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मार्च में तीन दिन कर सकेंगे मुमताज और शाहजहां की असली कब्रों का दीदार, ये है वजह Agra News

21 मार्च से तीन दिन तक चलेगा ताजमहल में आयोजन। तहखाना में स्थित असली कब्रों को खोला जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 04:33 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 09:11 PM (IST)
मार्च में तीन दिन कर सकेंगे मुमताज और शाहजहां की असली कब्रों का दीदार, ये है वजह Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल शहंशाह शाहजहां का 365वां उर्स ताजमहल में 21 से 23 मार्च तक मनाया जाएगा। तीन दिनों के लिए तहखाना में स्थित शाहजहां व मुमताज की असली कब्रों को खोला जाएगा। मुख्य आकर्षण सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक सतरंगी चादर रहेगी।

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शाहजहां का उर्स हिजरी कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख को मनाया जाता है। इस वर्ष यह तारीख 21 से 23 मार्च में पड़ेंगी। 21 मार्च को दोपहर दो बजे गुस्ल की रस्म होगी। शाहजहां-मुमताज की तहखाना में स्थित असली कब्रों को खोला जाएगा। अजान होगी और फातिहा पढ़ा जाएगा। ताज बंद होने तक कव्वाली होगी। 22 मार्च को दोपहर दो बजे संदल चढ़ाया जाएगा। मिलाद-उन-नवी पढ़ा जाएगा और ताज बंद होने तक कव्वाली होगी। 23 मार्च को सुबह कुल शरीफ होगा। इसके बाद कुरान ख्वानी, फातिहा पढ़ा जाएगा। पूरे दिन चादरपोशी होगी। शाम को पांच बजे लंगर तकसीम किया जाएगा। तीनों दिन रॉयल गेट पर नौबत बजेगी। 21 व 22 मार्च को दोपहर दो बजे से और 23 मार्च को पूरे दिन ताजमहल में प्रवेश निश्शुल्क मिलेगा।

उर्स में ही खुलती हैं कब्रें

ताजमहल में तहखाना में स्थित शाहजहां व मुमताज की असली कब्रें वर्ष में तीन दिन शाहजहां के उर्स पर ही खुलती हैं। पर्यटक इनके ठीक ऊपर कक्ष में बनीं कब्रों की प्रतिकृतियों को देखते हैं।

तैयारियों के लिए हुई बैठक

उर्स की तैयारियों को उप्र अमन कमेटी, शाहजहां उर्स कमेटी, रोजा-ए-खुद्दाम कमेटी, इस्लामिया लोकल एजेंसी और अंजुमन-ए-मोहम्मदिया कमेटी की बैठक हुई। सैयद मुनव्वर अली ने बताया कि उर्स में आने वाले जायरीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का सहयोग करेंगे। 

कब्रों पर जड़े थे कभी असली हीरे जेेेेवरात  

मुमताज और शाहजहांं की असल कब्र ताज के नीचे 22.2 फीट गहरे संगमरमर के बने तहखाने में है। पहले इस तहखाने में चांदी के दरवाजे लगे थे, जो बाद में उतार लिए गए। असली कब्रों पर निहायत कीमती हीरे-जेवर जड़े हुए थे, जो बाद में उखड़ गए या उखाड़ लिए गए।  शाहजहांं ने मुमताज की कब्र के लिए एक रत्नजड़ित मोतियोंं की चादर बनवाई थी, जो लाखों रुपए में तैयार हुई थी। लेकिन 1131 हिजरी यानी 1718 ई. में अमीरुल उमरा हुसैन अली खान ने कुछ दिन आगरा किले पर कब्जा किया था।  कहा जाता है कि उसी दौरान उसने वो चादर समेत करीब 3 करोड़ कीमत की मुमताज महल की चीजे जब्त कर ली थी।


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