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मृतकों को किया जीवित तो किसी को किया शतायु, अब लापरवाही पड़ रही है भारी

15 सितंबर से चलाया जा रहा है पुनरीक्षण अभियान। सरकारी मशीनरी द्वारा बरती जा रही लापरवाही की खुल रही पोल।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 04:06 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 04:06 PM (IST)
मृतकों को किया जीवित तो किसी को किया शतायु, अब लापरवाही पड़ रही है भारी
मृतकों को किया जीवित तो किसी को किया शतायु, अब लापरवाही पड़ रही है भारी

आगरा [संजय रुस्तगी]: मतदान करना एक अहम जिम्मेदारी है। इसका मतलब है कि अब अपने प्रतिनिधि और अपनी पसंद की सरकार का चुनाव कर सकते हैं। भारतीय संविधान 18 साल और उससे अधिक उम्र के युवाओं को मतदान का अधिकार देता है। लेकिन, मतदाता होने के लिए सूची में सही नाम होना भी जरूरी है। इसी आवश्यकता की आड़ में राजनीति के खेल चल रहे हैं। कहीं अपने मतदाता बढ़ाने के लिए एक ही व्यक्ति के नाम दो-दो जगह दर्ज करा दिए गए हैं तो कहीं मुहल्ले के मुहल्ले मतदाता सूची से गायब हो जाते हैं। निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों की गड़बड़ी रोकने को सजग है। लगातार सूची का पुनरीक्षण किया जाता है, गड़बडिय़ों को दूर करने के निर्देश जारी किए जाते हैं। लेकिन मुश्किल ये है कि गड़बडिय़ां दूर करने के लिए जिम्मेदार अपनी ड्यूटी का सही ढंग से निर्वहन नहीं करते। इसी लापरवाही का नतीजा है कि लोगों की जागरूकता के बाद भी मतदान का प्रतिशत अपेक्षित रूप से नहीं बढ़ पा रहा है। मतदान के दिन तमाम लोग सूची में नाम न होने के कारण वापस लौट जाते हैं। अब उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलने वाला है। कहीं आपके साथ भी धोखा न हो जाए, इसके लिए अभी से सचेत हो जाएं और मतदाता सूची में अगर कोई गड़बड़ी है उसको जल्द से जल्द दुरुस्त करा लें।

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मृतकों को किया जा रहा है जीवित

राजस्थान व मध्यप्रदेश के मतदाताओं के जिले में पहचान पत्र बनाने के राजफाश के बाद अब मृतक मतदाताओं को शतायु बनाने का मामला सामने आया है। दैनिक जागरण की पड़ताल में जिले के शतायु 74 मतदाताओं में कई ऐसे हैं, जिनकी उम्र वोटर लिस्ट में सौ साल और इससे अधिक है। वास्तव में वह जीवित ही नहीं हैं। जो जीवित हैं, उनकी उम्र गलत है।

निर्वाचन आयोग ने जून-जुलाई में विधानसभा व लोकसभा की वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण अभियान चलाया था। इसमें बीएलओ को घर-घर जाकर नए मतदाता बनाने के साथ ही गलतियों को भी संशोधित करना था। अभियान पूरी जिम्मेदारी से संचालित होने का दावा किया था। राज्य निर्वाचन अधिकारी ने जब सौ साल अथवा उससे ज्यादा उम्र के मतदाताओं की सूची मांगी तो जिले ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। जिलेभर में ऐसे 74 मतदाता मिले। बाह व फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र में इनकी संख्या अधिक है।

एडीओ को नहीं जानकारी

जिले में कागजों पर वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण अभियान चल रहा है, लेकिन सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी भरत सिंह को इसके बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने सौ साल और उससे अधिक उम्र के मतदाताओं के बारे में बाबू को जानकारी होना बताया। इसकी रिपोर्ट राज्य स्तर पर भेजी जा चुकी है, लेकिन उन्हें शतायु मतदाताओं की संख्या भी नहीं पता है।

एडीएम बोले, करा रहे जांच

उप जिला निर्वाचन अधिकारी व एडीएम (एफआर) राकेश मालपाणी का कहना है कि सौ साल वाले मतदाताओं की उम्र गलत होने की जानकारी मिली है। इसकी जांच कराई जा रही है। सभी एआरओ को इसके बारे में रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट आने पर वोटर लिस्ट को संशोधित कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो भी बीएलओ व पदाभिहीत अधिकारी जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

आगरा में बीएलओ के काम पर उठ रहे सवाल

आगरा जिले की नौ विधानसभा सीटों पर 3778 बूथ हैं, सभी पर एक-एक बीएलओ को तैनाती की गई है। इसके अलावा 1758 पदाभिहीत अधिकारी तैनात हैं। हर विधानसभा क्षेत्र पर निर्वाचन अधिकारी भी है, लेकिन किसी ने भी वोटर लिस्ट का सत्यापन कराने की जरूरत महसूस नहीं की। लिहाजा बीएलओ घर बैठे उसे अपडेट करते रहे। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा शतायु मतदाताओं की जानकारी मांगे जाने के बाद कई राजफाश हुए हैं।

मौजूदा अभियान में भी लापरवाही

वर्तमान में 15 सितंबर से भी पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इसके विशेष दिवस पर जब भी पड़ताल की गई है, अधिकांश बूथों पर बीएलओ गायब मिले हैं। कई बूथों पर फार्म भी कम मिले हैं। अधिकारियों के कार्रवाई करने के बाद भी बीएलओ की कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ है। मौजूदा अभियान में भी लापरवाही मिले तो अतिश्योक्ति नहीं है।

बन गया था बंगलादेशी परिवार का वोट

जिले के रुनकता में सैफुल्लाह गाजी व उसके परिजनों के भी वोट बन गए थे। राज्य निर्वाचन अधिकारी एल वेक्टेश्वर लू के निर्देश पर जांच हुई। पुष्टि होने पर वोटर लिस्ट से सभी के नाम काट दिए गए। लेकिन वोट कैसे बने? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसकी पड़ताल नहीं कराई गई।

मथुरा में गड़बडिय़ां ठीक हों तो बढ़ सकता है मतदान प्रतिशत

केस

कृष्णापुरी निवासी राजेश का नाम मतदाता सूची में गलत हो गया है। उनके फोटो के सामने पिता का नाम लिखा है और पिता के नाम की जगह राजेश का नाम लिख दिया गया है। सेठ बीएन पोद्दार इंटर कॉलेज में लगे कैंप में फार्म भरा पर कोई फायदा नहीं हुआ।

केस दो

गोङ्क्षवद नगर निवासी सारिका शादी के बाद ससुराल आईं तो मतदाता सूची में नाम जुड़वाया, इसमें उनकी उम्र 56 वर्ष लिख दी गई है, जबकि वह अभी मात्र 26 वर्ष की हैं। उन्होंने भी जवाहर इंटर कॉलेज में फार्म भरा पर ढाक के तीन पात।

मथुरा जिले में यह तो चंद उदाहरण हैं। विस निर्वाचन क्षेत्रों में निर्वाचक नामावलियों के पुनरीक्षण अभियान में ऐसी ही खामियां देखने को मिल रही हैं। यह खामियां तो वह हैं जो बूथ तक चलकर आ रही हैं। अनेक मतदाता अभी भी ऐसे हैं जिनके नाम, पते, वल्दियत व जेंडर आदि में भारी खामियां होंगी। इनमें राजनीतिक दलों की अरुचि भी शामिल है। फार्म में खामी या शब्द अस्पष्ट हैं इसकी चिंता सरकारी कर्मचारी नहीं करते।

चुनाव में मतदान का प्रतिशत अक्सर पचास से साठ के बीच रह जाता है, कारण अनेक लोग वोट नहीं डाल पाते, और अनेक चाहते भी हैं तो उनके वोटर कार्ड में खामियों से वह वंचित रह जाते हैं। 17 नवंबर को छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा तथा बल्देव में अभियान चलाया गया। अभियान में लगी भीड़ को देखते कहा जा सकता है कि सूची में शामिल हजारों नामों में गड़बड़ी है।

