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आगरा में हनुमानजी की इस मूर्ति के सामने कोई आया तो हो जाएगा भस्म

आगरा के वजीरपुरा में स्थित हनुमान मंदिर का इतिहास राणा प्रताप के जन्म से भी पहले का है। इस मंदिर के महंत के परिवार की सात पीढिय़ां इस मन्दिर की सेवा में समय बिता चुकी हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 02:45 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2018 02:46 PM (IST)
आगरा में हनुमानजी की इस मूर्ति के सामने कोई आया तो हो जाएगा भस्म
आगरा में हनुमानजी की इस मूर्ति के सामने कोई आया तो हो जाएगा भस्म

आगरा (जेएनएन)। कलयुग के सबसे सक्रिय भगवान माने जाने वाले हनुमान की आज जयंती है। ताजनगरी में एक ऐसा प्राचीन सिद्ध मंदिर है, जिसके कपाट बीते दो सौ वर्ष से सिर्फ हनुमान जयंती पर ही खुलते हैं।

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मान्यता अनुसार मंदिर में विराजमान हनुमानजी पाताल लोक से निकल कर आए हैं और आज तक किसी ने भी यहां विराजित हनुमानजी की मूल मूर्ति को नहीं देखा है। बताया जाता है कि इस मूर्ति में हनुमान जी के तीसरा नेत्र है। अगर कोई सामने आएगा तो वह भस्म हो जाएगा।

राणा प्रताप के जन्म के पहले का है इतिहास

आगरा के वजीरपुरा में स्थित हनुमान मंदिर का इतिहास राणा प्रताप के जन्म से भी पहले का है। इस मंदिर के महंत के परिवार की सात पीढिय़ां इस मन्दिर की सेवा में समय बिता चुकी हैं।

बंद रहते हैं मंदिर के कपाट

महंत बिजेंद्र ने बताया कि इस मंदिर में हनुमानजी त्रिनेत्र वाले हैं, जो अद्भुत हैं। ऐसे हनुमानजी बहुत कम मिलते है। मंदिर के कपाट बन्द रहने के पीछे के कारणों को बताते हुए महंत कहते हैं कि इसका कारण बिल्कुल अलग है। दुनिया में इतना पाप है कि लोग इनके पास आते ही भस्म हो जाएंगे और इसी सोच के लिए सिर्फ हनुमान जयंती पर ही मन्दिर में सबको प्रवेश है। अन्य दिनों में बाहर से ही दर्शन किए जा सकते हैं।

नहीं देखी किसी ने मूल मूर्ति

आजादी से पहले यहां हनुमान जयंती पर सेना तक लगानी पड़ती थी। यहां पर कई किलोमीटर दूर तक अलग- अलग देवताओं के नाम से द्वार बनते थे। अब भी यहां हनुमान जयंती पर बाबा का विशेष श्रृंगार होता है और अखण्ड रामायण का पाठ किया जाता है। महंत के अनुसार मन्दिर की मूल मूर्ति आज तक उन्होंने नहीं देखी। महंत के अनुसार हनुमानजी अब तक छह बार अपना चोला बदल चुके हैं। उनकी उत्पत्ति पाताल से हुई थी। बाबा की मूर्ति नहीं देख पाने के पीछे का कारण यह है कि महंत बिजेंद्र को भी मात्र भोग के लिए अंदर जाने की अनुमति है।

मंदिर के प्रांगण में बहती है भक्ति के सुरों की बयार

मंदिर में 86 वर्ष पहले हनुमान जयंती संगीत समारोह का आयोजन शुरू हुआ, जिसमें सूफी संगीत की बयार बहती रही। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती संगीत समारोह का आयोजन होता है। आज से शुरू हो रहे हनुमान जयंती संगीत समारोह में यहां प्रसिद्ध कलाकार प्रेम गुप्ता, उस्ताद फैयाज खां, कत्थक नृत्याचार्य गुरु जितेंद्र महराज जैसे कलाकारों का आगमन आज हो चुका है। 


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