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आरबी पुरम प्रकरण के आरोपितों को मिली जमानत, रिहाई के आदेश

एत्माद्दौला के कालिदी विहार में रविवार को दुकान बंद कराने गई पुलिस से दुकानदार का हुआ था विवाद पुलिस द्वारा हत्या का प्रयास सात सीएलए एक्ट की धारा हटाने के बाद साफ हुआ रिहाई का रास्ता

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:30 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:30 PM (IST)
आरबी पुरम प्रकरण के आरोपितों को मिली जमानत, रिहाई के आदेश
आरबी पुरम प्रकरण के आरोपितों को मिली जमानत, रिहाई के आदेश

आगरा, जागरण संवाददाता। एत्माद्दौला के कालिंदी विहार स्थित आरबीपुरम प्रकरण के आरोपितों का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकृत करते हुए अदालत ने उनकी रिहाई के आदेश दिए। मुकदमे की विवेचना में पुलिस द्वारा हत्या का प्रयास और सात क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट सीएलए की धारा हटाने के बाद आरोपितों की रिहाई का रास्ता साफ हो सका। दुकानदार और उसके परिवार द्वारा पुलिस पर हमले के आरोप में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करके जेल भेजा गया था। मामला तूल पकड़ने पर भाजपा विधायकों ने डीएम और एसएसपी से इसकी निष्पक्ष जांच कराने की कहा था।

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घटना 11 अप्रैल को हुए लाकडाउन के दौरान की है। आरबी पुरम कालोनी निवासी प्रमोद उपाध्याय ने घर में बनी अपनी दुकान खोल रखी थी। इसे बंद कराने पहुंची पुलिस से प्रमोद उपाध्याय और उनके परिवार का विवाद हो गया था। आरोप था कि दुकानदार और उसके परिवार के लोगों ने चौकी प्रभारी विनीत राणा और अन्य पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया था। उनके साथ मारपीट और पथराव किया था। पुलिस ने प्रमोद उपाध्याय उसके बेटों पंकज, हरि गोपाल, पत्नी किरन देवी, बहुओं वर्षा और ज्योति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

मामले में भाजपा विधायक राम प्रताप सिंह चौहान, योगेंद्र उपाध्याय ने एसएसपी से पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए जांच कराए जाने की मांग की थी। पूर्व विधायक डाक्टर धर्मपाल सिंह ने डीएम को पत्र लिखकर पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच कराने की कहा था। मामला तूल पकड़ने पर पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर विवेचना में हत्या के प्रयास की धारा को हटाया। स्वतंत्र गवाहों द्वारा अपने बयान में घटना के समय किसी तरह की अफरातफरी वह दहशत नहीं फैलने की बताया। इस आधार पर पुलिस ने सात सीएलए एक्ट की धारा को हटा दिया था।

इससे प्रमोद उपाध्याय समेत सभी छह आरोपितों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। आरोपितों की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। इस पर सुनवाई के बाद सिविल जज जूनियर डिवीजन अनुकृति संत ने आरोपितों की जमानत स्वीकृत करते हुए उनकी रिहाई के आदेश दिए।


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