Jagannath RathYatra: बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ को दिया काढ़ा, जानिए क्या है परंपरा
Jagannath RathYatra विश्राम कक्ष में भगवान जगन्नाथ की चल रही नियमित सेवा। जगन्नाथ घाट स्थित जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों रथयात्रा महोत्सव की तैयारियां जोशीले अंदाज में शुरू हो चुकी हैं। 12 जुलाई को रथयात्रा की तैयारियों में हर संत और कर्मचारी जुटा है।
आगरा, जेएनएन। सहस्त्रधारा से स्नान के बाद बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ का अब सेवायत आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार कर रहे हैं। भगवान को दवा स्वरूप काढ़ा अर्पित किया जा रहा है, तो ड्राईफ्रूट उन्हें भोग में अर्पित हो रहे हैं। बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ भले ही अपने भक्तों को दर्शन नहीं दे रहे। लेकिन विश्राम कक्ष में भगवान जगन्नाथ की नियमित सेवा की जा रही है।
जगन्नाथ घाट स्थित जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों रथयात्रा महोत्सव की तैयारियां जोशीले अंदाज में शुरू हो चुकी हैं। 12 जुलाई को रथयात्रा की तैयारियों में आश्रम के महंत स्वामी ज्ञानप्रकाश पुरी के अलावा हर संत और कर्मचारी जुटा है, तो बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ को आयुर्वेदिक उपचार विधि से दुरुस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। आश्रम के महंत स्वामी ज्ञानप्रकाश पुरी ने बताया, ठाकुरजी को नियमित रूप से काढ़ा दिया जा रहा है। भगवान के लिए दालचीनी, जावित्री, कालीमिर्च, लौंग, इलायची को उबालकर भगवान का काढ़ा तैयार करके उन्हें अर्पित किया जा रहा है। इन दिनों में भगवान को चावल का भोग अर्पित नहीं होता। सूखे मेवा ही भोग में अर्पित हो रहे हैं। लेकिन विश्राम कक्ष में ठाकुरजी की नियमित सेवा चल रही है, नियमित आरती के साथ अंगसेवा हो रही है। ये सारी सेवाएं स्कंद पुराण के उत्कल खंड में जो नियम बताए गए हैं, उसके अनुसार ही चलती हैं। अब ठाकुरजी 12 जुलाई की भोर में भक्तों को दर्शन देंगे। इसी दिन शाम को रथयात्रा निकलेगी। इस बार कोविडकाल के चलते रथयात्रा की अनुमति मिलती है, तो नगर भ्रमण को रथ में बैठ भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा निकलेंगे। अगर, अनुमति न मिली तो आश्रम में ही भगवान रथों में आरूढ़ होकर भ्रमण करेंगे।