अम्मी और अब्बा की इच्छा पूरी कराने के लिए मोपेड से निकला बेटा, पढ़ें कलयुग के श्रवण कुमार की कहानी
907 किलोमीटर का सफर तय करके अजमेर में कराई माता-पिता को कराई जियारत। मोपेड पर तीन लोग और खाने पीने का सामान हैं। इसलिए रात में सफर करना सुरक्षित नहीं है। हांलाकि मुस्तफा यातायात नियमों का भी उल्लंघन कर रहे हैं।
आगरा, सुबान खान। भारतीय पौराणिक इतिहास में श्रवण कुमार ने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए तीर्थस्थल घुमाया था। ठीक उसी तरह कलयुग में भी बहुत से ऐसे बेटा है, जो माता-पिता की आज्ञा और उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं। ऐसे ही आंबेडकर नगर निवासी मुस्तफा हैं। उन्होंने अपने माता-पिता को बिक्की पर बैठकर ही 907 किलोमीटर की यात्रा कराई और उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज मोइनुद्दीन की दरगाह में जियारत कराई है।
मुस्तफा सोमवार को अजमेर से लौटते समय आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में पहुंचे। उन्होंने बताया कि मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। अम्मी को बस में परेशानी होती है। इस बार आमी और अब्बा की एक साथ हजरत ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर जियारत करने की इच्छा थी। इस इच्छा को पूरा कराने के लिए टीवीएस कंपनी की मोपेड (बिना गियर वाला स्कूटर) पर ही खाद्य सामग्री व कपड़े लेकर 14 फरवरी को निकल पड़े थे। 16 फरवरी को अजमेर पहुंचकर दरगाह में मन्नत का धागा बांधा था। फिर ख्वाजा गरीब नवाज की छठवीं शरीफ में शामिल हुए थे। मुस्तफा के पिता हकीम सरफराज अहमद ने बताया कि 21 फरवरी को अजमेर लगभग 390 किलोमीटर का सफर तय करके आगरा पहुंचे हैं। यहां से चलने के बाद लखनऊ में रुकेंगे। ऐसे ही रुकते-रुकते अपने जिले आंबेडकर नगर पहुंच जाएंगे।
दिन में करते हैं सफर
मुस्तफा की मां मोहजहां खातून ने बताया कि मोपेड पर तीन लोग और खाने पीने का सामान हैं। इसलिए रात में सफर करना सुरक्षित नहीं है। हांलाकि मुस्तफा यातायात नियमों का भी उल्लंघन कर रहे हैं।