Rahul Gandhi: वीर तुम बढ़े चलो, ट्वीट कर फंसे राहुल गांधी, माफी मांगने की उठी मांग
राहुल गांधी ने ट्वीट की स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता। स्वजन बोले कविता की मूल-भावना से छेड़छाड निंदनीय मांगें माफी। आगरा कालेज के पूर्व प्राचार्य व स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पुत्र डा. वीके माहेश्वरी ने कविता को तोड़-मरोडकर ट्वीट करने पर आपत्ति जताई।
आगरा, जागरण संवाददाता। कृषि बिल को लेकर किसान आंदोलनरत हैं. विपक्षी पार्टियां उन्हें अपना समर्थन दे रही हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी किसानों के समर्थन में स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की सुप्रसिद्ध कविता वीर तुम बढ़े चलो ट्वीट की, जो विवाद का कारण बन गई है।
दरअसल उन्होंने कविता वीर तुम बढ़े चलो के साथ कुछ शब्द अपनी तुकबंदी के मिलाकर ट्वीट कर दिया, जो महाकवि के स्वजन को रास नहीं आया। ट्वीट पर स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के स्वजन न सिर्फ विरोध जताते नजर आए। उन्होंने सात दशक पुरानी कविता की मूल भावना से छेड़छाड कर उसका माखौल उड़ाने का आरोप लगाते हुए माफी मांगने की मांग की।
यह था ट्वीट
किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट किया था
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो
वाटर गन की बौछार हो या गीदड़ भभकी हजार हो
तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो, अन्नदाता तुम बढ़ चलो।
परिवार को हुई पीड़ा
आगरा कालेज के पूर्व प्राचार्य व स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पुत्र डा. विनोद कुमार माहेश्वरी ने कविता को तोड़-मरोडकर ट्वीट करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने ट्वीट किया कि मेरे पिता बच्चों के गांधी नाम से सुविख्यात साहित्यकार स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कालजयी रचना वीर तुम बढ़े चलो को पढ़कर और प्रेरणा पाकर देश के कोने-कोने में बढ़े हुए बच्चों की व हम उम्र लोगों की पूरी पीढ़ी प्रोढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी है। समय के शिलालेख पर अमिट ऐसी रचना को पैरोडी के रूप में आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने से मुझे और मेरे परिवार को पी़ड़ा हुई है। आप स्वयं विचार करें कि क्या यह कविता और कवि की आत्मा के साथ न्याय है। राहुल गांधी जी आपने उसी कविता का मजाक बनाया है, जो घोर निंदनीय है, इस पर माफी मांगनी चाहिए।
वहीं स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पौत्र डा. प्रांजल माहेश्वरी ने अपनी फेसबुक वाल और ट्विटर पर इसका विरोध किया। उन्होंने लिखा कि यह कविता मेरे दादा स्व. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने लिखी है। मिस्टर राहुल गांधी जी, आपको इसे दिल से सीखने की जरूरत है क्योंकि जो कविता आपने लिखी हैं, वह सही पंक्तियां नहीं हैं। सही पंक्ति है सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो, तुम निडर हटो नहीं, तुम निडर डटो वहीं।