अटल जी के गांव बटेश्वर की माटी में है दीर्घायु का आशीष
तीन हजार की आबादी में से 200 देख चुके जीवन के अस्सी वसंत। 70 फीसद बुजुर्ग पूरी तरह से स्वस्थ, कई तो अब भी जाते खेत।
आगरा(सत्येंद्र दुबे): जिस बटेश्वर की माटी ने अटल जी को राजनीति का शिखर पुरुष बनने का आशीर्वाद दिया। उसी बटेश्वर की माटी अपने गांव के लोगों को दीर्घायु होने का आशीष भी दे रही है। यहां करीब दो सौ बुजुर्गो की उम्र 80 के पार है।
तीर्थनगरी बटेश्वर में पले-बढ़े अटल जी 93 साल की उम्र में गुरुवार को दुनिया से रुखसत हो गए। उनके निधन का गम सबको है। जो उन्हें करीब से जानता था उसे भी और जिसने केवल नाम सुना था उसे भी। राजनीति के शिखर पुरुष बने अटल जी के बटेश्वर की एक और खासियत है, यहां की माटी दीर्घायु का आशीष भी देती है। विकास की रोशनी से अछूते बटेश्वर में रहने वाले महीपाल की उम्र करीब अस्सी साल हो रही है। लेकिन, अभी भी पूरी तरह स्वस्थ हैं। खेत में फावड़ा चलाना हो या फिर कोई अन्य काम। वह जिम्मेदारी का निर्वहन खुद ही करते हैं। वह कहते हैं कि तीर्थनगरी की माटी में जो पला, वह दीर्घायु होता है। यहां के रामकिशन भी जिंदगी के आठ दशक पार कर चुके हैं। अटल जी की तमाम यादें उनके जेहन में हैं। वह कहते हैं कि मैं अब बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन अभी मन से खुद को जवान ही समझता हूं। रामसनेही तो एक साल बाद 90 के हो जाएंगे। शरीर कुछ कमजोर हो गया है, लेकिन कहते हैं अभी इतनी जल्दी जाने वाला नहीं हूं। ये यहां के मंदिरों का प्रताप है कि हम इतनी लंबी जिंदगी जी रहे हैं। सोबरन को अब आंखों से कम दिखता है, लेकिन जिंदगी के नौ दशक वह पूरे करने वाले हैं। वह कहते हैं कि बटेश्वर गांव की करीब तीन हजार की आबादी में अभी भी 80 से 90 साल के 200 लोग हैं। इनमें सत्तर फीसद पूरी तरह स्वस्थ। वह कहते हैं कि यहां की माटी का ही प्रताप है कि अटल जी भी 93 साल तक जीवित रहे।