ताजनगरी को 12 वर्षों से लगातार मिल रहे थे विनोद अग्रवाल के भक्तिमय सुर, जानिये भजन सम्राट से जुड़ी बातें
जीवनकाल में 1500 से अधिक लाइव प्रस्तुतियां देश- दुनिया में दी थीं विनोद अग्रवाल ने। बिना किसी रिटेक के होती थी उनके भजनों की रिकॉर्डिंग।
आगरा [जेएनएन]: मोहब्बत की नगरी में कृष्ण के भजनों की गूंज, भक्ति का अलौकिक वातावरण और कभी न तृप्त होने वाले भक्तिमय अभिलाषा। 2006 में पहली बार भजन सम्राट विनोद अग्रवाल जब आए थे तो मुगलिय विरासत का यह शहर कृष्णभक्ति से तृप्त हो गया था। भक्ति और भजन का ऐसा साथ हुआ कि 2018 तक निरंतर जारी रहा। सोमवार को वृंदावन में अंतिम सांस लेकर दुनिया को सदैव के लिए अलविदा कहने वाले भजन सम्राट विनोद अग्रवाल 2019 में छह अप्रैल को फिर एक बार आगरा आने वाले थे। लेकिन अब उनकी स्मृति शेष ही रह गई हैं और कानों में अब भी उनके भजनों के स्वर गूंज रहे हैं।
आगरा में भजन सम्राट को भजन संध्या के लिए आमंत्रित करने वाली संस्था मुरलीधर मनुहार के अध्यक्ष पुष्पेंद्र त्रिवेदी के अनुसार 2006 में पहली बार ताजनगरी फेस वन में विनोद अग्रवाल की प्रस्तुति हुई थी। मुरलीधर मनुहार संस्था आगरा में हर वर्ष हिंदू नववर्ष के अवसर पर भजन संध्या का आयोजन करती रही है। तब से वे हर वर्ष यहां आए। 2007 और 2008 में तारघर मैदान में में विनोद अग्रवाल की भजन संध्या हुई थी। 2009 से 2018 20 मार्च तक जीआइसी मैदान में भजन संध्या का आयोजन होता रहा। 2019 में छह अप्रैल को जीआइसी मैदान में एक बार फिर भजन संध्या तय कर दी गई थी जो उनके देहावसान से जो अब नहीं हो पाएगी।
याद रहेगी 20 मार्च की वो शाम
20 मार्च 2018 को जीआइसी मैदान में मुरली मनुहार संस्था ने जब भजन संध्या का आयोजन किया तो इस बार विनोद अग्रवाल के साथ दिल्ली के भजन गायक राहुल चौधरी को भी आमंत्रित किया। विनोद कृष्ण भक्त और राहुल राधारानी के। दोनों भक्तों की जोड़ी ने राधा और कृष्ण के प्रेम को समधुर भजनों के माध्यम से जब प्रस्तुत किया तो आगरावासी भक्तिभाव से विभोर हो उठे थे।
11 नवम्बर को मथुरा में होनी थी भजन संध्या
विनोद अग्रवाल का एक आवास पुष्पांजलि बैकुंठ कालोनी स्थित गोविंद की गली मथुरा में है। यहां 11 नवंबर से हित अम्बरीष की कथा प्रवचन का आयोजन कॉलोनी के मंदिर में होने जा रहा था। इसी दिन विनोद अग्रवाल की शाम सात बजे से भजन संध्या का भी आयोजन था। जिसमें कई अन्य भजन गायक भी सहभागिता करने वाले थे। इस आयोजन को भव्यता प्रदान करने के लिए विनोद अग्रवाल तैयारियों में लगे हुए थे। हर दिन कालोनी के लोगों के साथ बैठक कर इस आयोजन को भव्यता देने के लिए मंथन कर रहे थे।
माता पिता से मिले थे भक्ति के संस्कार
विनोद अग्रवाल का जन्म छह जून 1955 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता किशननंद अग्रवाल और मां रत्नदेवी अग्रवाल को भगवान कृष्ण और राधा पर अटूट विश्वास था। 1962 में सात साल की उम्र में माता-पिता और भाई-बहनों के साथ वह दिल्ली से मुंबई चले गए। केवल 12 वर्ष की आयु में उन्होंने भजन गायन आरम्भ किया और हार्मोनियम बजाना सीख लिया। 11 दिसंबर, 1975 में 20 वर्ष की आयु में विनोद अग्रवाल का विवाह कुसुम लता से हो गया। उनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी हैं। विनोद अग्रवाल के माता पिता ने भजन गाने के लिए प्रोत्साहित किया था। संतों और गुरुओं के सत्संग में उन्होंने अपनी इस कला को और निखारा।
1978 से हरिनाम संस्कार
1978 से वह अपने बड़े भाई के कार्यालय में हर रविवार की सुबह हरि नाम संस्कार आयोजित कर रहे थे। 1979 में उन्होंने भटिंडा, पंजाब के गुरु स्वर्गीय मुकुंद हरि से दीक्षा ली। उनके गुरु की इच्छा थी कि विनोद अग्रवाल सारी दुनिया में हरि नाम का प्रचार करें। अपने गुरु की इसी इच्छा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर विनोद अग्रवाल ने देश के अनेक राज्यों के विभिन्न शहरों में अनगिनत प्रस्तुतियां दी हैं। वह 1993 से बिना किसी शुल्क के लाइव प्रस्तुति भी कर रहे थे।
1500 से अधिक लाइव प्रस्तुति
अपने भजनों से सारी दुनिया को भक्ति रस से सराबोर करने वाले विनोद अग्रवाल ने अपने जीवनकाल में 1500 से अधिक लाइव प्रस्तुतियां दीं। देश के साथ यूके, इटली, सिंगापुर, स्विटजरलैंड, कनाडा आदि देशों में प्रस्तुतियां उन्होंने दीं। 100 से भी अधिक ऑडियो कैसेट, सीडी और वीसीडी भारत में कई शीर्ष ऑडियो कंपनियों द्वारा जारी की गई हैं, जो पूरे विश्व में फैली हैं। उनकी रिकॉर्डिंग बिना किसी रिटेक के सीधे रिकॉर्ड होती थीं।