टीवी के ब्रांड एंबेसडर बने थे 'भगवान श्रीराम'
- 1987 में दूरदर्शन पर शुरू हुआ था रामायण का प्रसारण - रामायण के चलते अधिकांश लोगों के घर में आया था टीवी
आगरा, जागरण संवाददाता। अयोध्या में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ चुका है। राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो चुका है। ऐसे में लोगों के जेहन में रामानंद सागर की रामायण की यादें भी ताजा हो गई हैं। 80 के दशक में जब टीवी गिने चुने लोगों के घर में होता था, तब 'भगवान राम' ही थे जिन्होंने घर-घर में टीवी को पहुंचाने का काम किया।
वर्ष 1987 में पड़ने वाले रविवार की सुबह याद कीजिए। जब उठते ही मम्मी बच्चों से कहती थीं, जल्दी नहा लो और कहीं जाना नहीं। आनन-फानन में तैयार होकर सब मोहल्ले के उस घर में एकत्र होते थे, जहां बड़ा सा ब्लैक एंड व्हाइट टीवी होता था। सब मिलकर रामायण देखते थे। यही दौर था जब लोगों के घरों में रामायण की वजह से टीवी की एंट्री हुई थी।
आज भले ही अधिकांश घरों में दो-दो टीवी हों। आज की पीढ़ी के पास भले ही टीवी खरीदने की कई वजह हों, लेकिन तीन दशक पहले तक अधिकांश घरों में टीवी खरीदने की सबसे बड़ी वजह रामायण थी। उप्र रोडवेज से सेवानिवृत्त हुए सुरेश चंद शर्मा ने बताया कि 1987 में 25 जनवरी को रामायण की शुरुआत हुई थी। घर पर बच्चे रामायण देखने के लिए टीवी लाने की जिद करते थे। मोहल्ले में एक-दो घरों में टीवी था। ऐसे में बच्चों की जिद पर वो ब्लैक एंड व्हाइट टीवी लेकर आए थे।
ऐसी ही कुछ यादें रिटायर शिक्षक श्याम सिंह की हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन उनके पिता जी ने रामायण देखने की इच्छा जताई। उन्हें टीवी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, ऐसे में अपने दोस्त के साथ वह टीवी लेकर आए।
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'राम' को याद है वो दौर
रामानंद सागर की रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल से उनकी यादों को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब रामायण का प्रसारण शुरू हुआ तो लोग बताते थे कि रामायण के लिए उन्होंने विशेष रूप से टीवी खरीदा। उस समय गिने-चुने टीवी ब्रांड ही हुआ करते थे। रामायण के चलते ही टीवी की बिक्री में भी तेजी आई थी। गांव में तो लोग रामायण के समय टीवी पर फूल माला चढ़ाकर देखते थे।
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17 दिसंबर को लिया था संकल्प
संयुक्त राष्ट्र महासभा में 17 दिसंबर 1996 को विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवंबर को मनाने का निर्णय लिया गया था। दुनिया में शांति और सुरक्षा के खतरों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने और दूसरे महत्वपूर्ण आर्थिक सामाजिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने में टीवी की बढ़ती भूमिका को देखते हुए निर्णय लिया गया।
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यह है टीवी का सफर
टेलीविजन शब्द प्राचीन ग्रीक भाषा के शब्द टेली और लैटिन भाषा के शब्द विजियो को मिलाकर बना है। टेली का मतलब होता है दूर और विजियो का मतलब होता है देखना। पहली बार टीवी का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल 1920 के ही दशक में शुरू हो गया था, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह लोकप्रिय हुआ था। 26 जनवरी 1926 को स्कॉटलैंड के इंजीनियर जेएल बेयर्ड ने टीवी प्रसारण का प्रदर्शन किया था, इसलिए उन्हें ही टीवी का आविष्कारक माना जाता है। इसके बाद 3 जुलाई 1928 को रंगीन टीवी का प्रसारण प्रायोगिक स्तर पर करके दिखाया था।
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बीबीसी ने शुरू किया था प्रसारण
फिलो फ्रैंसवर्थ ने 21 साल की उम्र में पहले वर्किंग टीवी का प्रदर्शन सात सितंबर, 1927 को किया था। न्यूयॉर्क की जनरल इलेक्ट्रिक फैक्ट्री द्वारा पहली बार 13 जनवरी, 1928 को प्रायोगिक तौर पर एक टीवी स्टेशन स्थापित किया गया था। 2 नवंबर, 1936 को बीबीसी ने दुनिया में पहली बार आम जनता के लिए टीवी प्रसारण सेवा की शुरुआत की थी।
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भारत में 1959 में आया टीवी
भारत में टीवी प्रसारण पहली बार 15 सितंबर, 1959 को नई दिल्ली से शुरू हुआ। हालांकि इसका प्रतिदिन प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के तहत 1965 से शुरू हुआ था। वर्ष 1976 में भारत में टीवी का प्रसारण आल इंडिया रेडियो से अलग किया गया। देश में राष्ट्रीय प्रसारण की शुरुआत 1982 में हुई और उसी साल रंगीन टीवी के प्रसारण की शुरुआत भी हुई।