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ताज प्रकरण: अब आसान नहीं होगा रोक हटाना

कोर्ट ने कहा,11 अप्रैल को हुई बैठक के मिनट्स तैयार कराने की जिम्मेदारी टीटीजेड का काम देखने वाले एडीए की थी। उसने इसमें काफी देरी की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 10:44 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 10:44 AM (IST)
ताज प्रकरण: अब आसान नहीं होगा रोक हटाना

आगरा(जागरण संवाददाता): ताजनगरी में उद्योगों की स्थापना व विस्तार पर लगी रोक को हटाना अब आसान नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए हुई बैठक को ही कठघरे में खड़ा किया है। बैठक के औचित्य पर सवाल खड़े होने से अब उसमें हुए निर्णयों की स्थिति भी सवालों के घेरे में है।

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ताजनगरी में कमिश्नरी सभागार में 11 अप्रैल को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव केसी मिश्रा की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें आठ सितंबर, 2016 से ताजनगरी में लगी तदर्थ रोक को हटाने पर अधिकारियों व स्टेक होल्डर्स के साथ विचार-विमर्श किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता एमसी मेहता द्वारा दायर याचिका में बैठक के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा है कि स्थायी रोक को तदर्थ रोक में बदलने का प्रयास किया गया है। 11 अप्रैल को हुई बैठक के मिनट्स तैयार कराने की जिम्मेदारी टीटीजेड का काम देखने वाले एडीए की थी। उसने इसमें काफी देरी की। हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस बैठक के मिनट्स जारी किए हैं। बैठक के औचित्य पर ही सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके बाद उसके निर्णयों को लागू कराने पर असमंजस की स्थिति हो गई है।

प्रदूषण बरकरार रहने तक नहीं हट सकती रोक:

केंद्रीय सचिव सीके मिश्रा ने बैठक में स्पष्ट किया था कि जब तक ताज ट्रेपेजियम जोन में प्रदूषण कम नहीं होगा, तब तक रोक हटाना संभव नहीं होगा।

इसीलिए हुई यह स्थिति:

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों को चार श्रेणियों व्हाइट, ग्रीन, ऑरेंज व रेड में वर्गीकृत किया था। इनमें ताज ट्रेपेजियम जोन को व्हाइट कैटेगरी में रखा गया। इस कैटेगरी में केवल 36 श्रेणी के उद्योग रखे गए थे। व्हाइट कैटेगरी में होटल व हॉस्पीटल भी नहीं बन सकते हैं।

अध्ययन पर भी सवाल:

बैठक में हुए निर्णयों के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ताज के परिवेश में प्रदूषक तत्वों की जांच को अध्ययन शुरू कराया है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद की पर्यावरण संबंधी समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस अध्ययन के औचित्य पर सवाल खड़े किए हैं।

सचिव ने टीटीजेड को दिए थे निर्देश:

कमिश्नर के. राम मोहन राव ने बताया कि 11 अप्रैल को हुई बैठक में तय हुआ था कि आठ सितंबर, 2016 से पहले जो इकाइयां संचालित हैं, उन पर तदर्थ रोक प्रभावी नहीं होगी। इन इकाइयों को वर्ष 1996 में कोयले के आधार पर गैस आवंटित की गई थी। वह आवंटित गैस से कम गैस का उपयोग कर रही थीं, लेकिन अब वह पूर्व में आवंटित गैस की मांग कर रही हैं। सचिव पर्यावरण मंत्रालय ने टीटीजेड प्राधिकरण को निर्णय लेने के निर्देश दिए थे, जिसके अनुपालन में कांच इकाइयों को अनुमति दी गई है। हालांकि, इस पर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बड़े किसी बैठक के मिनट्स नहीं हो सकते।


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