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कोर्ट रूम में गोलीकांड: सात पुलिसकर्मी गिरफ्तार, पत्‍नी ने पहुंचाया था तमंचा Agra News

घटना में पुलिसकर्मियों की लापरवाही और संलिप्तता की जानकारी सामने आई। मैनपुरी एडीजे4 के कोर्ट की है घटना।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 12:32 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 09:18 PM (IST)
कोर्ट रूम में गोलीकांड: सात पुलिसकर्मी गिरफ्तार, पत्‍नी ने पहुंचाया था तमंचा Agra News

आगरा, जेएनएन। मैनपुरी कोर्ट रूम गोलीकांड में लापरवाही बरतने वाले सात पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। सोमवार को पिता, सौतेली मां व सौतेले भाई की हत्या में सात साल से जेल में बंद मनीष ने एडीजे-4 के कोर्ट में खुद पैर में गोली मार ली थी। उसका इरादा बहन के प्रेमी को फंसाने का था। अन्य बंदियों से पूछताछ में पूरा मामला खुल गया। जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह व एसपी अजय कुमार ने पत्रकारों को बताया कि घटना में पुलिसकर्मियों की लापरवाही और संलिप्तता की जानकारी सामने आई है। इस मामले में एलआइयू के मुख्य आरक्षी विजय सिंह, सिपाही दिलीप कुमार, आरक्षी रमाकांत उपाध्याय, सत्यवीर सिंह, प्रदीप राजा, योगेंद्र सिंह और महिला आरक्षी कुसुम चाहर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

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पत्नी छिपाकर कोर्ट में लाई थी तमंचा

मनीष की पत्नी सीमा तमंचा कपड़ों में छिपाकर लाई थी। उसको भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। सीमा को तमंचा विनोद ने लाकर दिया था। विनोद की तलाश की जा रही है। एसपी ने बताया कि घटना की योजना एक वकील ने तैयार की थी।

ये हुई थी घटना

मैनपुरी के थाना करहल के गांव जलालपुर के मनीष यादव की दो सह आरोपित वीरेंद्र निवासी बसई, थाना बकेवर इटावा व कमलेश निवासी आलमपुर थाना भरथना इटावा के साथ सोमवार को एडीजे-चार तरुण कुमार की कोर्ट में पेशी थी। दोपहर बाद साढ़े तीन बजे मनीष समेत तीनों कठघरे में खड़े थे। न्यायाधीश कोर्ट में नहीं थे, तभी अचानक गोली चलने की आवाज गूंजी। इसकी जानकारी पर दीवानी परिसर को छावनी बना दिया गया। बंदियों ने पुलिस को बताया कि मनीष पैर में तमंचा बांधकर लाया था। उसने खुद ही पैर में गोली मारी है। मनीष का आरोप है कि उसकी बहन का प्रेमी प्रिंस निवासी खेरिया, थाना औंछा (मैनपुरी) उसे गोली मारकर भाग गया है। पुलिस ने कोर्ट में पड़ा तमंचा कब्जे में ले लिया। घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है।

मां-बाप व भाई की हत्या का है आरोपित

मनीष पर नौ अक्टूबर, 2012 को पिता सुखलाल, सौतेली मां सुषमा और सौतेले भाई अभिषेक की हत्या करने का आरोप है। 15 अक्टूबर, 2012 से वह जेल में निरुद्ध है।

कड़ी सुरक्षा, फिर भी कोर्ट में पहुंचा तमंचा

बिजनौर के कोर्ट में हत्या की घटना के बावजूद जिले में सुरक्षा के प्रति पुलिस सक्रिय नहीं है। इसका प्रमाण सोमवार को तब देखने को मिला जब हत्यारोपित मनीष कोर्ट रूम में तमंचा लेकर पहुंच गया और फायर कर दिया। इससे कई सवाल उठ खड़े हो गए हैं। क्या मनीष की जेल से निकलते वक्त तलाशी नहीं हुई? उसे कोर्ट तक पुलिस अभिरक्षा में ही लाया गया। फिर वह तमंचा कैसे ले आया? इधर, एसपी अजय कुमार ने दीवानी सुरक्षा की ड्यूटी में तैनात इंस्पेक्टर विजय सिंह गौतम, सिपाही सत्यवीर, एलआइयू सिपाही दिलीप और मनीष को पेशी पर ले जाने वाले सिपाही प्रदीप राजा को निलंबित किया है।

दीवानी परिसर की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों ने पहले ही कड़े निर्देश दिए थे। 18 दिसंबर को बिजनौर में हुई घटना के बाद सुरक्षा के इंतजाम और भी पुख्ता करने को कहा गया था। कुछ दिन तक तो निर्देशों का असर दिखाई दिया, बाद में जांच के नाम पर औपचारिकता होने लगी। सोमवार को हुई इस घटना से दीवानी आने-जाने वालों में दहशत दिखाई दी। वहीं अधिवक्ताओं ने आक्रोश जताते हुए पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना से सुरक्षा इंतजामों को लेकर सवाल खड़े हो गए है। कोर्ट भवन के प्रवेश द्वार पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगाए गए है। अंदर जाने वालों लोगों को इन्हीं डोर प्रेम से होकर गुजरना पड़ता है। इस डोर से यदि कोई लोहे की वस्तु गुजरती है तो डिटेक्टर सूचना देता है। सोमवार को यदि तमंचा इस डोर गुजरा है तो डिटेक्टर ने सूचना क्यों नहीं दी। कभी-कभी इस डोर की ड्यूटी पर लगाए जाने वाले पुलिसकर्मी अलग हट कर बातचीत करने लगते है।

कोर्ट मुहर्रिर ने दर्ज कराई एफआइआर

घटना के समय कोर्ट मुहर्रिर देवेंद्र कुमार कोर्ट के अंदर मौजूद था। उसने घटना को अपनी आंखों से भी देखा है। कोर्ट मुहर्रिर द्वारा शहर कोतवाली में आरोपित मनीष के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा रही है।

घायल हत्यारोपित सैफई रेफर

गोली लगने से घायल मनीष को जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। पुलिस ने प्राथमिक उपचार के बाद उसकी हालत को देखते हुए सैफई रेफर किया है। पुलिस की एक टीम उसे अपनी सुरक्षा में इलाज के लिए सैफई ले गई है।

दीवानी में चला तलाशी अभियान

घटना के बाद पुलिस ने दीवानी परिसर के दोनों गेट बंद कर दिए। अंदर मौजूद किसी भी व्यक्ति को बाहर नहीं जाने दिया गया। गहनता से तलाशी अभियान चला। पुलिस का मानना था कि तमंचा पहुंचाने वाले दीवानी परिसर में हो सकते हैं, लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति पकड़ में नहीं आया है।


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