जीवनभर की कमाई प्रकृति संरक्षण में लगाई और खड़ा कर दिया 250 गज का जंगल Agra News
सेना से रिटायर एक फौजी की प्रकृति के प्रति अनूठी सेवा। जिंदगी की कमाई पेड़ों को पालने में लगाई जल संरक्षण भी किया।
आगरा, अनुपम चतुर्वेदी। आगरा जैसे महानगर में एक तरफ जहां लोग वर्षा जल संचयन के लिए कानूनी रूप से जरूरी जगह भी नहीं छोड़ते वहीं सेना से सेवानिवृत्त निरंजन लाल शर्मा ने अपने घर के बगल ही ढाई सौ गज में पूरा जंगल उगा रखा है। जितनी जगह में वह स्वयं घर बनाकर रहते हैं, उतनी जमीन उन्होंने प्रकृति के लिए संरक्षित कर रखी है। प्रकृति के इस प्रकट रूप का वह पितृवत पालन और देखरेख करते हैं।
निरंजन लाल शर्मा कहते हैं कि प्रकृति और देश की सेवा के लिए जरूरी नहीं कि आप सेना में जाएं, इसके और भी माध्यम हैं। बस मन में भावना हो। वायुसेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने देश के साथ प्रकृति सेवा का व्रत ले लिया। जीवन भर की कमाई से दोरहठा नंबर- एक मानसरोवर कालोनी में पांच सौ गज का प्लॉट लिया। इसमें उन्होंने ढाई सौ गज में मकान बनवाया और ढाई सौ गज प्लाट जंगल बसाने के लिए छोड़ दिया।
निरंजन लाल शर्मा ने तय किया कि वे खाली प्लॉट में एक पेड़ की जगह पूरा जंगल बसाएंगे और वायु प्रदूषण कम करने में सहयोग करेंगे। उन्होंने एक दो नहीं 20 से भी अधिक छोटे-बड़े पेड़ लगाए। इसमें नीम, आम, कटहल और अमरूद के भी पेड़ शामिल थे। पौधों के संरक्षण में उनका साथ पत्नी मिथलेश ने भी दिया।
निरंजन लाल शर्मा बताते हैं कि जब उन्होंने खाली प्लॉट में पौधरोपण किया तो आसपास के लोगों और दोस्तों ने इसे व्यर्थ बताया। सलाह दी कि या तो मकान बना लो या फिर खाली प्लॉट बेच दो। अच्छे रुपये भी मिल जाएंगे पर उन्होंने किसी की नहीं सुनी, प्रकृति प्रेमी होने के कारण उन्होंने अपने निर्णय को नहीं बदला। उन्होंने बच्चों की तरह पौधों का संरक्षण किया। जब पेड़ बड़े हुए तो उनके फल उन दोस्तों को भी दिए जो उस समय पेड़ लगाने के पक्ष में नहीं थे।
दुबई इकलौते बेटे के पास भी नहीं जाते
निरंजनलाल शर्मा को पेड़ों से इतना लगाव है कि वे ज्यादा दिनों के लिए घर नहीं छोड़ते हैं। उनका इकलौता बेटा मनीष कुमार शर्मा दुबई में साफ्टवेयर इंजीनियर है। वो कई बार कह चुका है कि उनके साथ दुबई रहो, पर निरंजनलाल और उनकी पत्नी उन्हें समझा देते हैं। बेटा भी पिता के प्रकृति प्रेम को समझता है, इसलिए जिद भी नहीं करता।
पिछली आंधी में टूट गए थे तीन पेड़
निरंजनलाल शर्मा बताते हैं कि पिछले साल आंधी में तीन पेड़ टूट गए थे। इनमें से नीम, आम और कटहल के पेड़ थे। इसका उनको बहुत दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने तय किया कि वे तीन की जगह छह पौधे रोपेंगे। उन्होंने वैसा ही किया आज वो पौधे पेड़ का रूप ले रहे हैं।
इलाज कराने गए तो भाई को दे गए जिम्मा
हृदयरोगी निरंजन लाल शर्मा बताते हैं कि जब उनको उपचार के लिए लंबे समय के लिए दिल्ली जाना पड़ा तो वे पास ही अवधपुरी में रहने वाले अपने भाई को घर की चाभी दे गए। ताकि वो लगाए पौधों की देखभाल कर सकें।
घर ही नहीं आसपास भी लगाए पेड़
घर के अंदर ही नहीं उन्होंने घर के बाहर भी पेड़ लगाए हैं। इसके आलावा आसपास भी पौधरोपण किया है। लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।
जल संरक्षण में भी है विश्वास
उनके घर का पानी कहीं और नहीं पास बने पेड़ों के जंगल में जाता है। उनको कहना है कि चाहे बरसात का कितना भी पानी हो सब जमीन सोख लेती है। उनका कहना है कि इससे वॉटर लेवल में कुछ तो सुधार होगा।