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World Water Day 2021: सात नदियों के शहर में पानी का संकट, यमुना कलुषित, भूगर्भ जल भी सीमित

World Water Day 2021 यमुना बन चुकी है नाला। सीधे गिरते हैं 61 नाले। भूगर्भ जल स्तर जा रहा है निरंतर नीचे। नहीं संभले तो होगी विकट स्थिति। अन्य नदियों का अस्तित्व संकट में। बरसाती नदियां बनकर रह गई हैं शहर की पांच नदियां।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 03:11 PM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 03:11 PM (IST)
बरसाती नदियां बनकर रह गई हैं शहर की पांच नदियां।

आगरा, जागरण संवाददाता। आज विश्व जल दिवस है। वर्ष 1993 में जल के महत्व को समझते हुए इसकी शुरुआत जल स्रोतों को स्वच्छ रखने के लिए लोगों को प्रेरित करने और पानी बर्बाद नहीं करने के उद्देश्य से की गई थी। तब से प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है। सात नदियों के शहर आगरा में पानी का गंभीर संकट है। यमुना कलुषित है और भूगर्भ जल भी सीमित है। शहर में पानी की आपूर्ति को बुलंदशहर से पाइपलाइन बिछाकर गंगा जल लाना पड़ा है। भूगर्भ जल रिचार्ज के स्रोत या तो नष्ट हो चुके हैं या दूषित हो गए हैं। भूगर्भ जल में फ्लोराइड की अधिकता लोगों को दिव्यांग बना रही है।

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आगरा में सात नदियां हैं। इनमें से यमुना नाला बन चुकी है। यमुना में 61 नालाें का गंदा पानी सीधे जा रहा है। नालों से 216 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के यमुना में गिर रहा है। पार्वती, खारी, उटंगन, बाणगंगा और किवाड़ नदियों का अस्तित्व संकट में है। केवल चंबल नदी में ही स्वच्छ पानी उपलब्ध है। आगरा में यमुना की दुर्दशा को लेकर तो लोग चिंतित हैं, लेकिन अन्य नदियों के अस्तित्व को बचाने की चिंता किसी को नहीं है।

नष्ट हो गए तालाब

जिले में 3687 तालाब हैं, जिनमें से 2825 तालाबों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। 59 तालाबों का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो चुका है। तालाबों के सिमटते अस्तित्व से प्रतिवर्ष भूगर्भ जल में 30 सेंटीमीटर से एक मीटर तक की गिरावट प्रतिवर्ष हो रही है। इसके चलते भूगर्भ जल स्तर तीसरे स्ट्रेटा (90-150 मीटर) तक पहुंच गया है। आरओ प्लांट और सबमर्सिबल से पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है।

पट्टी पचगाईं में फ्लोराइड से हो रहे दिव्यांग

पट्टी पचगाईं में भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है। इसके चलते लाेग दिव्यांग हो रहे हैं। अधिवक्ता गिरीशचंद्र शर्मा ने ग्रामीण क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। हाईकोर्ट ने छह अप्रैल को संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है।

सिंचाई में सर्वाधिक भूजल का उपयोग

जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बीआरडीएस के अध्यक्ष डा. केपी सिंह बताते हैं कि भारत में भूजल का सर्वाधिक उपयोग सिंचाई में किया जाता है। सिंचाई के मुख्य साधन नहरें, टैंक, कुएं और ट्यूबवैल हैं। इनमें भूजल की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। कुएं व ट्यूबवैल सिंचाई को 61.6 फीसद जल उपलब्ध कराते हैं, जबकि नहरों से केवल 24.5 जल मिलता है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सर्वाधिक भूजल का उपयोग करने वाला देश है। भूजल का 85 फीसद कृषि में, 5 फीसद घरेलू व 10 फीसद उद्योग में किया जाता है। विगत 15 वर्षों में देश के भूजल स्तर में 61 फीसद तक की कमी आई है। देश के 40 फीसद क्षेत्र में सूखे का संकट है।

बारिश पर है अधिक निर्भरता

डा. केपी सिंह के अनुसार देश के वार्षिक भूजल संसाधन में वर्षा जल का योगदान 68 फीसद है और नहरों में रिसाव, सिंचाई के पानी की वापसी, टैंक, तालाब व जल संरक्षण जैसी संरचनाओं से रिचाज केवल 32 फीसद होता है। मानसून में अच्छी बारिश के बावजूद भूजल स्तर में गिरावट की मुख्य वजह वाटर हार्वेस्टिंग का अभाव, तालाबों व कुओं का पट जाना, अत्यधिक पानी का उपयोग हैं।

यमुना जल में प्रदूषण की स्थिति: जनवरी, 2021

डीओ, बीओडी, टाेटल कालिफार्म, फीकल कालिफार्म

अप स्ट्रीम कैलाश घाट

5.4, 12.4, 33000, 16000

अप स्ट्रीम वाटर वर्क्स

5.0, 16.0, 45000, 22000

डाउन स्ट्रीम ताजमहल

4.6, 20.0, 92000, 35000

मानक

डीओ: पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच और शोधन के बाद चार मिलीग्राम प्रति लीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

बीओडी: पीने के पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और शोधन के बाद तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

टोटल कालिफार्म: पीने के पानी में 50, नहाने के पानी में 500 और शोधन के बाद किसी भी दशा में पांच हजार मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिली लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। 


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