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Jagran Impact: आखिरकार खुल गई पोल, स्‍वच्‍छता मिशन पर खूब चली घोटाले की झाड़ू Agra News

स्वच्छ भारत मिशन में 22.65 करोड़ रुपये का घोटाला। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का उठान करने वाली पांच कंपनियों को हटाकर काली सूची में डाला जा रहा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 11:47 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 11:47 AM (IST)
Jagran Impact: आखिरकार खुल गई पोल, स्‍वच्‍छता मिशन पर खूब चली घोटाले की झाड़ू Agra News
Jagran Impact: आखिरकार खुल गई पोल, स्‍वच्‍छता मिशन पर खूब चली घोटाले की झाड़ू Agra News

आगरा,जागरण संवाददाता। नगर निगम के अफसरों की मिलीभगत से स्वच्छ भारत मिशन में 22.65 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। यह निगम के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। सोमवार को विशेष सदन में जांच रिपोर्ट रखी गई जिसमें डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का उठान करने वाली पांच कंपनियों को हटाकर काली सूची में डाला जा रहा है। संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और रिकवरी के आदेश दिए गए। वहीं, पर्यावरण अभियंता राजीव राठी सहित अन्य को प्रतिकूल प्रविष्टि के आदेश हुए। राजीव से अतिरिक्त काम भी छीन लिए गए हैं।

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सदन के पटल पर रखी गई जांच रिपोर्ट के मुताबिक 100 में से 83 वार्डो में कंपनियों ने 24 माह तक कूड़ा कलेक्शन किया। 14 माह के भीतर कंपनियों ने निगम के खाते में 1.68 करोड़ रुपये जमा कराए, जबकि निगम ने इन्हें 22.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया। भुगतान से पूर्व कंपनियों द्वारा उपलब्ध सूची का सत्यापन नहीं हुआ। जांच में 43 फीसद एड्रेस गलत थे। जबकि 37 फीसद भवन स्वामी का नाम गलत था। लिहाजा, यहां से कूड़ा नहीं उठाया गया था। दस फीसद ऐसे लोग थे, जिन्होंने कूड़ा देने से इन्कार कर दिया था।

फैक्‍ट फाइल

- 22.65 करोड़ रुपये का है नगर निगम का ऐतिहासिक घोटाला।

- 05 .कंपनियों को हटाया, होंगी ब्लैक लिस्टेड, मुकदमा दर्ज कर होगी रिकवरी।

- 83 वार्डो में महज 10 फीसद क्षेत्रों से उठ रहा था कूड़ा।

इन कंपनियों पर कार्रवाई

अरवा एसोसिएट, ओम मोटर्स, स्पाक ग्लोबल, सेवा, एसआरएमटी (जून 2019 में हटा दिया गया था)।

जागरण की पड़ताल में खुला था घोटाला

दैनिक जागरण ने 21 नवंबर, 2019 को ‘हवा में घर, उठ गया कूड़ा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में हुए खेल की रिपोर्ट छापी गई थी। जिसमें बताया गया था कि अफसरों ने जनता से छल किया और कंपनियों का साथ दिया। फर्जी बिल पर भुगतान हो गया। खबर की पुष्टि आज विशेष सदन के दौरान मेयर नवीन जैन, नगरायुक्त अरुण प्रकाश की मौजूदगी में तीन सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष अपर नगरायुक्त विनोद कुमार द्वारा रखी रिपोर्ट में हो गई।

अब से निगम प्रशासन संभालेगा कूड़ा उठाने का काम

पांच कंपनियों को हटाने के बाद मंगलवार से सभी वार्डो में नगर निगम डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का काम संभालेगा। सोमवार रात नगरायुक्त अरुण प्रकाश ने तीन घंटे तक अफसरों के साथ बैठक की। संबंधित अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। दो घंटे के अंतराल में इसकी रिपोर्ट दी जाएगी। वहीं निगम प्रशासन ने लोगों से रोड या फिर गली में कूड़ा न फेंकने की अपील की है।

