कैसे निकलेंगे खेल के मैदान से हीरे, अच्छी खुराक की कमी निकाल रही दम Agra News
एक खिलाड़ी को दिन भर में लेनी होती है 3 से 5 हजार कैलोरी। डाइट महंगी होने के चलते गरीब खिलाड़ी नहीं कर पाते फॉलो।
आगरा, जागरण संवाददाता। स्थानीय स्तर पर प्रतिभाओं की कमी नहीं लेकिन बहुत सी प्रतिभाएं प्रादेशिक स्तर पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाती हैं। किसी खिलाड़ी का प्रदर्शन उसकी मेहनत और जुनून पर निर्भर करता है। उस जोश और जुनून के साथ शारीरिक क्षमता के लिए आवश्यक हैै कि खिलाड़ी को भरपूर डाइट मिले। यहां खिलाडिय़ों के गिरते प्रदर्शन के पीछे उनका डाइट चार्ट को वहन न कर पाना है। सरकार भी इसमें मदद देने में सीमित है।
खिलाड़ी जो दिनभर अभ्यास करता है, प्रतियोगिता में भाग लेता है उसके लिए सामान्य भोजन ही काफी नहीं होता। प्रत्येक खिलाड़ी को उसके वर्क आउट के स्तर से भोजन में अतिरिक्त कैलोरी लेनी होती है। यह खिलाड़ी के लिए निर्धारित कैलोरी चार्ट से मिलती है। यह भार एक खिलाड़ी पर 500 से 700 रुपये प्रतिदिन पड़ता है। भारत जैसे विकास शील देश में अधिकतर खिलाड़ी मध्यम वर्ग या गरीब परिवारों से आते हैं। ऐसे में इस डाइट के खर्च को वहन कर पाना इनके परिवार की क्षमता से बाहर होता है। डाइट चार्ट को फॉलो न कर पाने से अच्छी लय में चल रहा खिलाड़ी भी पिछडऩे लगता है और उसका करियर थम जाता है।
यह है डाइट चार्ट
एक खिलाड़ी के अभ्यास और आयुवर्ग को देखते हुए कैलोरी की मात्रा के आधार पर डाइट चार्ट बनता है। पूर्व एथलीट और एशियन गेम्स पदक विजेता रतन सिंह भदौरिया बताते हैं कि एक सीनियर एथलीट को 3 हजार से 5 हजार तक की कैलोरी प्रतिदिन के हिसाब से लेनी होती है। इससे महीने में 15 से 20 हजार का खर्च आता है। इस कैलोरी के लिए खिलाड़ी को दिन में दो अंडे, विटामिन और मिनरल्स, ब्रेड, केले, दूध, बादाम, प्रचुर मात्रा में नॉन वेज, कारबोहाड्रेड के लिए दाल-चावल आदि लेना होता है।
खिलाडिय़ों की डाइट के लिए खेल विभाग के प्रयास
खिलाडिय़ों के लिए डाइट की व्यवस्था के लिए खेल विभाग के प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर हैं। यहां उन्हीं खिलाडिय़ों को सरकार डाइट दे पाती है जो साई के हॉस्टल में दाखिल हो पाते हैं या जो अपनी मेहनत के दम पर नेशनल कैंप के लिए चुने जाते हैं। ऐसे में स्थानीय स्तर पर उभर रहे खिलाडिय़ों को सही डाइट नहीं मिल पाती। वह पिछडऩे लगते हैं। वहीं यूपी बोर्ड या एसजीएफआइ की खेल प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों को खेल विभाग कुछ नहीं देता।
चाइना में सरकार ने दिया डाइट पर ध्यान
पूर्व अंतरराष्ट्रीय एथलीट रतन सिंह भदौरिया का कहना है कि मानसिक थकान की जगह शारीरिक थकान में अधिक कैलोरी की जरूरत होती है। हमारे देश में कम आयु के खिलाडिय़ों को बेहतर डाइट मिले तो वह अच्छे खिलाड़ी बनेंगे। चाइना में अच्छी डाइट के चलते अब वहां के खिलाडिय़ों की हाइट बढ़ती जा रही है।