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साध्वी ऋतंभरा बोलीं, युवाओं का रामलला के लिए बलिदान हुआ शाश्वत Agra News

वृंदावन में साध्वी ने कहा कि श्रीराम मंदिर आंदोलन ने हमें चेतना दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया ये देश के लोकतंत्र की व्यापक जीत।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 05:32 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 08:47 AM (IST)
साध्वी ऋतंभरा बोलीं, युवाओं का रामलला के लिए बलिदान हुआ शाश्वत Agra News
साध्वी ऋतंभरा बोलीं, युवाओं का रामलला के लिए बलिदान हुआ शाश्वत Agra News

आगरा, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खुशी जताते हुए साध्वी ऋतंभरा ने कहा आज उन लोगों का तप और बलिदान शाश्वत हुआ, जिन्होंने अपनी भरी जवानी में अपने जीवन को रामलला के काम के लिए समर्पित किया। डाल से फूल समर्पित करना आसान होता है, लेकिन जवानी का पुष्प अर्पित करना आसान नहीं होता।

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वात्सल्य ग्राम में रविवार को मीडिया से वार्ता करते हुए साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि रामजन्मभूमि के लिए पांच सौ साल लगातार संघर्ष चला। ये संघर्ष केवल भगवान के जन्मस्थान का नहीं, बल्कि सारा विश्व जो भौतिकवाद, आतंकवाद की मार को झेल रहा है, उसका मार्ग प्रशस्त करने का था। ये जिम्मेदारी भारत की इसलिए थी कि भारत के पास ज्ञान का अमृत है। इस अमृत को सुरक्षित रखना और बांटना भारत की जिम्मेदारी है। हम राजनैतिक रूप से आजाद तो हुए, लेकिन बहुत भारी मानसिक गुलामी के शिकार रहे। श्रीरामजन्म भूमि के आंदोलन ने हमें चेतना दी। मंदिर का ताला भी खुला और हिंदू समाज के बुद्धि के ताले भी खुले। राममंदिर की लड़ाई सिर्फ मंदिर निर्माण की लड़ाई नहीं थी। उसके पीछे दृष्टि थी कि हमारी संस्कृति, सभ्यता की ऐसी वृहद भूमि है, जो हमारी जड़ों का पोषण करती है। किसी दूसरे वृक्ष की अमरबेल बनना उन्हें शोभा नहीं देता, जिसके पास खुद का अमर वट वृक्ष हो। न्यायालय के फैसले ने बहुत बड़ा इतिहास रचा और सत्य की पुन: स्थापना हुई।

विवादित ढांचा गिरने के दौरान दर्ज हुए मुकदमें के सवाल पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि भगवान श्रीराम को अपने मंदिर के लिए अदालत में मुकदमा लडऩा पड़ा। ऐसे ही जो मुकदमें उन पर लगे हैं संभवत: फरवरी या मार्च में वे भी खत्म हो जाएंगे। लेकिन अभी हमें रामलला के मंदिर निर्माण पर ही बात करनी है। मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े निर्मोही अखाड़े को सेवा पूजा के अधिकार से दूर रखने के आदेश के सवाल पर कहा कि जिनको पूजा करनी है, पूजा करेंगे, जिन्हें सेवा करनी है सेवा करेंगे। सब को सभी का हक मिलेगा। साध्वी ऋतंभरा ने उम्मीद जताई कि वर्ष 2022 तक मंदिर का निर्माण हो जाना चाहिए।

एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर साध्वी ऋतंभरा ने कहा कुछ लोग विघ्न संतोषी होते हैं। वह बंटवारे के रोगी होते हैं। इसलिए उनकी बात करने का कोई अर्थ नहीं है। आज पूरे देश ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को स्वीकार किया है। ये हमारे देश के व्यापक लोकतंत्र की जीत है। 


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