आगरा के एत्मादपुर में शिक्षक ने खड़ा किया आयुर्वेदिक इलाज का गिरोह, छापा
पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक ने आयुर्वेदिक इलाज का गिरोह खड़ा कर दिया। बिना डिग्री के इलाज कर रहा था।
आगरा : पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक ने आयुर्वेदिक इलाज का गिरोह खड़ा कर दिया। बिना डिग्री के कैंसर से लेकर मधुमेह का इलाज करने के साथ खुद की दवाएं बना रहा था। शनिवार को एसडीएम और क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ने छापा मारकर वैद्य भूप सिंह क्लीनिक को सील कर दिया। इसी परिवार के दो आयुर्वेदिक क्लीनिक और सील किए गए हैं।
एत्मादपुर के खदौली रोड स्थित वैद्य भूप सिंह आयुर्वेदिक क्लीनिक दोपहर में टीम ने छापा मारा। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी नरेंद्र कुमार ने बताया कि सुखवीर सिंह अपने पिता वैद्य भूप सिंह के नाम से क्लीनिक चला रहा था। उसके पास चिकित्सकीय डिग्री नहीं है। स्थानीय लोगों ने उसके पूर्व माध्यमिक विद्यालय मुखवार में शिक्षक होने की जानकारी दी है। वह विद्यालय नहीं जाता है, क्लीनिक पर मरीजों का इलाज करता है। उसने वागेश कुमार पचौरी निवासी नई बस्ती खदौली रोड एत्मादपुर के नाम से आयुर्वेदिक क्लीनिक का पंजीकरण दिखाया। क्लीनिक पर जांच में खुद के बनाए हुए आयुर्वेदिक तेल, बिना लेवल के मधुमेह रोगियों को दिए जाने वाला पाउडर सहित बड़ी संख्या में दवाएं मिलीं। यहां से तीन हजार की दवाएं, खुली हुई एलोपैथिक की टेबलेट जब्त की गई हैं। इन दवाओं के सैंपल जांच को भेजे जा रहे हैं। क्लीनिक को सील कर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।
इसके बाद टीम ने इसी परिवार के वैद्य राजकुमार और वैद्य मुकुल कुमार (हेल्थ केयर और हितैषी चिकित्सालय) के क्लीनिक पर छापा मारा। यहां बड़ी संख्या में आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाएं मिली हैं। बोर्ड पर बीएएमएस लिखा हुआ था लेकिन कोई डिग्री नहीं थी। इन दोनों को सील कर दिया है, दवाएं जब्त की गई हैं। टीम के छापे की सूचना पर वैद्य रूप सिंह क्लीनिक बंद कर भाग खड़ा हुआ। एसडीएम अम्बरीश कुमार बिंद ने बताया कि शिकायत पर छापा मारा गया था।
आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज खोलने जा रहा शिक्षक
सुखवीर सिंह ने कुछ ही सालों में आयुर्वेदिक इलाज का बड़ा नेटवर्क बना लिया है। वह आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज भी खोलने जा रहा है। वहीं, अलीगढ़ के आयुर्वेदिक कॉलेज से बीएएमएस कर रहा है। मरीजों से 500 से एक हजार रुपये
मधुमेह, घुटने का दर्द सहित बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों से 500 से एक हजार रुपये लिए जाते हैं। क्लीनिक पर मरीजों की लाइन लगी रहती है। विद्यालय में न जाकर आयुर्वेदिक क्लीनिक चलाने वाले शिक्षक की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
आनंद प्रकाश शर्मा, बीएसए