांश कारीगर स्थानीय है, इसके चलते लॉकडाउन खत्म होते ही काम शुरू हो गया।


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