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Agra Crime: दुष्कर्म और हत्या के मामले में 19 साल बाद रिहा, थाने में हर सप्ताह लगानी होगी हाजिरी

ताजगंज में वर्ष 2003 में बालिका को अगवा कर दुष्कर्म के बाद की थी हत्या। मृत्युदंड की मिली थी सजा दया याचिका के बाद ताउम्र कैद में हुई थी तब्दील। अपराध के समय नाबालिग होने के चलते सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रिहाई के दिए आदेश।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 05:23 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 05:23 PM (IST)
Agra Crime: दुष्कर्म और हत्या के मामले में 19 साल बाद रिहा, थाने में हर सप्ताह लगानी होगी हाजिरी
केंद्रीय कारागार में निरुद्ध बंदी रविवार को अंतरिम जमानत पर रिहा हो गया।

आगरा, जागरण संवाददाता। किशोरावस्था में 19 साल पहले आठ वर्षीय बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में केंद्रीय कारागार में निरुद्ध बंदी रविवार को अंतरिम जमानत पर रिहा हो गया। आरोपित को ताजगंज थाने में हर सप्ताह हाजिरी लगानी होगी।

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घटना वर्ष 2003 की है। ताजगंज थाना क्षेत्र में आयोजित देवी जागरण के दौरान आठ वर्षीय बालिका को आरोपित बहाने से अपने साथ बुलाकर ले गया था। बालिका की दुष्कर्म के बाद क्रूरतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी गई थी। बालिका की तलाश में जुटे स्वजन और बस्ती के लोगों ने आरोपित को घटनास्थल के पास से दबोच लिया था। उसके खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था।

अदालत ने आरोपित दोषी पाते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट इलाहाबाद और सुप्रीम कोर्ट ने भी म़ृत्युदंड की सजा को यथावत रखा। वर्ष 2012 में दया याचिका पर राष्ट्रपति ने मृत्युदंड की सजा को इस शर्त के साथ उम्र कैद में बदल दिया कि आरोपित अपना बाकी जीवन बिना पेरोल के जेल में बिताएगा।

आरोपित के पास अपनी उम्र का कोई प्रमाण नहीं था। उसने अपराध के समय अपने नाबालिग होने का दावा करते हुए अपना आयु संबंधी मेडिकल कराने की गुहार लगाई थी। मेडिकल बोर्ड ने वर्ष 2013 में उसकी उम्र 23 वर्ष होना पाई। जिसके आधार पर अपराध के समय उसका नाबालिग होना पाया गया। पिछले दिनों उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो सका। सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी अंतरिम जमानत स्वीकृत करते हुए रिहाई के आदेश किए।

वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार वीके सिंह ने बताया कि बंदी के अंतरिम रिहाई से संबंधित आदेश मिल गया है। उसे रविवार को व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा कर दिया गया। उसे हर सप्ताह संबंधित थाने में अपनी हाजिरी लगानी होगी।

बस्ती छोड़ दूसरी जगह रहता है पीड़ित परिवार

बेटी की हत्या के कुछ साल बाद पीड़ित परिवार ने बस्ती छोड़ दी थी। परिवार ने दूसरी बस्ती में जाकर मकान बनवा वहां रहने लगा।वहीं, आरोपित का परिवार भी पुरानी बस्ती में ही रहता है। अपना पुराना मकान बदल दिया है। 


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