टूंडला विधानसभा उपचुनाव 2020ः दौड़ती रही साइकिल पर मंजिल से रह गई दूर, तीसरे से दूसरे स्थान पर पहुंची
समाजवादी पार्टी ने घटाया जीत का अंतर। न हुई थी कोई रैली न आया कोई बड़ा नेता डोर टू डोर प्रचार से दिखी ताकत। 2017 के विस चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। टूंडला विस सीट पर सपा ने आखिरी बार 2002 में चुनाव जीता था।
आगरा, पुनीत रावत। बीते विधानसभा चुनाव में गठबंधन के बावजूद करारी शिकस्त झेलनी वाली सपा को उपचुनाव में जीत तो नहीं मिली, लेकिन ऊर्जा का संचार होता दिखा। बिना जनसभा और स्टार प्रचारकों के नगर से देहात तक साइकिल आखिरी तक दौड़ती रही, मगर मंजिल तक पहुंच नहीं पाई। हालांकि सपा शुरू से ही बसपा पर हावी रही। टूंडला विस सीट पर सपा ने आखिरी बार 2002 में चुनाव जीता था। इसके बाद सपा लगातार पिछड़ी गई। 2017 के विस चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। भाजपा से टिकट न मिलने पर बागी हुए पूर्व विधायक शिव सिंह चक को साइकिल सवार बनाकर उतारा गया। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने जनसभा की और पूरी ताकत झोंक दी, इसके बाद भी करारी हार झेलना पड़ी। तीसरे नंबर पर रही सपा को महज 22 फीसद वोट मिले थे। उपचुनाव में अबकी बार आगरा के महाराज सिंह धनगर को मैदान में उतारा गया। चुनाव शुरू होने के बाद से ही धनगर आरोपों में घिरते गए। इसके बाद न तो सपा की कोई सभा हुई और न बड़े नेता ने प्रचार किया। मतगणना में बढ़त के साथ ओपनिंग से सपाइयों में उम्मीद जगी और बीस राउंड तक उम्मीद कायम भी रही। इसके बाद समर्थकों की उम्मीदें टूटने लगीं। 2017 के चुनाव में जहां सपा को 22.23 फीसद वोट मिले थे, वहीं अबकी बार 30.30 फीसद वोट मिले। इसके साथ ही हार का अंतर 26.15 फीसद से घटकर 9.50 फीसद रह गया।
नेता से लेकर सीएम तक के निशाने पर रहे महाराज सिंह
उपचुनाव में प्रत्याशी भाजपा नेताओं से लेकर सीएम तक के निशाने पर रहे। सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद सपा प्रत्याशी के बेटे का मुद्दा जनता में उछाला गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपने भाषण में यह बात कही थी। वहीं प्रत्याशी इसे सियासी षडयंत्र बताते रहे।
टूंडला विस सीट पर सपा
2002- मोहन देव शंखवार-जीते
2007- रमेश चंद्र चंचल--तीसरा नंबर
2012-अखिलेश कुमार-- दूसरा नंबर
2017-शिव सिंह चक--- तीसरा नंबर
2020-महाराज सिंह धनगर-दूसरा नंबर