स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 का अंतिम चरण शुरू हो गया है। अंतिम चरण में लोगों से सात सवाल पूछे जा रहे हैं। यह सभी सवाल सफाई व्यवस्था को लेकर हैं, जिसमें लोगों को जवाब देना है। सोमवार को नगर निगम के सदन में फीडबैक सिस्टम का प्रेजेंटेशन दिया गया। जिसकी सराहना की गई। फिर इंदौर मॉडल पर चर्चा हुई। नगरायुक्त अरुण प्रकाश ने कहा कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में इंदौर में एक गाड़ी एक हजार घरों से कूड़ा कलेक्ट करती है। प्रत्येक गाड़ी के साथ एनजीओ का एक व्यक्ति होता है। संबंधित व्यक्ति को 15 रुपये प्रति घर के हिसाब से भुगतान किया जाता है। वहीं पांच कंपनियों को हटाने के बाद निगम प्रशासन खुद व्यवस्था को संभालेगा।

तो 11 करोड़ की हो चुकी है रिकवरी

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में घोटाले के बाद रिकवरी शुरू हो गई है। निगम के अफसरों की मानें तो अब तक 11 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है। बाकी साढ़े 11 करोड़ की जल्द रिकवरी की जाएगी। पांचों कंपनियों का जो भी बकाया है, अब उसका भुगतान नहीं किया जाएगा। कंपनियों की जमानत राशि को भी वापस नहीं किया जाएगा।

35.89 करोड़ रुपये के जमा किए थे बिल

पांच कंपनियों ने 35.89 करोड़ रुपये के बिल जमा किए थे, जबकि 1.68 करोड़ रुपये का यूजर चार्ज जमा कराया गया था।

कुछ भी हो, अब तो नियम से ही होंगे काम

नगर निगम का सदन शाम छह बजे खत्म हो गया। तभी नगरायुक्त अरुण प्रकाश सदन से बाहर निकलने लगे। नगरायुक्त के साथ कई अफसर साथ थे। नगरायुक्त ने पार्षदों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब नियम से काम होंगे।

निर्माण कार्यो में भी है जबरदस्त खेल

सदन में निर्माण कार्यो के खेल का भी मुद्दा उठा। इसे कई पार्षदों ने उठाया। पार्षदों का कहना था कि जूनियर इंजीनियर गलत तरीके से एस्टीमेट बनाते हैं। बिना सत्यापन के भुगतान कर दिया जाता है।

ताज के आसपास सफाई की रस्म अदायगी

ताजमहल के दो किमी के दायरे में सफाई में रस्म अदायगी की जा रही है। नगर निगम के सदन में पार्षदों ने बकायदा दस्तावेज प्रस्तुत किए। यहां तक मेयर नवीन जैन ने भी स्वीकार किया कि सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई है। पार्षदों का कहना था कि डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की तरह ही ताज के क्षेत्र में भी सफाई का घोटाला हो सकता है। अनुबंध की शर्त सही नहीं है।

डेढ़ साल पूर्व ताजमहल के आसपास (दो किमी) की सफाई की जिम्मेदारी भारतीय विकास ग्रुप (बीवीजी) को मिली थी। बीवीजी के पास संसद भवन की भी सफाई का जिम्मा है। सफाई ठीक से नहीं हो रही है। गंदगी फैली रहती है। विदेशी पर्यटक इसे कैमरे में कैद कर लेते हैं। पार्षदों ने कहा कि बीवीजी से अनुबंध ठीक से नहीं हुआ है। हर दिन 90 हजार यानी माह में 27 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जबकि सफाई में कमी मिलने पर पांच हजार रुपये की कटौती का प्रावधान है। पार्षद गुड्डू राठौर ने मेयर से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

वार्ड 81 के 250 घरों से लिया जाता था कूड़ा

डोर-टू-डोर कूड़ा कंपनियां किस कदर से खेल कर रही थीं। उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेयर नवीन जैन के वार्ड नंबर 81 से 250 घरों से कूड़ा लिया जाता था लेकिन यहां के चार हजार घरों से कूड़ा लेने के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। जिसकी जांच में खेल सामने आया। दूसरी सूची 2200 घरों की निकली।

और धरने पर बैठ गए पार्षद बच्चू सिंह

नगर निगम के सदन में भाजपा पार्षद बच्चू सिंह धरने पर बैठ गए। विकास कार्य न होने का आरोप लगाया। मेयर नवीन जैन ने किसी तरीके से समझा कर उठवाया। साथ ही नियमावली को पढ़ने की सलाह दी।

