दफ्तर से नहीं निकले अधिकारी, बारिश में भीगते रहे उपभोक्ता
डीवीवीएनएल मुख्यालय पर कई गांवों के बिजली उपभोक्ताओं ने दिया धरना चार घंटा दफ्तरों से बाहर न निकले अधिकारी
आगरा, जागरण संवाददाता। बिजली अधिकारियों की मनमानी और गैर जिम्मेदारी का रवैया उपभोक्ताओं को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) के मुख्यालय पर भी झेलना पड़ा है। उपभोक्ता चार घंटे बारिश में भीगते रहे और बिजली अधिकारी अपने दफ्तर से एक कदम बाहर नहीं निकले।
डीवीवीएनएल मुख्यालय पर शनिवार को शमसाबाद ब्लॉक के कई गांवों के बिजली उपभोक्तओं ने उप्र किसान सभा यूनियन के बैनर तले धरना दिया। करीब एक दर्जन गाड़ियों में सवार सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण दोपहर में मुख्यालय पर पहुंच गए। भीड़ को देखकर डीवीवीएनएल के गार्डो ने गेट बंद कर दिया। उपभोक्ता गेट के बाहर ही बारिश में धरने पर बैठ गए और मुख्यालय के अंदर दफ्तरों में अधिकारी आराम फरमा रहे थे। चार घंटे बाद तक भी अधिकारी उपभोक्ताओं की परेशानी सुनने को गेट तक नहीं पहुंचे। शाम चार बजे तक ग्रामीणों के धरने की सूचना प्रशासन तक पहुंच गई। इसके बाद अधिकारी सचेत हुए और बारिश बंद होने पर गेट खुलवाकर ग्रामीणों को अंदर बुलाया और उनकी समस्या का समाधान कैंप के माध्यम करने का आश्वासन दे दिया। ये रहीं समस्याएं
सभा के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने फतेहाबाद उपकेंद्र और आसपास के उपकेंद्र पर तैनात बिजली अधिकारी व कर्मचारियों ने कई अनियमितताएं फैला रखी हैं। जिलाध्यक्ष श्रीलाल तोमर ने बताया कि ग्रामीणों का कहना है कि बरौली अहीर उपकेंद्रों के उपभोक्ताओं का लोड बड़ा दिया है। कर्मचारी मीटर खराब दिखाकर 216 यूनिट का बिल बनाते हैं। कनेक्शन काटने व जोड़ने के लिए 600 रुपये प्रति उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे हैं। जिलामंत्री राम प्रकाश धाकरे ने बताया कि बंद मीटरों को चालू करके बनाने की मांग की है। इन गांवों के पहुंचे लोग
शमसाबाद उपकेंद्र के चितौरा, गढ़ी गुसाई, रिजई की गढ़ी, शकरपुर, भवन, लहर पंट्टी लहर सहित अन्य गांवों के लोगों ने धरना में शामिल हुए। अधीक्षण अभियंता का इंतजार करते अधिकारी
धरने पर बैठे ग्रामीणों की समस्या की जानकारी अधिकारी दफ्तर में बैठकर ही लेते रहे। मुख्यालय पर अधीक्षण अभियंता के पहुंचने का इंतजार करते रहे। जनवरी में दिया था धरना
सभा की आगरा शाखा ने जनवरी में धरना-प्रदर्शन किया था। उस वक्त भी ग्रामीणों ने सारी समस्याएं अधिकारियों को बताईं, लेकिन आश्वासन मिला और अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ।