शरद पूर्णिमा पर धवल ताज, आज से होगा संगमरमरी इमारत का रात्रि दर्शन
शरद पूर्णिमा पर ताज महल का नाइट विजन आज से। चार दिनों तक 50- 50 की संख्या में आठ बैच में करेंगे चंद्रमा की रोशनी में ताज का दीदार।
आगरा [जेएनएन]: धवल चांदनी में ताज का दीदार। आसमानी नूर से धरती का चांद ताजमहल जब चमकता है तो सुंदरता का अद्भुत नजारा सामने होता है। जी हां, ऐसा नजारा जो ताजिंदगी स्मृति पटल से ओझल न हो सके। ताज के संगमरमरी हुस्न पर अठखेलियां करतीं चांद की श्वेत रश्मियां। शरद पूर्णिमा, जब चांदनी में ढले संगमरमरी साये को देखें तो लगे जैसे उसके ऊपर बर्फ पिघल रही हो। बुधवार को शरद पूर्णिमा की रात है। चंद्रमा की किरणें ताज को निखारेंगी। धरती का चांद जब चमकेगा तो हर सैलानी वाह चमकी कह उठेगा।
इस चमक को देखने के लिए ही शरद पूर्णिमा की रात ताज के दीदार को पर्यटकों में खासा उत्साह है।
50- 50 के गु्रप में आठ बैच करेंगे चमकी का दीदार
शरद पूर्णिमा पर ताज पर चमकी का नजारा देखने के लिए पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ती है। इसे देखते हुए एएसआइ ने व्यापक इंतजाम कर लिए हैं। 50-50 के ग्रुप में पर्यटकों को शिल्पग्राम से पुलिस सुरक्षा में ताज तक ले जाया जाएगा। रात आठ से 12 बजे तक आठ बैच में पर्यटक ताज का दीदार करेंगे। इसके लिए पयर्टकों ने नियमानुसार एडवांस बुकिंग कराई।
20 वर्षों तक बंदिश में रही चमकी
वर्ष 1983 तक चांदनी रात में ताज निहारने पर कोई बंदिश नहीं थी। उस वक्त ताजमहल पर चमकी मेला लगता था। पर्यटकों के लिए मुख्य गुंबद पर लगी रैलिंग को हटाकर लकड़ी की सीढिय़ां लगा दी जाती थीं, जिनपर चढ़कर पर्यटक मुख्य गुंबद तक पहुंचते थे और चमकी को और करीब से महसूस करते थे। उस वक्त ताजमहल पूरी रात खुलता था। 1984 में सुरक्षा कारणों के चलते ताज का रात्रि दर्शन बंद कर दिया गया। इसके 20 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवंबर, 2004 में रात्रि दर्शन फिर शुरू हुआ। तब से हर माह पूर्णमासी पर पांच दिन (पूर्णिमा के दो दिन पहले, पूर्णिमा और उसके दो दिन बाद) ताज का रात्रि दर्शन कराया जाता है।
एक दिन पहले खरीदना होता है टिकट
ताजमहल का चांदनी रात में दीदार करने के लिए टिकट को एक दिन पहले खरीदना पड़ता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के माल रोड स्थित कार्यालय से ये टिकट लेना होता है। नाइट विजिट के एक दिन पहले टिकट खरीदना पड़ता है। ताजमहल को देखने के लिए पूर्वी गेट से पर्यटकों को स्मारक में प्रवेश मिलता है। हालांकि चमकी कम ही देखने को मिल पाती है। लेकिन, चांद की रोशनी में सफेद संगमरमरी हुस्न की इमारत बेहद ही आकर्षक लगती है।
नहीं होता असली चमकी का दीदार
शरद पूर्णिमा पर चांद रात एक से डेढ़ बजे के बीच अपनी धवल चांदनी से ताज को सराबोर करता है। उस समय वो ताज के ठीक ऊपर होता है, लेकिन ताज 12 बजे ही बंद कर दिया जाता है। इसके चलते पर्यटक असली चमकी का दीदार नहीं कर पाते। चांदनी रात में चांद को निहारने की समय सीमा भी निर्धारित है। महज आधा घंटे का समय ही पर्यटकों के एक बैच को मिल पाता है। पर्यटक सिर्फ ताज महल के वीडियो प्लेटफॉर्म तक ही जा सकते हैं, जहां से मुख्य मकबरे की दूरी करीब 300 मीटर है। ऐसे में पर्यटक चमकी के नजारे का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते।