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Cyber Crime: एक कंप्यूटर के सहारे साइबर अपराधियों से जंग लड़ रही रेंज साइबर सेल थाने की टीम

Cyber Crime साइबर अपराधों के अनावरण को न साफ्टवेयर और न ही अन्य टूल्स। आगरा में 20 मार्च 2020 को रेंज साइबर थाने का उद्घाटन हुआ। शासन के निर्देशों के अनुसार इस थाने के लिए संशाधन रेंज मुख्यालय वाले जिले से उपलब्ध कराए जाने थे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 08:42 AM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 08:42 AM (IST)
आगरा में 20 मार्च 2020 को रेंज साइबर थाने का उद्घाटन हुआ।

आगरा, यशपाल चौहान। ग्लाक पिस्टल या इंसास रायफल से साइबर अपराध पर शिकंजा नहीं कसा जा सकता। इसके लिए कंप्यूटर और कुछ साफ्टवेयर व अन्य टूल्स की जरूरत पड़ती है। मगर, साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने को बनाए गए रेंज साइबर थाने की टीम के पास ये नहीं हैं। यह टीम एक कंप्यूटर के सहारे साइबर अपराधियों से जंग लड़ रही है। साइबर अपराधियों को ट्रेस करने को न तो साफ्टवेयर हैं और न ही दबिश देकर उन्हें पकड़ने को डीजल का इंतजाम। ऐसे में साइबर अपराधियों पर शिकंजा कैसे कसा जाएगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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आगरा में 20 मार्च 2020 को रेंज साइबर थाने का उद्घाटन हुआ। शासन के निर्देशों के अनुसार इस थाने के लिए संशाधन रेंज मुख्यालय वाले जिले से उपलब्ध कराए जाने थे। आगरा जनपद की पुलिस लाइन के पास इस थाने के लिए बिल्डिंग दी गई। आगरा से ही दो कंप्यूटर दिए गए और कुर्सी-मेज की व्यवस्था कर दी गई। एक गाड़ी भी दी गई, जिसके लिए प्रति माह 150 लीटर डीजल उपलब्ध कराया जाता है। जबकि रेंज साइबर थाने के कार्यक्षेत्र में आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा और मैनपुरी जनपद आते हैं। इस थाने में साइबर क्राइम से संबंधित मुकदमे दर्ज कर उनका अनावरण और अपराधियों की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी भी है। साथ ही विवेचना भी यहीं से की जानी है। मगर, संशाधनों की कमी है। दो कंप्यूटर में से एक खराब हो गया। एक ही कंप्यूटर वर्तमान में काम कर रहा है। यह केवल एफआइआर दर्ज करने, विवेचना करने और मेल भेजने व रिसीव करने के काम में ही आता है। साइबर अपराध के अनावरण को इसमें न तो कोई साफ्टवेयर है और न ही कोई अन्य टूल्स। साइबर अपराधी अधिकतर बिहार और झारखंड के निकलते हैं। यहां दबिश देने के लिए 150 लीटर डीजल से कैसे काम हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि इसलिए साइबर थाने की टीम कई मामलों में अपराधी ट्रैस होने के बाद भी दबिश देन नहीं जाती। सबसे नजदीक भरतपुर के आसपास का मेव गैंग है। यहां के कई शातिर लोगों को ठगी का शिकार बना चुके हैं। मगर, ये अभी तक पकड़े नहीं गए हैं।

साइबर थाने में स्टाफ

इंस्पेक्टर- एक

सब इंस्पेक्टर- तीन

कांस्टेबल- 10

अब तक की कार्रवाई

एफआइआर दर्ज हुईं- 21

अपराधी गिरफ्तार हुए- 40 


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