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Karban Nadi: बदहाल है करबन नदी का हाल, कभी गंगा ‘नहाती’ थी; अब उद्धार को कर रही ‘तप’

Karban Nadi बुलंदशहर के खुर्जा में अपर गंगा कैनाल से निकली करबन नदी अलीगढ़ के खैर और इगलास तहसील होते हुए हाथरस जनपद की सादाबाद तहसील को पार कर आगरा जनपद की एत्मादपुर तहसील में पहुंचती है। इस नगी का हाल बेहाल हो गया है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghSat, 27 May 2023 09:22 AM (IST)
Karban Nadi: बदहाल है करबन नदी का हाल, कभी गंगा ‘नहाती’ थी; अब उद्धार को कर रही ‘तप’
बदहाल है करबन नदी का हाल, कभी गंगा ‘नहाती’ थी; अब उद्धार को कर रही ‘तप’

आगरा, जागरण संवाददाता। अपर गंगा कैनाल के पानी से करबन नदी कभी लबालब हुआ करती थी। स्वच्छ गंगा जल इस नदी की पहचान थी। खेतों में सिंचाई होती, किनारे बसे गांवों में भूगर्भ जलस्तर ऊंचा रहता। कैनाल से गंगा जल की आपूर्ति बंद होने से ये नदी अब शहरों के नालों की गंदगी को बहाते हुए सिसकती है।

गंदे नालों और फैक्ट्रियों के अपशिष्ट से प्रदूषित हुई इस नदी की अब ऐसी हालत हो गई कि काला पानी और झाग ही दिखाई देते हैं। आगरा में लोग इसे झरना नाला बोलते हैं। यह प्रदूषित जल यमुना नदी में और प्रदूषण बढ़ा रहा है।

बुलंदशहर के खुर्जा में अपर गंगा कैनाल से निकली करबन नदी अलीगढ़ के खैर और इगलास तहसील होते हुए हाथरस जनपद की सादाबाद तहसील को पार कर आगरा जनपद की एत्मादपुर तहसील में पहुंचती है। यहां नहर्रा, पैसई, बमानी होकर शाहदरा में यमुना में मिल जाती है। अपने साथ विशाल जलराशि लेकर चलने वाली इस नदी का स्वरूप शाहदरा में आते-आते इतना संकरा हो जाता है कि इसे लोग झरना नाला बोलते हैं।

कभी इस नदी में अपर गंगा कैनाल के साथ-साथ अन्य नहरों का पानी भी आता था। वर्षा काल में तो यह नदी लबालब होकर बहती थी। इससे आसपास के गांवों में भूगर्भ जलस्तर भी काफी ऊपर था। मगर, अब यह नदी प्रदूषित हो चुकी है। हाथरस के नालों के साथ ही फैक्ट्रियों का अपशिष्ट भी इसमें मिलता है। इसके कारण यह प्रदूषित हो गई है। अब इसका जल न तो खेती में उपयोगी है और न ही पशुओं के लिए ही उपयोगी है।

आगरा में करबन नदी का हाल

करबन नदी का उपयोग फसल और पशुओं के लिए करते थे। इस नदी का पानी शुद्ध था। अब बहुत प्रदूषित जल है। यह बिल्कुल अनुपयोगी है। पप्पू सिंह, उस्मानपुर अब नदी का जल बहुत प्रदूषित हो गया है। नदी में पुल के पास पानी में झाग ही झाग दिखाई देते हैं। अब इसमें पैर डालने से भी लोग बचते हैं। ओमवीर सिंह, मुड़ी

बेकार साबित हुए चैकडैम

नदी की जलधारा को रोकने के लिए जगह-जगह इसमें चैकडैम बनवाए गए। मगर, इससे नदी में सिल्ट जम गई और नकारात्मक प्रभाव रहा। चैकडैम के पास नदी में सिल्ट जमा हो गई। लागत लगाकर बनाया गया चेकडैम अब बेकार सा पड़ा है।

नदियों में जल संचय को लेकर कर रहे हैं कार्य

सीडीओ ए मनिकंडन ने कहा कि नदियों में जल संचय को लेकर कार्य कर रहे हैं। आवश्यकतानुसार नदी के जल को प्रदूषित होने से बचाने को संबंधित जनपदों के अधिकारियों से भी पत्राचार किया जाएगा। यह किया जा सकता है करबन नदी के माध्यम से गंगाजल लाकर लोकल कैचमेंट एरिया के डिस्चार्ज को रेगुलेट करके उसका उपयोग यमुना नदी में प्रदूषण कम करने में किया जा सकता है। इसके साथ ही जल की उपलब्धता भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। हाथरस और अन्य कस्बों से नालियों में अनट्रीटेड पानी करबन नदी में नहीं छोड़ा जाए। इससे जल प्रदूषण में कमी आएगी।