कूड़ा उठाने में अफसरों ने खूब खाई मलाई

एक दो नहीं पूरे 12 साल। नगर निगम आगरा में इतने साल पूर्व डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू हुआ था। कूड़ा उठान में अफसरों ने खूब मलाई खाई। यहां तक अल्ट्रा अरबन पर 365 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा लेकिन इसकी वसूली के प्रयास नहीं किए गए।

भले ही नगर निगम ने दो साल पूर्व पांच कंपनियों को कूड़ा उठान के लिए लगाया हो लेकिन डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की शुरुआत 12 साल पूर्व हुई थी। ताजगंज और लोहामंडी क्षेत्र में कूड़ा उठाना शुरू हुआ था। तब भी इसकी निगरानी ठीक से नहीं की गई। बिना सत्यापन के बिलों का भुगतान किया गया। यहां तक निगम प्रशासन ने अपने संसाधन भी उपलब्ध कराए। कंपनियों की मौज रही और फिर अल्ट्रा अरबन, हरी-भरी सहित एक अन्य कंपनी भाग खड़ी हुई, जबकि अब पांच कंपनियों ने कूड़ा उठान में खेल किया है जिसमें निगम के अफसरों ने खूब मलाई खाई।

पर्यावरण अभियंता का दामन दागदार

नगर निगम के आला अधिकारी पर्यावरण अभियंता राजीव राठी पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहे हैं। विवादों से उनका पुराना नाता रहा है। ड्राइवर को मारने के भी आरोप लगे हैं। इसके बाद भी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन सहित अन्य अहम कार्य भार दिए गए। पांच साल पूर्व पर्यावरण अभियंता राजीव राठी निगम में तैनात थे। तब शहर में अतिक्रमण विरोधी अभियान चला था। अभियान को लेकर उन पर कई तरीके के आरोप लगे। फिर उनका तबादला हो गया। एक साल पूर्व फिर से निगम में तैनाती हुई। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन सहित अन्य कार्य दिए गए। हाल यह रहा कि एक बार भी कंपनियों को जो बिलों का भुगतान किया गया। या फिर कूड़ा उठान को लेकर सही तरीके से सत्यापन नहीं किया गया। यहां तक जो शिकायतें मिलीं। उन पर भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

स्मार्ट हाजिरी पर नहीं किया जा रहा फोकस

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की निगरानी के लिए स्मार्ट तरीके से हाजिरी लगना शुरू हुई थी। दो माह पूर्व शुरू हुई यह योजना रफ्तार नहीं पकड़ रही है। सभी सफाई कर्मचारियों द्वारा चिप पर टैग नहीं किया जाता है। इसकी जानकारी अफसरों को भी है लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

टोरंट से लिया जाए टैक्स

नगर निगम सदन में पार्षदों से इंच-इंच भर की जमीन का टैक्स लेने पर जोर दिया। पार्षदों का कहना था कि टोरंट कंपनी ने जितनी जमीन पर ट्रांसफारमर, सब स्टेशन बना रखे हैं। उसका टैक्स लिया जाए।

