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मैनपुरी में भ्रष्टाचार की गंदगी से हारा मोदी का स्वच्छ भारत मिशन

मैनपुरी जिला की सबसे बड़ी गांव पंचायत में शौचालय निर्माण में हुआ लाखों का खेल जागरुक ग्रामीण ने किया कराया पर्दाफाश।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 11:16 AM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 11:16 AM (IST)
मैनपुरी में भ्रष्टाचार की गंदगी से हारा मोदी का स्वच्छ भारत मिशन

आगरा, जेएनएन। पीएम नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत ग्रामीण का सपना जिला की सबसे बड़ी गांव पंचायत में हकीकत का आकार नहीं ले सका। चालीस लाख से ज्यादा की शौचालय बनाने को दी गई धनराशि को प्रधान और सचिव ने कागजों में खर्च कर दिया। गांव के एक जागरूक नागरिक को भनक लगी तो उसने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी। शिकायतों का सिलसिला शुरू किया तो गड़बड़ी की पर्तें खुल गईं, परंतु खेल में शामिल लोग उसके दुश्मन बन गए। धमकियों के बाद मुकदमा तक दर्ज करा दिए गए। दूसरी तरफ कुछ सत्ताधारी नेताओं के सहारे पूरे मामले को दबाने की कोशिश हो रही है, लेकिन शिकायतकर्ता अब भी जंग जारी रखे हुए है।

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चालीस नगला और मजरों के अस्तित्व को समेटने वाली जिला की सबसे बड़ी गांव पंचायत नौनेर में साढ़े तीन हजार से ज्यादा लाभार्थी शौचालय निर्माण के लिए दर्शाए गए थे। इनके लिए चालीस लाख से ज्यादा की धनराशि बंदरबांट का खेल शुरू हुआ। आरोप है किप्रधान और सचिव ने मिलीभगत कर मृत और गांव से बाहर रहने वाले ग्रामीणों के नाम पर शौचालय की श्रंखला कागजों में खड़ी कर दी। कई मामलों में तो एक- एक ग्रामीण केे खातों में कई बार 12 हजार की धनराशि भेजकर रकम निकाल ली गई। शौचालय निर्माण में प्रयुक्त सामग्री घटिया दर्जे की लगाई गई। गड्ढे भी मानक के अनुसार आधे ही बनाए गए।

ऐसा भी हुआ शौचालय में

ग्रामसभा नौनेर के मजरा झण्डाहार निवासी नरेंद्र ङ्क्षसह पुत्र जगराम का बीते साल बनाया गया शौचालय आज भी अधूरा है। टैंक का गड्ढ़ा आज भी खुला पड़ा है, जबकि इसे पूरा दिखाकर फोटो जियो टेङ्क्षगग पर अपलोड कर दी गई है। अब इस मामले में उसकी सुनवाई ही नहीं हो रही है। पीएम के स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को साकार करने के लिए जिला पंचायत राज विभाग की ओर से पिछले साल और उससे पहले 3005 लाभार्थियों को शौचालय बनाने के लिए बारह हजार की राशि भेजी गई, जबकि 503 शौचालय प्रधान ने बनवाए थे।

ऐसे शुरू हुआ शिकायतों का सिलसिला

गांव पंचायत में शौचालय निर्माण में लाखों का घोटाला होने का आरोप लगाते हुए 16 दिसबंर 2018 को एक शिकायत गांव के सर्वेश कुमार ने स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय से की थी। इस पर निदेशक हकीकत जानने आए थे। गड़बड़ी मौके पर मिली, वह आगे कार्रवाई के लिए कह गए, लेकिन कार्रवाई को स्थानीय अफसरों ने दबा दिया। इसके बाद सर्वेश ने फिर शिकायत की तो मिशन के जिला प्रेरक विलास नंदा ने भी जांच की, लेकिन इस पर कुछ नहीं हुआ।

शिकायतकर्ता को फंसाया एससी-एसटी एक्ट में

शौचालयों की सच्चाई को सतह पर लाने में जुटे सर्वेश को सबक सिखाने केे लिए उनको दो मुकदमों में फंसाया गया। सर्वेश ने बताया कि 27 दिसंबर को उनके और अन्य के खिलाफ थाना दन्नाहार में मारपीट का अभियोग प्रधान पक्ष की ओर से दर्ज कराया गया। इसके दूसरे दिन इसी थाने में उनके अलावा सहयोगियों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में दूसरा मुकदमा दर्ज कराया गया, फिलहाल दोनों मुकदमे लंबित हैं।

