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आगरा से उठी आवाज, विश्व शांति चाहिए तो संयुक्त राष्ट्र संघ में तत्काल हो सुधार

विश्व शांति के लिए विभिन्न देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ को युद्ध की जांच के लिए अपनी ताकत लगानी चाहिए और सामाजिक क्षेत्र को भी बढ़ावा देना चाहिए। जब तक भूख गरीबी अशिक्षा और अभाव रहेगा विश्व शांति नहीं मिल सकती। विभिन्न राष्ट्रों के बीच असमानता कम होनी चाहिए।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 04:09 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 04:09 PM (IST)
बुद्ध शांति फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई द्वितीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी।

आगरा, जागरण संवाददाता। संयुक्त राष्ट्र संगठन को तत्काल सुधार की आवश्यकता है, अन्यथा यह वर्तमान विश्व परिदृश्य में अपनी प्रासंगिकता खो देगा। यह विचार बुद्ध शांति फाउंडेशन द्वारा आयोजित द्वितीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी व वेबिनार में वक्ताओं ने व्यक्त किए।

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संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कमला नगर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में हुए कार्यक्रम में डोम कंसल्टिंग और सैन जोन कैलिफोर्निया के सीईओ डेनिस ओ'ब्रायन का कहना था कि विश्व शांति के लिए विभिन्न देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ को युद्ध की जांच के लिए अपनी ताकत लगानी चाहिए और सामाजिक क्षेत्र को भी बढ़ावा देना चाहिए। जब तक भूख, गरीबी, अशिक्षा और अभाव रहेगा, विश्व शांति नहीं मिल सकती। विभिन्न राष्ट्रों के बीच असमानता कम होनी चाहिए। लेखक भावना श्रीवास्तव ने यूएनडीपी कार्यकर्ता के रूप में अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि विश्व शांति के लिए दुनिया में शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है। शिक्षा से हम जान सकते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं को बढ़ावा मिलना चाहिए। देहरादून की मानवाधिकार कार्यकर्ता श्वेता राय तलवार ने बताया कि गांधी और उनके अहिंसा, प्रेम व स्नेह के सिद्धांत को सदस्य देशों के बीच बढ़ावा मिले, तो विश्व शांति मिल सकती है। रवांडा की ट्रस्ट इंडस्ट्रीज के महाप्रबंधक हर्बर्ट बरसा काजय ने गृह युद्ध संचालित अफ्रीकी देशों की स्थितियों की समीक्षा कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अशांत व अस्थिर देशों में अपनी शांति सेना तैनात करने में हिचकना नहीं चाहिए।

पत्रकार व स्तंभकार बलूच बिलाल ने बताया कि चीन अपनी धन शक्ति से संयुक्त राष्ट्र को दृढ़ता से प्रभावित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ चीन की कठपुतली मात्र है। मुंबई से आर्ट आफ लिविंग के फैकल्टी एमएस जिग्नासा पांडे ने कहा कि व्यक्तिगत और विश्व शांति के लिए हम वेदों जैसे प्राचीन भारतीय शास्त्र पढ़ें। डा. वीरेंद्र प्रकाश, प्रो. पीके चौबे, संयोजक डा. रजनीश त्यागी, डा. राजीव उपाध्याय, डा. डीएस तोमर, डा. वेद प्रकाश त्रिपाठी, विद्यालय प्रबंधन समिति से एड. विश्वेंद्र सिंह, रतीश शर्मा, आशीष गौतम, विकास शर्मा, संजना सिंह, मृगंग त्यागी, राहुल चौधरी आदि मौजूद रहे।


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