मैनपुरी में आयोग ने पकड़े 15 हजार डबल वोटर

चुनाव आयोग की लगातार कोशिशों के बाद भी फर्जी वोटिंग का खेल नहीं थम रहा है। फोटो युक्त सूची बनाने के बाद भी एक ही व्यक्ति दो-दो जगह मतदाता बना हुआ है। मैनपुरी जिले में अब तक ऐसे 15 हजार नाम सामने आए हैं, जिनकी जानकारी आयोग ने पिछले दिनों भेजी थी। अब इनको एक जगह से काटा जा रहा है। हर चुनाव से पहले मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने के लिए आयोग द्वारा पुनरीक्षण अभियान चलाया जाता है, लेकिन इसके बाद भी एक ही नाम दो- दो जगह वोटर के तौर पर दर्ज हो रहा है। अब आयोग ने खुद सॉफ्टवेयर की मदद से ऐसे मतदाताओं की पहचान की है। बीते माह जिला निर्वाचन कार्यालय को इसकी सूचना दी गई है। जिसके बाद अब पुनरीक्षण अभियान के दौरान इनको घर-घर जाकर परखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बड़ी संख्या में नाम अब तक हटाए जा चुके हैं।

एक मतदान केंद्र पर ही दो जगह नाम

मतदाता सूचियों की खामी का सबसे बड़ा उदाहरण जिले के 860 वोटर थे। इनके नाम एक ही मतदान केंद्र के क्षेत्र में दो जगह दर्ज हैं। यानि यदि बीएलओ पूर्व में चले पुनरीक्षण के दौरान गंभीरता से काम करते तो यह नाम पहले ही हट चुके होते।

अब भी पूरी तरह पुख्ता नहीं है सिस्टम

आयोग द्वारा डबल वोटर पकडऩे को की गई व्यवस्था अब भी पूरी तरह पुख्ता नहीं है। जो सॉफ्टवेयर बनाया गया है वह केवल एक विधानसभा क्षेत्र के अंदर ही एक जैसे नाम, वल्दियत, पता आदि की पहचान कर संदिग्ध वोटर की सूची तैयार करता है। यदि एक ही नाम अलग-अलग विधानसभाओं में दर्ज है तो उसका पता इससे नहीं चलता। इस बाबत सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी फूलचंद का कहना है कि आयोग ने 15 हजार डबल वोटर की जानकारी दी थी। इसके हिसाब से सूचियों में संशोधन का काम चल रहा है।

हमेशा सुर्खियों में रहता है एटा का अलीगंज

यूं तो हर बार चुनाव आते ही मतदाता सूचियों से नाम काटे जाने या जोड़े जाने को लेकर फर्जी नामों की शिकायतें गूंजने लगती हैं। लेकिन यहां का अलीगंज विधानसभा क्षेत्र सबसे अधिक शिकायतों के चलते हर बार सुर्खियों में रहता है। पिछली बार जब पुनरीक्षण अभियान चला तो यहां के सत्ता पक्ष के विधायक ने ही मार्च में सख्त एतराज जताया। उनका आरोप था कि क्षेत्र में करीब बीस हजार जीवित मतदाताओं के नाम मृत दर्शाकर अवैध तरीके से काट दिए गए। प्रमाण देने के लिए वे दर्जनों की संख्या में ऐसे लोगों को लेकर डीएम आवास पर पहुंचे और मुलाकात की। प्रशासन ने अपने स्तर पर जो जांच कराई, उसमें एक रजिस्ट्रार कानून गो को निलंबित किया गया और कंप्यूटर आपरेटर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।

