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ताजगंज के प्रदूषण रहित शवदाह गृह पर संकट, ढहने के कगार पर

बारिश के दौरान धंस गई जमीन, दो माह से है बंद, एक करोड़ की लागत से ताजगंज श्मशान घाट में बना था यह शवदाह गृह, निर्माण से पूर्व मिट्टी की नहीं कराई गई जांच

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 07:00 AM (IST)
ताजगंज के प्रदूषण रहित शवदाह गृह पर संकट, ढहने के कगार पर

आगरा (जागरण संवाददाता): एडीए के एक और प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार हुआ है। ताजगंज श्मशान घाट में प्रदूषण रहित शवदाह गृह लगाने में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है। मिट्टी की जांच के बिना ही इसे लगा दिया गया है। बारिश ने इसके नीचे की मिट्टी बह गई। इससे यह शवदाह गृह कभी भी ढह सकता है।

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ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को ठोस उपाय सुझाने के आदेश दिए थे। ढाई वर्ष पूर्व तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने प्रदूषण रहित शवदाह गृह लगाने को कहा। कोर्ट ने एडीए को नोडल एजेंसी नामित किया। एडीए ने असर एग्रो को यह शवदाह गृह लगाने का ठेका दिया। वर्ष 2017 में काम चालू हुआ। इस बीच एएसआइ ने काम रुकवा दिया। इससे प्रोजेक्ट छह माह के लिए लेट हो गया। मई 2018 में चार प्लेटफॉर्म और चिमनी तैयार हुई। इस शवदाह गृह से लकड़ियों की खपत कम होगी और धुआं भी कम निकलेगा। इसे चालू किया गया। इसी बीच बारिश शुरू हो गई तो इसे बंद करना पड़ा। बारिश के चलते इस शवदाह गृह के एक हिस्से की मिट्टी यमुना नदी में बह गई। रैंप भी टूट गया। इससे शवदाह गृह को खतरा पैदा हो गया है। दो माह से इसमें एक भी अंतिम संस्कार नहीं हुआ है। इसके बाद भी एडीए के विद्युत व सिविल अनुभाग के इंजीनियरों ने कोई ध्यान नहीं दिया।

इंजीनियरों ने बोला झूठ

दो माह से प्रदूषण रहित शवदाह गृह बंद होने के बाद भी एडीए के इंजीनियर सफेद झूठ बोले रहे हैं। अधीक्षण अभियंता, विद्युत पूरन कुमार का कहना है कि वर्तमान में यह शवदाह गृह चालू है। उनसे पूछा कि अब तक कितने शव जले तो इसका आंकड़ा नहीं दे सके। उन्होंने बताया कि 58 लाख रुपये की लागत से चिमनी लगी है। उन्होंने मिट्टी की जांच से इन्कार किया।

ताजगंज श्मशान घाट में प्रदूषण रहित शवदाह गृह अभी तक हैंडओवर नहीं हुआ है। बारिश के चलते मिट्टी का कटान हुआ है। यह बिना किसी वजह के बंद चल रहा है।

सुनील विकल, अध्यक्ष क्षेत्रीय बजाजा कमेटी

प्रदूषण रहित शवदाह गृह लगने का फायदा नहीं मिल रहा है। एडीए के जो भी इंजीनियर दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

नवीन जैन, मेयर

प्रदूषण रहित शवदाह गृह में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। इस मामले की जांच कराई जाएगी।

एनजी रवि कुमार, डीएम

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एडीए को नोडल एजेंसी बनाया गया था। कोर्ट के समक्ष पूरा मामला रखा जाएगा। मामले की जांच की मांग की जाएगी।

डॉ. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद् व समाजसेवी

प्रदूषण रहित शवदाह गृह का काम पूरा हो गया है। वर्तमान में यह चालू है।

ललित कुमार, मैनेजर असर एग्रो


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