शहीदी पर्व पर दी प्यासों को राहत, कीर्तन दरबार में बही भक्ति की बयार
शहरभर में मनाया गया सिक्खो के पांचवे गुरु अर्जुन देव का शहीदी पर्व। प्याऊ और कीर्तन दरबार के हुए आयोजन
आगरा(जागरण संवाददाता): सिक्खों के पांचवे गुरु अर्जुन देव के शहदत दिवस पर शहर के विभिन्न गुरुद्वारों पर कीर्तन दरबार सजाया गया। भक्तिपूर्ण भजनों के साथ सेवा कार्य भी लोगों ने किया। भीषण गर्मी में राहगीरों को राहत देते हुए जगह- जगह मीठे जल की प्याऊ लगाई गई।
गुरुद्वारा गुरु के ताल पर संत बाबा प्रीतम सिंह की अगुवाई में बाईपास पर सबसे बड़ी छबील लगाई गई। साथ ही बंदियों के लिए सेंट्रल जेल और गुरुद्वारा दमदमा साहिब पर भी सुबह नौ बजे से छबील लगाई गई। मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह, समन्वयक बन्टी ग्रोवर, अमर सिंह, महंत हरपाल सिंह, ग्रंथी हरबंस सिंह, बाबा ईसर सिंह, जसवंत सिंह, रानी सिंह, रानी स्वानी आदि उपस्थित रहे।
वहीं गुरुद्वारा माईथान में कीर्तन दरबार सजाया गया। साध- संगत द्वारा गाए गए जपयो जिन अर्जुन देव गुरु, फिर संकट जोन गरभ नहिं आयो..जैसे भक्तिमय भजनों का लोगों ने आनंद लिया। हजूरी दरबार में श्री गुरु ग्रंथ साहब के प्रकाश एवं हुकुमनामे के साथ दीवान की आरंभता हुई। गुरु का लंगर शाम तक चलता रहा। लंगर की सेवा गुरु पंथ के दास और जोड़ों की सेवा कलगीधर सिख सेवक जत्थे ने की। समापन पर हैड ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने विश्व शांति की अरदास की। प्रधान कंवलदीप सिंह और पाली सेठी ने रागी जत्थों को सरोपा भेंट किया। इस अवसर पर परमात्मा सिंह, राना रंजित सिंह, देवेंद्र, सतविंदर, हरमिंदर, मीडिया प्रभारी कुमार ललित उपस्थित रहे।
धर्म और देश के लिए अर्जुन देव ने दी थी शहादत
मुगल बादशाह जहांगीर को चंदू वजीर ने अर्जुन देव के लिया भड़काया था। गुरु अर्जुन देव ने तेरा भाना मीठा लागे हर नाम पदार्थ नानक मागे का नाम जाप करते हुए अपनी शहादत दी थी। उन्हें तपती तवे पर बैठाकर उनके शरीर पर जलती रेत डालकर यातनाएं दी गई थीं। उनकी शहादत 1606 ईसवी में हुई थी। गुरु अर्जुन देव ने पांच गुरुओं एवं 15 भक्तों की वाणी को संकलित कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन एवं संपादन किया था।