'सफेद जहर' से जिंदगी खतरे में
जागरण संवाददाता, आगरा: दीपावली करीब आने के साथ ही दूध और मिठाइयों की मांग तेज हो गई है। जनपद में सिंथेटिक दूध (सफेद जहर) और मिलावटी मावा बनाने का कारोबार भी बढ़ गया है। अनुमान के मुताबिक, जनपद में रोजाना तीन लाख लीटर सिंथेटिक दूध बनता और कारोबार होता है। इसकी आपूर्ति दिल्ली समेत पड़ोसी जनपदों में भी होती है।
जागरण संवाददाता, आगरा: दीपावली करीब आने के साथ ही दूध और मिठाइयों की मांग तेज हो गई है। जनपद में सिंथेटिक दूध (सफेद जहर) और मिलावटी मावा बनाने का कारोबार भी बढ़ गया है। अनुमान के मुताबिक, जनपद में रोजाना तीन लाख लीटर सिंथेटिक दूध बनता और कारोबार होता है। इसकी आपूर्ति दिल्ली समेत पड़ोसी जनपदों में भी होती है।
बीते एक सप्ताह से खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन रोजाना ही सिंथेटिक दूध और मिलावटी मिठाइयां बनने की आशंका में इनकी सैंपलिंग कर रहा है। ये साबित करता है कि जिले में इस कारोबार की जड़ें कितनी गहरी हैं? एत्मादपुर, खेरागढ़ और बाह क्षेत्र इस कारोबार के लिए बदनाम हैं। देहात क्षेत्र होने के कारण ये इलाके इन कारोबारियों के लिए मुफीद हैं। लंबे समय से ये लोग यूरिया, डिटर्जेट, स्टार्च, फार्मेलिन आदि मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार करते हैं। इस कारोबार में लिप्त लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने की बात भी समय- समय पर सामने आती रही है।
दिल्ली-गु़जरात में भी सिंथेटिक दूध की आपूर्ति
आगरा में यह कारोबार किस कदर फल-फूल रहा है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां से इस तरह के दूध की आपूर्ति पड़ोसी जनपद एटा, हाथरस, फीरोजाबाद के अलावा दिल्ली, राजस्थान और गुजरात में भी होरी है। बता दें कि यहां रोजाना दूध का उत्पादन तकरीबन बीस टन है, लेकिन खपत इससे अधिक।
- मिलावटी मावा से बन रहीं मिठाइयां
दीपावली में मिठाइयों की खपत बढ़ जाती है। इसलिए इसे बनाने में मिलावटी मावे का भी प्रयोग किया जा रहा है।
एक किलो दूध से तकरीबन दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे मावा बनाने वालों और व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं हो पाता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है। इसे बनाने में शकरकंदी, सिंघाडे़ का आटा, आलू और मैदा का इस्तेमाल होता है। नकली मावा बनाने में स्टार्च और आलू इसलिए मिलाया जाता है ताकि मावे का वजन बढ़े। कुछ दुकानदार आटा भी मिलाते हैं।
-मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध के नुकसान
फिजीशियन डॉ. डीपी शर्मा ने बताया कि मिलावटी मावा और सिंथेटिक दूध पीने से उल्टी-दस्त की बीमारी हो सकती है। किडनी और लीवर भी प्रभावित हो सकता है। इस कारण पाचन क्रिया प्रभावित हो जाती है।
-ऐसे करें सिंथेटिक दूध की पहचान
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की डीओ डॉ. श्वेता सैनी ने बताया कि सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है, इसका स्वाद कुछ कड़वा होता है। देर तक रखने पर इसका रंग पीला पड़ने लगता है। असली दूध में ऐसा नहीं होता। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। इसका रंग नहीं बदलता।
वर्जन
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अभिहित अधिकारी डॉ. श्वेता सैनी ने बताया कि मिलावटी कारोबारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है।
दूध खराब होने पर कई बार लोग शिकायत नहीं करते हैं। इससे सिंथेटिक दूध को पकड़ना कठिन हो जाता है। दूध का स्वाद खराब है और सिंथेटिक होने का शक है तो इसकी शिकायत कलक्ट्रेट स्थित उनके कार्यालय में की जा सकती है।