Move to Jagran APP

Board Exam: एक्‍सपर्ट की राय टेंशन नहीं रिलेक्‍स मूड में आ जाएं अब Agra News

बाल मनोवैज्ञानिक डॉ शिवानी मिश्रा के अनुसार अभिभावक न बनाएं बच्‍चोंं पर अच्‍छे नंबराेें का दवाब।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 08:15 PM (IST)
Board Exam: एक्‍सपर्ट की राय टेंशन नहीं रिलेक्‍स मूड में आ जाएं अब Agra News
Board Exam: एक्‍सपर्ट की राय टेंशन नहीं रिलेक्‍स मूड में आ जाएं अब Agra News

आगरा, तनुु गुप्‍ता। घड़ी की उल्‍टी गिनती शुरु हो चुकी है। एक पखवाड़ा और फिर इसके बाद बोर्ड एग्‍जाम का घमासान। फरवरी के पहले सप्‍ताह से ही यूपी, सीबीएसई और आइसीएसई की बोर्ड परीक्षाएं शुरु हो रही हैं। समय कम है और हाईस्‍कूल और इंटर कक्षाओं के छात्रों के लिए हर क्षण बेहद महत्‍वपूर्ण। यह समय बच्‍चों के लिए ही नहीं बल्कि उनके माता पिता के लिए भी अहमियत रखता है। एक तो समय कम की टेंशन दूसरा माता ि‍पिता का तैयारी कर लो, पढ़ाई कर लो, नंबर कम नहीं रहने चाहिए, मेरा लाल ताेे टॉप ही करेगा, सरीखेे डायलॉग, बच्‍चों पर इतना अधिक प्रेशर बना देते हैं कि बच्‍चे डिप्रेशन तक का शिकार बन जाते हैं। बाल मनोवैज्ञानिक डॉ शिवानी मिश्रा के अनुसार कई बार बच्चों को सबसे आगे देखने या कॉम्पिटिशन करने के चक्कर में अभिभावक बच्चों पर तनाव देना शुरू करने लगते हैं| एग्जाम के समय कॉम्पिटिशन की यह भावना कुछ हद तक अच्छी हो सकती है लेकिन हद पार होने पर यह अभिभावक और उनके बच्चों के लिए तनाव का कारण बन जाती है। ऐसे में जरूरी है कि अपेक्षा कम रख बच्‍चों को हंसते खेलते पढ़नेे के लिए मोटिवेट करें। क्‍योंकि तनाव से याददाश्‍त पर प्रभाव डालता है। ज्‍यादा बेहतर की चाह में बच्‍चा एग्‍जाम हॉल सबकुछ भूल भी सकता है।

loksabha election banner

ऐसे करें बच्‍चे की मदद

डॉ शिवानी कहती हैं कि एग्जाम टाइम में अपने बच्चे की सहायक बनें। परीक्षा का तनाव बच्चे को महसूस न हों, इसके लिए माता पिता को कुछ ऐसे तरीके अपनाने होंगे जिससे बच्चों को एग्जाम को लेकर स्ट्रेस भी कम हो और उनकी तैयारी भी अच्छी तरह से हो सके। बच्चे को टाइमटेबल बनाने और उसी के अनुसार पढ़ाई करने में मदद करें, ताकि आपके बच्चे के पास रिवीजन के लिए पर्याप्त समय बचे। कोई कॉन्सेप्ट बच्चे को स्पष्ट न हो तो उसे समझाने में सहायता करें ताकि वह उस टॉपिक को समझ कर आगे बढ़ सकें। एग्जाम से पहले सभी विषयों के छोटे-छोटे टेस्ट लें इससे न सिर्फ उन्हें जल्दी लिखने का अभ्यास होगा, बल्कि उत्तर को सही तरह से लिखने का भी तरीका समझ आएगा। तैयारी के दौरान बच्चे को सेहतमंद रखने के लिए पौष्टिक भोजन देना भी बहुत जरूरी है। बच्चे की पूरी नींद और आराम का ध्यान रखें और जितना हो सके एग्जाम के समय बच्चों को मोटीवेट करते रहें और भावनात्मक सहारा दें।