अफसरों की मिलीभगत से ही लिखी गई घोटाले की पटकथा

केंद्र हो या फिर राज्य सरकार। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू हो, यह मंशा अच्छी थी लेकिन मानीटरिंग न होने और अफसरों की मिलीभगत ने बंटाधार कर दिया। 50 से अधिक शिकायतों को अफसर पचा गए। कागजों में कूड़ा उठा दिखा दिया गया, जबकि हकीकत इसके विपरीत थी। अफसरों की मिलीभगत से कूड़ा उठान में घोटाले की पटकथा लिखी गई थी।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए कंपनियों का चयन शुरू हुआ था। जनवरी 2018 से अरबा सहित अन्य कंपनियां आने लगी थी और फिर इन्हें लोहामंडी, ताजगंज, हरीपर्वत, छत्ता जोन बांट दिए गए। कंपनियों ने तीन से चार माह तक अच्छी तरीके से काम किया। फरवरी 2018 में सदन में कंपनियों द्वारा कूड़ा उठान की प्रशंसा हुई थी। पार्षदों ने इसे बेहतर कार्य बताया था लेकिन फिर कंपनियों लापरवाही बरतनी शुरू कर दी। नगर निगम के सदन में पार्षद रवि माथुर, राकेश जैन ने कहा कि कंपनियों ने खेल करना शुरू कर दिया। कूड़ा उठान न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा था। शिकायतें आने लगीं। अनुराग चतुर्वेदी ने कहा कि दो दर्जन शिकायतें कूड़ा न उठाने की शिकायतें की गईं। कुछ ऐसी कहना था धर्मवीर सिंह का। यहां तक नियमित अंतराल में कंपनियों को भुगतान किया गया। जनवरी से जून 2019 तक कई और शिकायतें हुईं। मनोज सोनी, राहुल चौधरी, श्यामवीर सिंह ने कहा कि हर दिन कूड़ा न उठने की शिकायतें की गईं। इनकी संख्या बढ़कर 50 से अधिक हो गई। एक भी शिकायत की जांच नहीं कराई गई। यहां तक शासन से जो शिकायतें आईं। उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अगर समय रहते जांच कराई गई होती तो यह नहीं होती। वहीं शासन से जो भी जांचें आईं उनमें खेल किया गया। मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी पवन कुमार ने सदन में बताया कि लापरवाही पर कंपनियों का भुगतान रोक दिया गया था। अफसोस समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई।

म यर हुए थे नाराज, जल्द दें रिपोर्ट : नवंबर 2019 में मेयर नवीन जैन के आदेश पर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में घोटाले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित हुई थी जिसमें अपर नगरायु क्त विनोद कुमार, सहायक नगरायुक्त अनुपम शुक्ला व लेखाधिकारी उल्लास वर्मा शामिल थे। कमेटी को दस दिनों के भीतर रिपोर्ट देनी थी। रिपोर्ट न देने से नाराज पार्षदों ने दिसंबर 2019 के दूसरे तीसरे सप्ताह में मेयर को पत्र लिखकर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन को लेकर विशेष सदन बुलाने की मांग की थी।

यहां हुई मेयर और नगरायुक्त से चूक

- डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की मानीटरिंग में कमी रही।

- कंपनियों ने कूड़ा उठान के जो भी आंकड़े दिए। उन्हें सच मान लिया गया।

- इसी आधार पर 40 फीसद की कटौती कर बिलों का भुगतान कर दिया गया।

- बिलों के भुगतान से पूर्व किसी का भी सत्यापन नहीं कराया गया।

- पर्यावरण अभियंता राजीव राठी की रिपोर्ट पर विश्वास कर दिया गया।

नाले और नालियों में फेंक देते थे कूड़ा

हाल यह था कि कंपनियां जो भी कूड़ा कलेक्ट करती थीं। अधिकांश को नाले और नालियों तक में फेंक दिया जाता था। कागजी कोरम पूरा कर लिया जाता था।

क्‍या कहते हैं जनप्रतिनिधि

कंपनियों ने 10 फीसद क्षेत्रों से कूड़े का उठान किया है। 90 फीसद क्षेत्र के फर्जी बिल लगाकर 22.65 करोड़ रुपये का भुगतान ले लिया। पांचों कंपनियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। वहीं पर्यावरण अभियंता राजीव राठी, जोनल सेनेटरी इंस्पेक्टर, सेनेटरी इंस्पेक्टर और सुपरवाइजरों को प्रतिकूल प्रविष्टि के आदेश दिए हैं।

नवीन जैन, मेयर

कंपनियों ने ताजनगरी की छवि धूमिल की है। खासकर अफसर भी शामिल हैं। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इंदौर से नगर निगम आगरा को सीख लेनी चाहिए। कंपनियों पर तो मुकदमा और धनराशि की वसूली होनी चाहिए।

प्रो. एसपी सिंह बघेल, सांसद

नगर निगम के इतिहास में 22.65 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा घोटाला है। बिना अफसरों की मिलीभगत से इसे अंजाम नहीं दिया जा सकता है। भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जिन्होंने जनता के साथ छल किया और सरकार की छवि खराब कर रहे हैं।

योगेंद्र उपाध्याय, विधायक

अफसोस की बात है। बिना सत्यापन के बिलों का भुगतान किया गया। अगर सत्यापन हो जाता तो पूरा खेल खुल जाता। अफसर इसके लिए सबसे अधिक दोषी हैं। जिन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

पुरुषोत्तम खंडेलवाल, विधायक


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