MV Act: 'सरकार' लिखी गाडिय़ों की भरमार, किसने दिया इनको अधिकार Agra News
सरकारी गाडिय़ों की नंबर प्लेट पर लिखा रहता है विभाग का नाम। मुख्यमंत्री के आदेश का अधिकारियों ने बनाया मखौल। खूब उड़ रहीं मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां।
आगरा, जागरण संवाददाता। नंबर प्लेट पर कहीं भारत सरकार लिखा है तो कहीं प्रदेश सरकार। गाडियों का नंबर भले ही सही में न दिखे, लेकिन सरकार इतना मोटा लिखा होगा कि दूर से ही नजर आ जाता है। आप किसी भी सरकारी दफ्तर में जाकर देख लीजिए, वहां खड़ी गाडियां नियमों को ठेंगा दिखाती नजर आ ही जाएंगी। जो गाडियां विभागों ने अपने यहां अनुबंध पर लगा रखी हंै उन पर भी प्रदेश सरकार लिखा हुआ है। कई ऐसे लोगों ने भी सरकार लिखवा रखा है जिनका सरकारी महकमों से दूर-दूर तक नाता नहीं है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल निर्देश दिए थे कि विभागों में संबद्ध निजी वाहनों पर उत्तर प्रदेश सरकार का बोर्ड नहीं लगाया जाएगा, लेकिन जिले में उनके आदेश का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। कलेक्ट्रेट, विकास भवन, आरटीओ, कमिश्नरी, पुलिस लाइन समेत सरकारी कार्यालयों में उत्तर प्रदेश सरकार लिखे तमाम वाहन खड़े रहते हैं। जबकि नंबर प्लेट पर पदनाम भी नहीं लिखा होना चाहिए।
इस विभागों की अधिक दिखती है गाडिय़ां
उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार, प्रशासन, पुलिस, कलेक्ट्रेट, वित्त मंत्रालय, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग।
एमवी एक्ट की धारा 177 के तहत कटना चाहिए चालान
नियमों के मुताबिक निजी वाहनों पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा मिलने पर एमवी एक्ट की धारा 177 के तहत जुर्माना हो सकता है। जुर्माना जमा नहीं करने पर चालान किया जाता है। प्रवर्तन दल के अधिकारियों के लिए ही प्रदेश सरकार का बोर्ड लगाना मान्य है।
जनता भी पीछे नहीं है नियम तोडने में
नियम तोडने में सरकारी अधिकारियों के साथ शहर की जनता भी पीछे नहीं है। शहर में नंबर प्लेट के स्थान पर जाति लिखी गाडियां अक्सर देखने को मिल जाती हैंं। अधिकांश दोपहिया वाहनों के आगे की नंबर प्लेट पर विभाग का नाम लिखा रहता है। पुलिस एवं आरटीओ प्रवर्तन समय समय पर चेकिंग कर जनता चालान तो काटते हैैं, लेकिन अभी तक सरकारी विभाग की गाडिय़ों के खिलाफ कार्यवाही को कोई अभियान नहीं चला है।
चलेगा अभियान
आरटीओ प्रवर्तन अनिल कुमार ने कहा कि समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। प्रशासनिक गाडिय़ों की नंबर प्लेट से विभाग का नाम हटाने के लिए कमिश्नर एवं डीएम से अनुरोध किया जाएगा। यदि इसके बाद नंबर प्लेट में सुधार नहीं हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।