उजाला करने में भी कर गए खेल, स्मार्ट एलईडी खरीद में हुआ एडीए में घोटाला
उच्चस्तरीय जांच में फंसेंगे इंजीनियर एडीए के बिजली अनुभाग में एलईडी खरीद की उच्चस्तरीय जांच हो तो इस मामले में दो-तीन इंजीनियर फंसेंगे। कई इंजीनियर यहां चार साल से अधिक से तैनात हैं।
आगरा (जेएनएन) : एडीए में स्मार्ट एलईडी खरीदने में घोटाला हो रहा है। निजी कंपनियों से महंगी एलईडी खरीद का सौदा किया गया, जबकि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के रेट कम हैं। मामला खुलने के बाद एडीए उपाध्यक्ष शुभ्रा सक्सेना ने 1.19 करोड़ के टेंडर रद कर दिए हैं। अब पीडब्ल्यूडी से रेट मंगाए गए हैं। एडीए हर साल पांच से सात करोड़ रुपये की एलईडी व अन्य लाइट खरीदता है। मार्च 2018 में ताजमहल के पश्चिमी गेट और दशहरा घाट व उसके आसपास स्मार्ट एलईडी लगाने को प्रस्ताव तैयार हुआ था। बैठक में मंजूरी के बाद मई में 1.19 करोड़ रुपये के टेंडर जारी हो गए। विप्रो सहित कई अन्य कंपनियों ने टेंडर भरे, लेकिन इन्हें नहीं खोला गया। अक्टूबर में इन्हें खोला गया। इंजीनियरों की मिलीभगत से एलईडी खरीद में घोटाला किया जा रहा था। एडीए और लोक निर्माण विभाग के रेट में अंतर था। कंपनियां एडीए को महंगे और पीडब्ल्यूडी को सस्ती (एक ही साइज की) लाइट बेच रही थीं। रेट में तीन से चार हजार रुपये प्रति लाइट का अंतर था।
- 29 लाख रुपये की लागत से 102 लाइट खरीदनी थी। एक लाइट की कीमत 28 हजार 400 रुपये थी।
- 8.16 लाख से 32 लाइट की खरीद होनी थी। प्रत्येक की कीमत साढ़े 25 हजार रुपये थी।
-47 लाख पचास हजार में 196 लाइट खरीदनी थी। एक लाइट की कीमत 24 हजार 250 रुपये है।
लाइट लगाने में भी खेल
टेंडर में एलईडी लगाने व अन्य कार्य के लिए 47 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था। जबकि पूर्व में जो भी एलईडी लगी हैं, उन्हें कंपनियों ने ही लगाया है। अधिकांश में नई वाय¨रग और बाक्स का नहीं लगाया गया, जिससे वह जल्दी खराब हो गईं।