कासगंज में मृतक हर साल डाल देते वोट

कासगंज जिले की कई ग्राम पंचायत ऐसी हैं जहां बूथ लेवल अधिकारियों की मनमानी एवं स्थानीय प्रतिनिधियों की मिलीभगत के चलते मरे हुए लोगों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल है। सोरों विकासखंड की ग्राम पंचायत गुरहना की बात करें तो यहां राजकुमार पुत्र राधेश्याम और हरीश पुत्र प्यारे लाल सहित दर्जनों ऐसे नाम हैं जो अब इस दुनिया में है। जबकि इनके नाम मतदाता सूची में शामिल है। इतना ही नहीं इन मृतकों के हर साल वोट भी पढ़ते हैं। वहीं कई ऐसे वोटर्स के नाम काट दिए गए हैं जो आज भी बूथ क्षेत्र में रहते हैं तथा पूर्व में वोट भी डालते रहे हैं। गांव लुहर्रा निवासी शालु पुत्री सुरेश दो वर्ष पूर्व मतदाता बनी थी तथा अपना वोट भी डाला, लेकिन अब उसका नाम कट गया है।

फीरोजाबाद में हजारों जिंदा मतदाताओं को मुर्दा बताने की रची थी साजिश

केस-एक

जिले में लोकसभा चुनाव को फर्जीवाड़े से प्रभावित करने की साजिश रची गई थी। हजारों मतदाताओं को मृत दिखाकर नाम कटवाने के आवेदन किए गए, मगर साजिश पकड़ी गई। साजिश रचने वालों की पहचान नहीं हो सकी।

केस-दो

छह माह पूर्व विधानसभाओं में तहसीलों में हजारों ऐसे ऑनलाइन आवेदन फॉर्म आए, जो मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं के नाम काटने के लिए जमा कराए गए थे। जांच में आवेदक घर पर जिंदा बैठे मिले।

चुनाव से पहले इस तरह की साजिशें पकड़ी तो जाती हैं, मगर उन्हें करने वाले कभी नहीं पकड़े गए। जानकार बताते हैं इन सब के पीछे विरोधी दल का हाथ होता है। एक दूसरे के वोट बैंक को काटने के लिए वोटर लिस्ट से नाम कटवा दिए जाते हैं। मतदाता जब वोट डालने पहुंचता है तो पता चलता है कि लिस्ट में नाम ही नहीं आया। सहायक निर्वाचन अधिकारी रेनू अग्रवाल ने बताया कि छह माह पूर्व पकड़ी गई हरकत किसी शरारती तत्व की थी। इसकी जांच साइबर सेल के माध्यम से चल रही है। इसमें कार्रवाई आयोग स्तर से होगी। जिलास्तर पर ऐसे सभी आवेदनों को निरस्त कर दिया गया है। वहीं डीएम नेहा शर्मा की तरफ से सभी तहसीलों और बीएलओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे नाम काटने के लिए दिए गए सभी आवेदनों की गंभीरता से जांच करें।

ये है सच्चाई

- बाह विधानसभा क्षेत्र के जैतपुर ब्लाक के पारना पंचायत में बूथ संख्या 328 की क्रम संख्या 786 पर सरोज रानी प8ी ग्याप्रसाद का नाम दर्ज है। इनकी उम्र 100 साल दर्ज है। वास्तव में इनकी मृत्यु हो चुकी है।

- वोटर लिस्ट में बाह विधानसभा क्षेत्र के गोपालपुरा के बूथ 117 के भाग 291 पर लटूरी सिंह पुत्र जनक सिंह का नाम दर्ज है। यह भी जिंदगी की सेंचुरी लगा चुके हैं, लेकिन गांव जाने पर पता चला कि लटूरी अब दुनिया में नहीं हैं।

- फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र के नगला भोगली गांव में दुलारी पत्नी द्वारिका प्रसाद वोटर लिस्ट में 101 वर्षीय हैं, वास्तव में वह स्वर्ग सिधार चुकी हैं।

- ब्लॉक शमसाबाद की भाग संख्या 27 के क्रमांक 634 में दर्ज धीमरपुरा की बैकुंठी पत्नी नत्थू लाल की वोटर लिस्ट के हिसाब से उम्र 100 वर्ष है। वास्तव में उन्होंने अपनी उम्र 64 वर्ष बताई।


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