पहचानें कहीं बच्‍चा तनाव में तो नहीं

आमतौर पर बच्चे इस बात को लेकर परेशान होते हैं कि उनकी तैयारी पूरी नहीं है या तैयारी पूरी होने के बावजूद बहुत तनाव है। आम तौर पर चिंता के कारण कुछ बच्चे सो नहीं पाते या कुछ बहुत ज्यादा सोने लगते हैं। एग्जाम के ठीक पहले कुछ बच्चों की तबियत ख़राब होने लगती है और कुछ रिजल्ट को लेकर निराश होते दीखते हैं। बहुत ज्‍यादा तनाव होने पर कुछ बच्चे खुद को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग तरीके से बच्चों में एग्जाम को लेकर तनाव होता है और माता पिता को इस तनाव से बच्चों को दूर रखने के लिए हमेशा अपने बच्चे की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए और उसे अपनी चिंताओं को दूर करने परोत्साहित करना चाहिए, अपने बच्चों की मदद करें ताकि वह अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकें और एग्जाम में अच्छे तरीके से परफॉर्म कर सके|

नींद लेंं पूरी

हर बच्‍चा दूूसरे से अलग होता है। हरेक की पढ़ने की आदतें अलग अलग होती हैं। किसी को रात में पढ़ना पसंद होता है तो कोई सुबह जल्‍दी उठकर पढ़ना पसंद करता है। बच्‍चों को रोके टोके नहीं। बस ध्‍यान रखें वो जब भी पढ़ना चाहें पढ़नें दें लेकिन सात से आठ घंटे की नींद भी पूरी कर ले।

न बनाएं नंबरों का दवाब

एग्जाम के समय पहले से ही बच्चे के मन में यह तनाव रहता है की उसे अच्छे नंबर लाने है। ऐसे में यदि माता पिता भी बच्चों के अच्छे नंबर लाने का प्रेशर देते रहें तो इस परिस्तिथि में बच्चे तनाव में आ ही जाते है। इसीलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए।

बदलें निगरानी का तरीका

हाई स्कूल में आने के बाद अधिकतर बच्चे पढ़ाई के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने लगते हैं जिस कारण उन्हें हर समय पढाई को लेकर समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ऐसे में उन्हें नियंत्रित करने की बजाय अपने हिसाब से पढ़ाई करने की छूट दें। जरूरत से ज्यादा निगरानी और निर्देश देना उन्हें सीखने में मदद नहीं करेगा। हाई स्कूल के बच्चों को साथ बैठकर पढ़ाने की बजाय उन्हें कहें कि कोई टॉपिक समझ न आने पर वह आपके पास मदद लेने आ सकते हैं और अपने बच्चे को यह समझाएं की उन्हें एग्जाम की टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। हमेशा बच्चे को यह बताएं कि माक्र्स से ज्यादा सीखना महत्वपूर्ण है।

खुद भी रहें तनाव से दूर

अंकों के बल पर बच्चे का मूल्यांकन करना सही नहीं होता| मार्कशीट का परिणाम जीवन का एक हिस्सा ज़रूर है, लेकिन पूरा जीवन नहीं है। बच्चे की क्षमताओं को समझना और उसी के अनुसार संभावनाओं की तलाश करना समझदारी होगी और इससे आपका तनाव भी बहुत हद तक कम होगा।

छात्रों के जरूरी टिप्‍स

स्टूडेंट्स के लिए जरूरी बातें

- यह जानना जरूरी है कि किस वक्त चीजों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं, और उसी समय पर फिर पढ़ाई करें।

- प्राथमिकता के आधार पर तय करें कि मुश्किल टॉपिक्स को पहले पढ़ें।

- 45 से 50 मिनट लगातार पढ़ने के बाद ब्रेक जरूर लें। इस दौरान कुछ खाएं। चाहें तो अपनी पसंद का कोई काम करें, जैसे म्यूजिक सुनना या कोई खेल खेलना।

- जो भी पढ़ा है या याद किया है उसे मन ही मन दोहराते रहें। रिवीजन होने से कॉन्फिडेंस बना रहेगा कि मुझे याद है। लिखकर याद करने की कोशिश करें।

- परीक्षा के समय पूरी नींद लें। नियमित व्यायाम और योगा करें। संतुलित और हल्का भोजन करें।

माता पिता के लिए जरूरी बातें

- बच्चे को क्षमता और रुचि के अनुसार काम करने दें। उन पर अपनी इच्छा न थोपेंं।

- टीचर से बच्चे की प्रोग्रेस जानते रहें और उसके मित्रों से मिलते रहें। ताकि समय समय पर बच्चे को गाइड कर सकें।

- किसी दूसरे से होड़ नहीं करें। बच्चों को टारगेट के साथ समय भी दें।

- पढाई पर होने वाले खर्च के बारे में बच्चों को अनावश्यक तौर पर न बताएं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.