फिर दमकेगी बांकेबिहारीजी मंदिर की भव्यता, 150 साल बाद चमक रहीं दीवारें
निर्माण के डेढ़ सौ वर्ष बाद पहली बार दीवारों का हो रहा सुंदरीकरण। श्रद्धालु परिवार करा रहा सेवा कार्य, एक महीना लगेगा पूरा होने में।
आगरा, जेएनएन। करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले निर्मित बांकेबिहारी मंदिर की भव्यता अब फिर दमकेगी। धूलकणों से धूसरित हो गईं दीवारों का पहली बार सुंदरीकरण कराया जा रहा है। इस सुंदरीकरण में करीब एक माह का समय लग जाएगा।
संगीत सम्राट स्वामी हरिदासजी ने सन् 1543 में मार्गशीष शुक्ल पंचमी को निधिविन से बांकेबिहारीजी का श्रीविग्रह प्राकट्य कर सेवा पूजा आरंभ की थी। इस दिन को बिहार पंचमी कहते हैं। भरतपुर के महाराजा रतन सिंह ने सन् 1863 में बांकेबिहारीजी का मंदिर का निर्माण कराया। इसमें राजस्थानी वास्तुकला का प्रयोग किया गया। मंदिर के मेहराब का मुख और स्तंभ इसकी आकृति को अनूठी बनाते हैं। सभी गोस्वामी यहां ठाकुर जी की सेवा कर रहे हैं। करीब डेढ़ सौ वर्ष के इस दरम्यान में मंदिर की मरम्मत नहीं हो पाई। इसकी दीवारें धूलकणों से गंदी हो गईं। दीवारों में दरार आ गईं।
पिछले दिनों एक श्रद्धालु परिवार की नजर इन दीवारों पर पड़ी। उसने प्रबंध समिति से संपर्क कर दीवारों का सुंदरीकरण शुरू करा दिया। पिछले एक सप्ताह से इस सेवा कार्य में करीब एक दर्जन मजदूर जुटे हैं। कार्य में करीब एक महीना लग जाएगा। श्रद्धालु ने बताया कि दीवार में सफाई के साथ एरोलाइट में सीमेंट मिलाकर दरारों को भरा जा रहा है, ताकि पत्थरों में पानी का क्षरण न हो और मजबूत रहें। दीवारों को मूर्त रूप दिया जाएगा। मंदिर प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि सुंदरीकरण के बाद मंदिर की भव्यता फिर दमकने लगेगी। नव वर्ष पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर चमकता हुआ नजर आएगा।