ठा. राधा रमणलालजू का प्राकट्योत्सव, पंचामृत के साथ 54 जड़ी-बूटियों से हुआ महाभिषेक, भक्तों ने किए दर्शन
दक्षिण भारत से आए आचार्य गोपाल भट्ट कालिंदी किनारे अपने शालिग्राम की सेवा करते थे। ये शालिग्राम की शिला उन्हें दक्षिण भारत में स्थित गंडक नदी में स्नान के दौरान मिली। शालिग्राम की सेवा में रत आचार्य गोपाल भट्ट की साधना की थी।
आगरा, जागरण टीम। चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त गोपाल भट्ट गोस्वामी के प्रेम के वशीभूत होकर ठा. राधारमणलाल जू शालिग्राम शिला से प्रकट हुए। ठाकुरजी का प्राकट्योत्सव पर मंदिर में सोमवार सुबह पंचामृत से महाभिषेक हुआ। इस विलक्षण पल का साक्षी बनने को हजारों भक्त मौके पर मौजूद रहे।
ठा. राधारमण लालजू के प्राकट्योत्सव सेामवार को मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया। प्रात:काल वैदिक ऋचाओं की अनुगूंज के मध्य ठाकुरजी के श्रीविग्रह का 2100 किलो दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचगव्य, सर्वाेषधि, गंधाष्टक, बीजाष्टक समेत 54 जड़ी-बूटियों से महाभिषेक कराया। ठाकुरजी के प्राकट्योत्सव पर महाभिषेक दर्शन को देश दुनिया के भक्तों ने सुबह से ही मंदिर में डेरा डाल लिया था। जैसे ही सुबह ठाकुरजी का महाभिषेक शुरू हुआ भक्तों के जयकारे से मंदिर परिसर गूंज उठा। मंदिर में नाम संकीर्तन करते साधकों के स्वरों पर भक्त झूमते नजर आए। मंदिर के प्रवेश द्वार पर बज रही शहनाई ठाकुरजी के प्राकट्योत्सव को उल्लासमय बना रही थी।
-ऐसे प्रकट हुए भगवान
मंदिर सेवायत और गोपाल भट्ट गोस्वामी के शिष्य दामोदर गोस्वामी के वंशज शरदचंद्र गोस्वामी के अनुसार गोपाल भट्ट गोस्वामी की अपने आराध्य शालिग्राम शिला में ही गोविंद देव जी का मुख गोपीनाथजी का वक्षस्थल और मदनमोहनजी का चरणारविंद के दर्शन की अत्यंत उत्कंठा थी।
इसी पूर्णिमा के दिन जब भक्त प्रहृलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान नृसिंह देव प्रकट हुए तो गोपाल भट्ट गोस्वामी ने अपने आराध्य से कहा क्या मेरा भी ऐसा सौभाग्य होगा, इस शालिग्राम शिला में प्राकट्यरूप के दर्शन कर सकूंगा।
परम भक्त की अभिलाषा प्रभु से छिपी नहीं रही और वैशाख शुक्ला पूर्णिमा की भोर में ठा. राधारमणदेव शालिग्राम शिला से प्रकट हुए। प्राकट्यकर्ता गोपाल भट्ट गोस्वामी की प्रेरणा से ही वैशाख शुक्ला पूर्णिमा को उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।