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शायर राहत इंदौरी ने आगरा में कहा, हिंदुस्तान में पैदा हुई उर्दू आज जर्मनी, नार्वे पहुंची

आगरा में हो रहे मुशायरे में करने आए थे शिरकत। दैनिक जागरण के सवाल पर कहा इंटरनेट, तकनीक के आने से कम नहीं हुए बल्कि बढ़ गए साहित्य के कद्रदान।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 07:00 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 07:00 PM (IST)
शायर राहत इंदौरी ने आगरा में कहा, हिंदुस्तान में पैदा हुई उर्दू आज जर्मनी, नार्वे पहुंची
शायर राहत इंदौरी ने आगरा में कहा, हिंदुस्तान में पैदा हुई उर्दू आज जर्मनी, नार्वे पहुंची

आगरा, जागरण संवाददाता। यह कहना अफसोसजनक है कि उर्दू के कद्रदान घट रहे हैं। उर्दू हिंदुस्तान में पैदा हुई और इसके केंद्र इलाहाबाद, हैदराबाद, लखनऊ, अलीगढ़, दिल्ली हुआ करते थे। अब यह देश की सरहदें पार कर जर्मनी, नार्वे आदि देशों तक पहुंच गई है।

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शनिवार को आगरा में हो रहे अखिल भारतीय मुशायरे व कवि सम्मेलन में शिरकत करने आए शायर राहत इंदौरी ने 'दैनिक जागरण' से यह बात कही। उन्होंने बताया कि हमने अपने बुजुर्गों से सुना था कि जैसे- जैसे, विज्ञान, तकनीकी और इंटरनेट आगे बढ़ता जाएगा, साहित्य पीछे छूटता जाएगा। ऐसा हुआ नहीं। आज मैं आइआइटी और इंजीनियङ्क्षरग कॉलेजों में जाता हूं तो देखता हूं कि हजारों की तादाद में लोग शायरी पसंद करते हैं। इससे यह अंदाजा होता है कि उर्दू शायरी की शोहरत और कबूलियत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। उर्दू पढऩे वालों की संख्या कम होने पर उन्होंने कहा कि भाषाएं समय के साथ अपनी शक्लें बदलती हैं, लेकिन वो मरती नहीं हैं। उर्दू का मूल अरबी भाषा में है। अरबी में ही धर्मग्रंथ लिखे गए हैं। जब तक धर्म जिंदा है, अरबी जिंदा है, उसके बोलने वाले हैं, धर्मग्रंथ हैं, तब तक उर्दू भी रहेगी।


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