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एक गांव ऐसा, जहां डकैतों की होती है पूजा, जानिए क्यों

बाह में कुख्यात डाकू मान सिंह और रूप सिंह का बना है मंदिर। हर दिन होती है पूजा, लगाया जाता है भोग।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 12:32 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 12:32 PM (IST)
एक गांव ऐसा, जहां डकैतों की होती है पूजा, जानिए क्यों
एक गांव ऐसा, जहां डकैतों की होती है पूजा, जानिए क्यों

आगरा, अमित दीक्षित। चंबल के बीहड़ में एक से बढ़कर एक डकैतों ने पनाह ली। सालों तक यह पुलिस- प्रशासन की आंखों में खटकते रहे। कुख्यात इतने कि उप्र हो या फिर मध्य प्रदेश व राजस्थान। दशकों तक आतंक का पर्याय बने रहे। अमीरों को लूटा और गरीबों के लिए खजाने के द्वार खोल दिए। आगरा में एक गांव ऐसा भी है। जहां दो डकैतों के मंदिर बने हुए हैं। मूर्तियां स्थापित हैं। हर दिन पूजा होती है और भोग लगता है। पुण्य तिथि में भंडारे सहित अन्य का भी आयोजन होता है।

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हम बात कर रहे हैं बाह तहसील के खेड़ा राठौर गांव की। इस गांव में कई डकैत हुए। वर्ष 1950 में कुख्यात डकैत मान सिंह के नाम से लोग थर्रा उठते थे। उप्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान के नाम कई मुकदमे दर्ज थे। मध्य प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान मान सिंह को पुलिस ने मार गिराया था। परिजनों ने मान सिंह की याद में गांव में मंदिर बनवाया। यह मंदिर वर्ष 1984 में बना था। मंदिर में मान सिंह और पत्नी रूक्मणि देवी की मूर्ति स्थापित है। हर दिन लोग पूजा करते हैं। मान सिंह की मौत के बाद गैंग की कमान रूप नारायण के पास आ गई थी। रूप सिंह ने भी गैंग को आगे बढ़ाया। रूप के खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज थे। गांव में मान सिंह के अलावा रूप सिंह का भी मंदिर बना हुआ है। जहां हर दिन पूजा होती है और लोग श्रद्धा से माथा टेकते हैं।

इसलिए होती है पूजा

मान सिंह और रूप सिंह की मूर्ति स्थापना और पूजा के पीछे कई कहानियां हैं। दोनों ने असहायों की मदद की और गरीब कन्याओं का विवाह कराया। कभी किसी गरीब को नहीं सताया। बीमार लोगों के इलाज में मदद की।

 

तहसीलदार ने लड़ा था चुनाव

मान सिंह के बेटे तहसीलदार सिंह ने जसवंत नगर से विधानसभा चुनाव लड़ा था। तहसीलदार ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। जिसमें वह हार गए थे। तहसीलदार ने आचार्य विनोबा भावे के समक्ष मध्य प्रदेश में समर्पण किया था।

रंजिश की वजह से बने थे बागी

मान सिंह के पौत्र जन्डैल सिंह डकैत शब्द की बात चलते ही चिढ़ जाते थे।  वह कहते हैं कि रंजिश की वजह से बागी बने थे। दोनों बाबा मान सिंह और नवाब सिंह बागी बने थे। वह (मान सिंह) धार्मिक प्रवृत्ति के थे। तत्कालीन सरकार से कुछ मांगें थीं। न्याय न मिलने पर मजबूरन हथियार उठाने पड़े। जन्डैल सिंह खुद गैंग के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं।

महिलाओं का करते थे आदर और सम्मान

खेड़ा राठौर के ग्रामीण बताते हैं कि मान सिंह व तहसीलदार सिंह महिलाओं का आदर व सम्मान करते थे। बीहड़ से अगर कोई भी महिला गुजरते वक्त उनसे टकरा जाती थी तो वह उनके गांव की बहू- बेटियों को तीन से पांच रुपये तक देते थे।

शादी का उठाते थे पूरा खर्चा

गरीब बेटियों की शादी का पूरा खर्चा मान सिंह व रूप सिंह उठाते थे। नव दंपती को उपहार भी देते थे।


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