जांच पर जांच, नहीं मिली सांच

दो मुकदमों के बाद भी सर्वेश शांत नहीं बैठे। इसके बाद शिकायत की गई तो शासन की टीम ने एक जांच की, इसके बाद एक और जांच नोडल अफसरों ने की, इसमें लीपापोती कर दी गई। सच सामने नहीं आया तो शिकायतकर्ता ने इसी साल जनवरी में शपथ पत्र देकर डीएम से जांच की मांग की थी।

डीएम ने कराई जांच तो सचिव हुए निलंबित

सर्वेश ने इस साल जनवरी माह में जांच के लिए डीएम के दरवाजे पर दस्तक दी। इसके बाद नौनेर में शौचालय का सच सामने लाने के लिए डीएम के निर्देश पर सीडीओ कपिल ङ्क्षसह ने जनवरी में तत्कालीन डीपीआरओ यतेंद्र ङ्क्षसह को समिति बनाकर जांच को कहा था। डीपीआरओ ने जांच का जिम्मा बीस ग्राम पंचायत और विकास अधिकारियों को सौंपा, जिन्होंने एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपी। गांव-गांव जांच के दौरान शौचालय निर्माण में गड़बड़ी उजागर हुई थी। 2314 लाभार्थी बेस लाइन सर्वे के अनुसार मिले, जबकि 691 सर्वे सूची से बाहर के पाए गए। 16 मजरों में आवंटित 468 शौचालय में से 372 पूरे और 66 अधूरे मिले, जबकि 30 शौचालयों तो मिले ही नहीं। सचिव ने शौचालयों के लिए कई लाभार्थियों के खातों में कई बार धनराशि भेज दी। 17 मजरों के 1588 शौचालय सत्यापन में 534 तो पूरे मिले जबकि 639 अधूरे और 415 बने हुए नहीं मिले।

अधिकार सीज को दिया था प्रधान को नोटिस

नौनेर में शौचालय बनाने में कई लाख का खेल हुआ था। कई ग्रामीणोंं को प्रधान और सचिव ने कई बार शौचालय बनाने को राशि दी। ग्राम सभा की फर्जी बैठकें भी करने की बात सामने आई। मामले की शिकायत ग्रामीणों ने की तो जांच करने वाले सचिवों ने इस पर लीपापोती कर दी। शौचालय में लाखों का घपला और ग्राम सभा की विकास राशि के बंदरबांट को लेकर पंचायत के आधे से ज्यादा सदस्यों ने शपथ पत्र के साथ डीएम को शिकायत की। सीडीओ ने टीम बनाकर जांच को कहा। कई टीमों ने ग्रामसभा केे सभी मजरों में शौचालय की हकीकत मौके पर परखी तो कलई खुल गई। जांच के दौरान सैंकड़ों शौचालय अधूरे तो दर्जनों मौके पर मिले ही नहीं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद प्रभारी जिला विकास अधिकारी एससी मिश्र ने इसी फरवरी में प्रधान स्मृता चौहान को 95 जी का नोटिस जारी किया था

राजनीतिक दवाब में रुकी जांच

नौनेर में शौचालय का सच भाजपा के स्थानीय नेताओं और एक पूर्व विधायक के दवाब में फाइलों में दब चुका है। प्रधान के अधिकार भी सफेदपोशों केे दवाब में रिलीज कर दिए गए। शिकायतकर्ता सर्वेश का आरोप है कि अब इस मामले में डीएम प्रमेाद कुमार उपाध्याय और सीडीओ कपिल ङ्क्षसह कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं। भाजपा के नेता अब इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर दोनों अफसरों पर दवाब बनाए हुए हैं।

नहीं दे रहे सूचना

सर्वेश का आरोप है कि उसे मामले से संबंधित सूचनाएं आरटीआइ के बाद भी नहीं दी जा रही है। अफसर एक-दूसरे के पाले का मामला बताकर उसे टरकाने में लगे हैं।

अधिकार कर दिए गए बहाल

हमारे अधिकार सीज हुए थे। इसका जबाव दिया गया था। हमारी बात से अफसर संतुष्ट हो गए तो प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार बहाल कर दिए गए। अब कोई मामला बचा ही नहीं है।

रामवीर सिंह, प्रधान प्रतिनिधि।

चल रही है जांच

नौनेर के शौचालय से जुड़े मामले की जांच जिला विकास अधिकारी और जिला ग्राम्य विकास विभाग के सहायक अभियंता कर रहे हैं। प्रधान के 95 जी नोटिस के जवाब का परीक्षण हो रहा है। रिपोर्ट आने पर कार्रवाई होगी।

स्वामीदीन, जिला पंचायत राज अधिकारी।

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