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Navratra Special: खुद की बंदिशें तोड़कर इस नवरात्र अबला से सबला बनने की सोचें

नारी सशक्तिकरण पर धर्म विज्ञान का शोध। डॉ. जेजे के अनुसार हर स्त्री में होता है विशेष ऊर्जा का भंडार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 12:41 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 12:41 PM (IST)
Navratra Special: खुद की बंदिशें तोड़कर इस नवरात्र अबला से सबला बनने की सोचें

आगरा, तनु गुप्ता। कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है...नारी शक्ति के लिए जब तब ऐसी पंक्तियां बोली गई हैं। नारी का सशक्तिकरण का पर्याय बताने के प्रयास होते रहे हैं। शक्ति आराधना के नौ दिन भी यही संदेश देते हैं लेकिन शक्ति के नौ दिन हों या अन्य सामान्य दिन। नारीशक्ति की पूजा तो की जाती है लेकिन नारी को बेचारी और अबला का तमगा जबरदस्‍ती थमा दिया गया है। नारी को अबला का नाम ऐसा मिला है कि कई बार वो स्वयं इसे छोडऩा नहीं चाहती। अस्त्र शस्त्रों से सज्जित मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा तो आस्था के साथ करती है लेकिन स्वयं की शक्ति पर उसे तनिक भी आस्था नहीं होती। यदि अपने अंदर की शक्ति की नारी स्वयं पहचान कर ले तो आज भी नारी देवी रूप ही है।

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यह तथ्य सामने आया है धर्म विज्ञान शोध में। पिछले दिनों उज्जैन के धर्म विज्ञान शोध संस्थान के अध्यक्ष डॉ. जेजे वृंदावन आए थे। इस दौरान जागरण डाट कॉम ने उनके द्वारा किये गए विभिन्न शोध पर चर्चा की। जिसमें नवरात्र विशेष में शक्ति आराधना के बाबत उन्होंने अपने शोध को साझा करते हुए अबला शब्द का वास्तविक अर्थ साझा किया।

धर्म वैज्ञानिक डॉ जेजे

अबला का अर्थ अनंत बल की स्वामिनी

धर्म वैज्ञानिक डॉ. जेजे के अनुसार पौराणिक समय में अबला शब्द का अर्थ कुछ और था और कालांतर में कुछ और हो गया। अनंत बल की स्वामिनी को अबला कहा गया है। नारी शक्ति अनंत का भी अंत कर सकती है इसलिए उसे अबला कहा गया। बल के बारे में डॉ. जेजे ने बताया कि शारीरिक बल से ही सिर्फ किसी को दबाया नहीं जा सकता। मानसिक बल भी किसी को दबाने में कारगार होता है। महिलाओं में मानसिक बल पुरुषों से आठ गुना अधिक होता है।

ऊर्जा का अथाह भंडार है नारी

पुराणों, शास्त्रों में कई प्रकार की ऊर्जाओं के साथ नारी को प्रकट किया गया है। वर्तमान में सशक्तिकरण भी नारी के रूप में है। डॉ. जेजे ने बताया कि देवताओं ने देवी शक्ति का उदय अपनी विभिन्न शक्तियों के साथ किया था। सारी ऊर्जाओं और परंपराओं का वही भंडार आज भी नारी के पास है। एक बार को पुरुष ने अपनी परंपराओं का त्याग कर दिया है लेकिन नारी ने आज भी अपनी परंपराओं को उसी प्रकार से बनाए रखा है। आज भी वो संसार को आगे बढ़ा रही है। नैतिकता के साथ अपने मातृत्व का निर्वाहन कर रही है।

भ्रांति का शिकार हुई अबला

डॉ. जेजे के अनुसार आज अबला शब्द भ्रांतिपूर्ण हो चुका है। इसके पीछे भी कारण है। पुरुषों द्वारा किये गए अत्याचारों के कारण नारी ने अपने आप को समेट लिया लेकिन अपनी शक्ति को न समेट सकी। संकुचित भाव में आकर अपने आप को समर्पित तो कर दिया लेकिन भीतर की शक्ति तो शेर की भांति ही रही। कहना अतिश्योक्ति न होगी कि घेरा देखकर शेर पिंजरे में तो आ गया लेकिन रहा तो शेर ही। आज उसी अंतर्मन की शक्ति का ही नतीजा है कि देश की सरहदों से लेकर घर की रसोई तक नारी का ही वर्चस्व है। हर क्षेत्र में नारी अपनी क्षमताओं का पूरा विकास कर रही है।

विज्ञान के अनुसार अनोखी क्षमता है नारी में

धर्म विज्ञान का शोध भी यही कहता है कि नारी में सशक्तिकरण की भावना इतनी तेज होती है कि वो किसी की भी त्रुटी या कमजोरी आसानी से निकालने में सक्षम होती है। आज भी नारी में इतनी शक्ति होती है कि किसी भी पुरुष के नेत्रों में झांककर बता सकती है कि उसके अंतर्मन के भाव क्या हंै। ये विद्या उसे किसी से सीखने की जरूरत नहीं होती।


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